Maharashtra Lok Sabha Chunav: समीकरणों में उलझा महाराष्ट्र लोकसभा चुनाव, 48 सांसद ही नहीं शिवसेना- NCP के असली वारिस भी तय होंगे!
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Maharashtra Lok Sabha Chunav: समीकरणों में उलझा महाराष्ट्र लोकसभा चुनाव, 48 सांसद ही नहीं शिवसेना- NCP के असली वारिस भी तय होंगे!

Maharashtra Election 2024: महाराष्ट्र में लोकसभा चुनाव 48 सांसदों के निर्वाचन के साथ ही दो बड़े क्षेत्रीय दलों के लिए असली वारिस भी चुनेगा. हां, ये दो से चार भले हो गए हों पर पहली बार जनता चुनावों के जरिए फैसला करेगी कि उसे कौन से गुट पर भरोसा है. शिवसेना के दोनों गुट बाल ठाकरे की विरासत को आगे बढ़ाने का दावा कर रहे हैं. यही हाल शरद पवार की बनाई पार्टी एनसीपी के दोनों गुटों का है. 

Maharashtra Lok Sabha Chunav: समीकरणों में उलझा महाराष्ट्र लोकसभा चुनाव, 48 सांसद ही नहीं शिवसेना- NCP के असली वारिस भी तय होंगे!

Maharashtra Politics: 48 लोकसभा सीटों वाले महाराष्ट्र की सियासी तस्वीर बिल्कुल साफ हो गई है. राज्य में INDIA गठबंधन में शामिल तीनों पार्टियों ने सीटों का बंटवारा कर लिया है. उद्धव ठाकरे के गुट वाली शिवसेना 21, शरद पवार का एनसीपी गुट 10 और कांग्रेस पार्टी 17 सीटों पर चुनाव लड़ेगी. दूसरी तरफ भाजपा के साथ एनडीए में शामिल शिंदे सेना और अजीत पवार के गुट वाली एनसीपी मिलकर चुनाव मैदान में उतरे हैं. पहले भी मराठी अस्मिता का मुद्दा राज्य की राजनीति में हावी था. इस बार भी जातीय और अस्मिता से जुड़े सवाल ही अहम रहने वाले हैं. खास बात यह है कि जिस तरह से शिवसेना और एनसीपी में दो हिस्से हुए, उससे अब एक गुट के हाशिए पर पहुंचने का खतरा बढ़ गया है. कुछ एक्सपर्ट यह भी मान रहे हैं कि इसका सीधा फायदा भाजपा को हो सकता है. 

गढ़ किस गुट का? चुनाव में पता चलेगा

राज्य में कुछ ऐसी पारंपरिक सीटें हैं जहां से जीतने वाला उम्मीदवार बड़ा मैसेज देगा. बारामती ऐसी ही एक सीट है. यहां करीब तीन दशक से पवार खानदान का कब्जा है. शरद पवार खुद यहां से छह बार जीते हैं. उनकी बेटी सुप्रिया सुले दो बार और भतीजे अजीत पवार एक बार जीते.

अब अजीत अलग हो गए हैं. इस बार यहां चुनावी मुकाबला परिवार में ही ननद और भाभी के बीच है. अब जनता फैसला करेंगी कि एनसीपी का असली वारिस आगे कौन होगा? शरद पवार की बेटी जीते या बहू, इसके जरिए जनादेश जरूर समझ में आएगा. सीनियर या जूनियर पवार में से कौन है सबसे ज्यादा पावरफुल, इस सवाल का जवाब भी मिल जाएगा.

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कुछ ऐसा ही सीन शिवसेना की पारंपरिक सीटों पर देखने को मिलेगा. इस बार बालासाहेब ठाकरे की पार्टी के दो धड़े अलग-अलग मैदान में उतरे हैं. जनता तय करेगी कि पार्टी को कौन आगे ले जा सकता है. 

2019 के नतीजे क्या कहते हैं?

पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा को सबसे ज्यादा 27 फीसदी, शिवसेना को 23 फीसदी, कांग्रेस को 19 फीसदी और NCP को 15 फीसदी वोट मिले थे. हालांकि पांच साल में महाराष्ट्र की सियासत कई करवट ले चुकी है. राज्य की दो प्रमुख पार्टियां विरासत को लेकर अलग लड़ाई लड़ रही हैं. उनके टूटने से पार्टी कमजोर हुई है. 

महाराष्ट्र राजनीति के पांच क्षेत्र

1. कोंकण- मुंबई और ठाणे जैसे इलाकों में भाजपा की पकड़ मजबूत मानी जाती है. 

2. पश्चिमी महाराष्ट्र- यह क्षेत्र शरद पवार का गढ़ रहा है. यहां चीनी और दूध की फैक्ट्रियों पर एनसीपी के करीबियों का नियंत्रण है. 

3. विदर्भ- एक समय कांग्रेस का गढ़ हुआ करता था लेकिन 2014 से भाजपा ने यहां सेंध लगाई. 

4. मराठावाडा- एक समय पवार की पार्टी का दबदबा होता था, बाद में भाजपा ने पोजीशन मजबूत कर ली. 

5. उत्तर महाराष्ट्र- मराठा, आदिवासी और पाटिल समाज के लोग यहां निर्णायक भूमिका में हैं. छगन भुजबल, एकनाथ खडसे जैसे कद्दावर नेता यहां अच्छा प्रभाव रखते हैं. 

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