Bihar News: इस बार के चुनाव में मीसा भारती ने पूरा दम लगा दिया है. जबकि दूसरी तरफ राम कृपाल यादव लालू परिवार पर निशाना साधते हुए कहते हैं इस परिवार ने भ्रष्टाचार और परिवार को सेट किया है.
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Pataliputra Loksabha Seat: बिहार में भी लोकसभा चुनाव की सरगर्मी तेज है. पटना के पाटलिपुत्र लोकसभा सीट एकबार फिर चाचा भतीजी के संघर्ष की गाथा लिखने को तैयार है . इस लोकसभा सीट से लालू यादव की बड़ी बेटी मीसा भारती लोकसभा चुनाव में सेहरा बाँधने के लिए तैयार हैं तो दो बार से इस सीट पर राजतिलक करने वाले बीजेपी के राम कृपाल यादव जी तोड़ मेहनत कर रहे हैं . पाटलिपुत्र लोकसभा सीट यादव बाहुल्य पर लेकिन इस सीट पर कौन जीतेगा यह राजपूत और पासवान वोटर तय करते हैं.
असल में करीब 19 लाख वोटरों वाली इस लोकसभा सीट पर करीब पांच लाख यादव, तीन लाख भूमिहार और 4 लाख कुर्मी वोटर हैं. 2008 के पहले बिहार की राजधानी पटना एक ही सीट हुआ करती थी, लेकिन उस साल हुए परिसीमन में शहर को दो सीटें दी गईं. एक सीट पटना साहिब बनी, जिसमें ज्यादातर शहरी विधानसभा सीटें है और दूसरे पाटलिपुत्र में जिनमें ज्यादा ग्रामीण इलाके आते हैं. पाटलिपुत्र सीट का नामकरण इस शहर के प्राचीन नाम के आधार पर किया गया था. पाटलिपुत्र लोकसभा 19,09,074 मतदाता हैं जिनमे महिला मतदाता की संख्या 9,10, 035 और पुरुष मतदाता करीब 9,99, लाख हैं.
इस बार के लोकसभा चुनाव में मीसा भारती ने पूरा दम लगा दिया है . मीसा भारती कहती हैं कि NDA और पीएम के पास इसबार कोई मुद्दा नहीं है जबकि इंडिया गठबंधन के पास ढेरों मुद्दे हैं . मीसा कहती हैं की इस बार जानबूझकर भटकाया जा रहा है . और उनके परिवार को निशाना बनाया जा रहा है . जबकि इंडिया जीतेगा तो पी एम और बीजेपी नेताओं की जांच कराकर जेल भेजा जायेगा.
आरोपों प्रत्यारोपों का दौर जारी..
राम कृपाल यादव लालू परिवार पर निशाना साधते हुए कहते हैं इस परिवार ने भ्रष्टाचार और परिवार को सेट किया है . जेल से बेल पर निकल कर लालू परिवार को यहाँ का विकास नहीं दिख रहा है. पाटलिपुत्र लोकसभा क्षेत्र में विकास तो दिखती है . इसीलिए NDA नेता कहते हैं कि कई सुदूर गांवों, खासकर दियारा के इलाकों में बिजली आपूर्ति बहाल हुई. पटना में पाइपलाइन गैस आपूर्ति की शुरुआत दानापुर-नौबतपुर इलाके से ही हुई. दो नए सीएनजी स्टेशन खुले. आठ लेन की दानापुर-खगौल सड़क का निर्माण कार्य शुरू.
बिहटा में ईएसआई अस्पताल का शिलान्यास. एम्स, पटना में इमरजेंसी सेवा और ट्रामा सेंटर की शुरुआत. पटना-औरंगाबाद नेशनल हाई-वे का निर्माण. दानापुर, पालीगंज, बिक्रम में लिंक सड़कों का निर्माण. स्थानीय मुद्दे बेरोजगारी, बढ़ता अपराध, बिहटा-औरंगाबाद रेलखंड का निर्माण, गंगा पर स्थायी पुल, और सिंचाई की समस्या यहां के प्रमुख मुद्दे हैं.
कैसे बनी ये पाटलिपुत्र सीट
पाटलिपुत्र निर्वाचन क्षेत्र बिहार के पटना जिले का हिस्सा है. 2008 तक पटना के लिए केवल एक लोकसभा सीट थी. पुनर्गठन के बाद शहर को दो सीटों से बांटा गया. बिहार राज्य का यह बेहद महत्वपूर्ण इलाका है. गंगा नदी के किनारे बसे इस शहर को लगभग 2000 वर्ष पूर्व पाटलिपुत्र के नाम से जाना जाता था. सम्राट अजातशत्रु के उत्तराधिकारी उदयिन ने अपनी राजधानी को राजगृह से पाटलिपुत्र स्थानांतरित किया और बाद में चन्द्रगुप्त मौर्य ने यहां साम्राज्य स्थापित कर अपनी राजधानी बनाई. स्थानीय मतदाताओं का कहना है की रामकृपाल यादव बस कुछ ही लोगो तक समपर्क रखते हैं जबकि लालू परिवार यहाँ लगातार दौरा करता है .
लालू को मिली थी शिकस्त..
2009 में पहली बार इस सीट पर जदयू उम्मीदवार डॉ. रंजन प्रसाद यादव ने राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को शिकस्त दी थी. 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में राजद से टिकट न मिलने से नाराज रामकृपाल यादव ने चुनाव से ठीक पहले भाजपा का दामन थामा और पाटलिपुत्र सीट से विजयी हुए. उन्होंने निकटतम प्रतिद्वंद्वी राजद की मीसा भारती को लगभग 40 हजार वोटों से हराया. इसके बाद 2019 में रामकृपाल यादव ने फिर से मीसा भारती को हराया.
इस बार एनडीए के पक्ष में केंद्र सरकार के काम और नीतीश कुमार की अतिपिछड़ों, महिलाओं में लोकप्रियता. शराबबंदी का सकारात्मक प्रभाव. अगर रामकृपाल व्यक्तिगत लोकप्रियता के कारण सजातीय वोटों में सेंधमारी करे, तो पलड़ा भारी होगा.
वोटों का समीकरण जान लीजिए..
पटना का पाटलिपुत्र सीट पर एक बार फिर से मीसा भारती के मैदान में आने से यह चाचा भतीजी की लड़ाई बन गयी है. इस लोक सभा सीट की जातीय हिसाब को देखें तो स्थिती साफ़ होगी. इस क्षेत्र में सर्वाधिक यादव वोट 24.39 प्रतिशत ,भूमिहार 10.23,राजपूत 4.25 ब्राह्मण 2.02 मुस्लिम 8.23,पासवान 6.02 ,रविदास 4.95,मुसहर 3.12 और पासी 2.12 के अलावे अन्य जातियां के 30 प्रतिशत है.
ये तो तय है कि पाटलिपुत्र लोक सभा सीट पर इसबार मुकाबला कड़ा है. बदले समीकरण में पाटलिपुत्र में मीसा भारती को कांग्रेस के अलावा वामदलों का साथ मिल रहा है. तो वही राम कृपाल यादव को स्थानीय महिलाओं और सवर्णों के साथ पासवान वोटरों का साथ मिलने का अनुमान है. बता दें कि बीजेपी में आने से पहले राम कृपाल यादव लालू की पार्टी में थे और उनके बहुत ही विश्वस्त माने जाते थे. इसलिए मीसा के खिलाफ यह मुकाबला चाचा भतीजी का मुकाबला माना जा रहा है.