Rajiv Gandhi Vs Sharad Yadav: उत्तर प्रदेश की अमेठी लोकसभा सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार राजीव गांधी के पॉलिटिकल डेब्यू के वक्त उनके खिलाफ विपक्ष ने ज्योतिषी के कहने पर कैंडिडेट तय किया था. यह सनसनीखेज खुलासा खुद उसी समाजवादी कैंडिडेट यानी शरद यादव ने किया था.
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Amethi Lok Sabha Seat History: लोकसभा चुनाव 2024 के बीच उत्तर प्रदेश की अमेठी लोकसभा सीट लगातार सुर्खियों में बना हुआ है. कांग्रेस ने इस बार अमेठी से उम्मीदवार उतारने में इतनी देरी कर दी है कि कई तरह के कयास लगाए जाने लगे. भाजपा नेता कांग्रेस पर डरे होने का तंज कर रहे हैं. हालांकि, एक लोकसभा चुनाव ऐसा भी था कि कांग्रेस की ओर से राजनीति में डेब्यू करने वाले राजीव गांधी के सामने विपक्ष को कैंडिडेट उतारने के लिए ज्योतिषी का सहारा लेना पड़ा था.
विपक्ष के नेता चौधरी चरण सिंह केंद्र की इंदिरा गांधी सरकार को गिराना चाहते थे. इसलिए साल 1981 में हुए अमेठी उप चुनाव में लोक दल की ओर से ज्योतिषी के कहने पर अमेठी का कैंडिडेट तय हुआ था. आइए, किस्सा कुर्सी का में इस कहानी के बारे में विस्तार से जानने की कोशिश करते हैं.
ढाई साल में ही दो बार गिरी देश की गैर-कांग्रेसी सरकार
आपातकाल हटने के बाद हुए आम चुनाव 1977 में बनी पहली गैर कांग्रेसी सरकार ढ़ाई साल में ही दो बार गिरी. पहले मोरारजी देसाई और फिर चौधरी चरण सिंह की सरकार गिरने के बाद जनवरी 1980 में लोकसभा के मध्यावधि चुनाव हुए तो इंदिरा गांधी पूर्ण बहुमत के साथ केंद्र की सत्ता में लौटीं. इंदिरा गांधी के छोटे बेटे संजय गांधी अमेठी लोकसभा सीट से चुनाव जीतकर संसद पहुंचे थे.
23 जून 1980 को एक विमान हादसे में संजय गांधी का निधन
छह महीने बाद ही 23 जून 1980 को एक विमान हादसे में उनकी दुखद मौत हो गई थी. संजय गांधी की मौत के बाद साल 1981 में अमेठी सीट पर उप चुनाव हुए थे. प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने अपने बड़े बेटे 37 साल के राजीव गांधी को अमेठी से कांग्रेस का कैंडिडेट बनाकर चुपचाप नॉमिनेशन करवा दिया. यह पायलट रहे राजीव गांधी के लिए चुनावी राजनीति में डेब्यू था. हालांकि, तब तक देश का राजनीतिक परिदृश्य बदलने लगा था.
गांधी-नेहरू परिवार का सुरक्षित दुर्ग रही अमेठी लोकसभा सीट
अमेठी लोकसभा सीट को गांधी-नेहरू परिवार का सुरक्षित दुर्ग कही जाती है. इसकी शुरुआत संजय गांधी से ही हुई थी. उनके बाद मैदान में उतरे राजीव गांधी का चुनाव प्रचार करने के लिए उनकी पत्नी सोनिया गांधी, उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह, उनके रिश्तेदार अरुण नेहरू, यूपी कांग्रेस के तब के अध्यक्ष बीएन पांडे और युवा कांग्रेस के सदस्यों ने खूब मेहनत की थी. अमेठी से राजीव गांधी की जीत सुनिश्चित मानी जा रही थी.
राजीव गांधी के सामने उतरे जेपी आंदोलन से उभरे नेता शरद यादव
दूसरी तरफ विपक्षी लोक दल ने आपातकाल विरोधी जेपी आंदोलन से उभरे नौजवान नेता शरद यादव को राजीव गांधी के खिलाफ चुनावी मैदान में उतार दिया था. हालांकि, उप चुनाव में राजीव गांधी की ही जीत हुई थी. उन्होंने करीब 2.37 लाख वोटों के अंतर से शरद यादव को हराया था. चुनाव नतीजे के मुताबिक, अमेठी में राजीव गांधी को 2 लाख 58 हजार 884 वोट ( 84.18 फीसदी) मिले थे. इनके मुकाबले शरद यादव को महज 21,188 (6.89 फीसदी) वोट ही मिले थे.
अमेठी उप चुनाव में ही शरद यादव के खिलाफ गूंजे थे जातिवादी नारे
अमेठी उप चुनाव में ही शरद यादव के खिलाफ जमकर जातिवादी नारे लगाए गए थे. कांग्रेसी नेता और उनके समर्थक शरद यादव के खिलाफ नारेबाजी करते थे, "शरद यादव वापस जाओ, डंडा लेके भैंस चराओ." इस शर्मनाक हार के काफी समय बाद शरद यादव ने कहा था कि वह राजीव गांधी के खिलाफ अमेठी से चुनाव लड़ने के पक्ष में नहीं थे. उन्होंने खुद की उम्मीदवारी के पीछे की वजह का सनसनीखेज खुलासा किया था.
इंदिरा गांधी की सरकार गिराने के लिए नेताओं ने ली ज्योतिषी की सलाह
शरद यादव ने एक इंटरव्यू में कहा था, “मैं अमेठी नहीं जाना चाहता था, लेकिन पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह ने जिद पकड़ ली थी. उन्हें ज्योतिष पर बहुत यकीन था. तब चौधरी साहब और जनसंघ के नेता नानाजी देशमुख दोनों मिलकर हमें एक ज्योतिषी के पास लेकर गए थे. उनका कहना था कि राजीव गांधी चुनाव हार जाएंगे तो इंदिरा गांधी की सरकार गिर जाएगी.”
चुनाव लड़ने से मना करने पर चौधरी चरण सिंह ने कहा- तुम डरपोक हो
शरद यादव ने आगे कहा था, “मेरे मना करने पर पहले चौधरी साहब तो मान गए, लेकिन नानाजी देशमुख पीछे पड़ गए और जब मैंने फिर चुनाव लड़ने से मना कर दिया तो चौधरी साहब नाराज हो गए और कहने लगे कि तुम डरपोक हो, तुम चुनाव नहीं लड़ोगे तो मैं लड़ूंगा. इसके बाद मैं चुनाव के लिए तैयार हो गया. अमेठी में चौधरी साहब ने मेरे लिए दल-बल के साथ कैम्प किया था.” हालांकि, चुनाव के नतीजे उम्मीद के मुताबिक नहीं रहे.
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