Patliputra Chunav: मीसा भारती को भतीजी मानते हैं रामकृपाल यादव, फिर पाटलिपुत्र का मैदान कैसे बना राजनीति का 'बदलापुर'?
Advertisement
trendingNow12169717

Patliputra Chunav: मीसा भारती को भतीजी मानते हैं रामकृपाल यादव, फिर पाटलिपुत्र का मैदान कैसे बना राजनीति का 'बदलापुर'?

Patliputra Lok Sabha Election: बीजेपी और आरजेडी ने औपचारिक घोषणा नहीं की है लेकिन बिहार की पाटलिपुत्र लोकसभा सीट पर उम्मीदवार फाइनल हैं. भाजपा से हैट्रिक लगाने के इरादे से रामकृपाल यादव फिर उतरने वाले हैं. उधर, लालू यादव ने बेटी मीसा भारती को एक और मौका देने की सोची है. पिछले चुनाव में मीसा ने रामकृपाल के लिए हाथ काटने वाली बात कह दी थी. क्या इस बार हरा कर 'बदला' लेने आ रही हैं?

Patliputra Chunav: मीसा भारती को भतीजी मानते हैं रामकृपाल यादव, फिर पाटलिपुत्र का मैदान कैसे बना राजनीति का 'बदलापुर'?

Misa Bharti vs Ramkripal Yadav Patliputra: पाटलिपुत्र का चुनावी मैदान एक बार फिर मीसा भारती vs रामकृपाल यादव बनने जा रहा है. जी हां, लालू प्रसाद यादव ने इस बार अपनी दो बेटियों को चुनाव में उतारने का मन बना लिया है. रोहिणी आचार्य छपरा तो मीसा भारती पाटलिपुत्र से लगातार तीसरी बार लोकसभा चुनाव में उतरेंगी. मगध साम्राज्य की राजधानी रही पाटलिपुत्र आज भले ही पटना के नाम से जानी जाती हो, पर यहां एक लोकसभा क्षेत्र आज भी पाटलिपुत्र के नाम से है. राजधानी पटना में अब दो लोकसभा सीटें हैं. शहरी विधानसभा वाले इलाके पटना साहिब सीट में शामिल हैं और ग्रामीण इलाके पाटलिपुत्र में आते हैं. पाटलिपुत्र से भाजपा के रामकृपाल यादव सांसद हैं. 

2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में लालू की बेटी को जिन्होंने हराया था, वह कभी लालू के 'अपने' हुआ करते थे. हां, जब रामकृपाल यादव आरजेडी में थे तो उन्हें लालू का 'हनुमान' कहकर संबोधित किया जाता था लेकिन 10 साल पहले वह भाजपाई हो गए. बगावत से गुस्साई मीसा ने एक बार गंडासे से हाथ काटने वाली बात कह दी तो काफी विवाद हुआ. उस समय रामकृपाल ने कहा था कि मीसा उनकी भतीजी हैं. वह बेटी समान हैं. उनके साथ हमेशा आशीर्वाद रहेगा. इस तरह से देखिए पाटलिपुत्र में मुकाबला चाचा बनाम भतीजी का भी बन गया है. 

अब मजबूरी में केजरीवाल का बचाव कर रहे राहुल और प्रियंका गांधी?

लालू परिवार कभी नहीं जीत पाया

अब देखना यह है कि पाटलिपुत्र से मीसा कोई करिश्मा कर पाने में कामयाब होती हैं या नहीं. यह लोकसभा सीट लालू परिवार के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बन चुकी है. यहां से न तो कभी लालू प्रसाद यादव जीत पाए और न उनकी बेटी मीसा भारती. 2008 में नए परिसीमन के बाद इस लोकसभा सीट का उदय हुआ था. 2009 के लोकसभा चुनाव में लालू यादव हार गए थे. 

2014 के चुनाव में जब मोदी लहर चल पड़ी, लालू ने अपनी बेटी मीसा भारती को यहां से चुनाव मैदान में उतारा. इसी फैसले से नाराज रामकृपाल यादव बागी हो गए. वह भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ने चले गए. उन्होंने 2014 ही नहीं, 2019 में भी मीसा भारती को करारी शिकस्त दी. 

पढ़ें; आज खुश तो बहुत होगी बीजेपी! 

अब 2024 के लोकसभा चुनाव की घोषणा हो चुकी है. आरजेडी के दो विधायकों ने पाटलिपुत्र से दावेदारी जता इस सीट को चर्चा में ला दिया. आरजेडी विधायक रीतलाल यादव का बयान भी काफी समय से सुर्खियां बटोर रहा था. उन्होंने कहा कि हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव जी चाह रहे हैं कि हम पाटलिपुत्र सीट से चुनाव लड़ें. हम पार्टी के सिपाही तैयार हैं. RJD विधायक भाई वीरेंद्र ने कहा कि आदरणीय लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव जी अगर विश्वास करेंगे कि हमें टिकट देने से चुनाव जीत जाएंगे तभी हम चुनाव लड़ेंगे.  

हालांकि लालू यादव काफी सोच-विचार करने के बाद चाहते हैं कि मीसा भारती तीसरी बार यहां से लड़ें और परिवार की हार का 'बदला' लें.

पाटलिपुत्र का जातीय समीकरण

  • लालू यादव बड़े यादव नेता के तौर पर जाने जाते हैं लेकिन विडंबना देखिए पाटलिपुत्र लोकसभा सीट पर सबसे ज्यादा यादव वोटर होने के बाद भी वह नहीं जीत सके. यहां कुल करीब 17 लाख वोटर हैं.
  • करीब पांच लाख यादव, 3 लाख भूमिहार और 4 लाख कुर्मी मतदाता हैं. 

यहां पढ़िए चुनावी किस्से, बस एक क्लिक पर

200 प्रमुख लोकसभा सीटों पर घोषित उम्मीदवारों की लिस्ट देखिए

Trending news