Purvi Champaran Lok Sabha Election 2024: पूर्वी चंपारण में हैट्रिक के साथ सांसद बने राधामोहन सिंह, 542193 वोट प्राप्त कर दर्ज की जीत
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Purvi Champaran Lok Sabha Election 2024: पूर्वी चंपारण में हैट्रिक के साथ सांसद बने राधामोहन सिंह, 542193 वोट प्राप्त कर दर्ज की जीत

Purvi Champaran Lok Sabha Chunav Result 2024 : भारतीय जनता पार्टी के नेता राधा मोहन सिंह पूर्वी चंपारण लोकसभा क्षेत्र से छह बार सांसद चुने गए हैं. लोकसभा चुनाव 2024 में छठे चरण में 25 मई को मतदान हो चुके है. राजनीतिक पार्टियां भी जातिगत समीकरणों के हिसाब से उम्मीदवार तय करने लग गई हैं.

Purvi Champaran Lok Sabha Election 2024: पूर्वी चंपारण में हैट्रिक के साथ सांसद बने राधामोहन सिंह, 542193 वोट प्राप्त कर दर्ज की जीत

Purvi Champaran Lok Sabha Chunav Result 2024: बिहार में 40 लोकसभा सीटों में एक पूर्वी चंपारण नए परिसीमन के बाद पहली बार लोकसभा चुनाव 2009 में मतदान हुआ था. पूर्वी चंपारण लोकसभा क्षेत्र में छह विधानसभा सीट हरसिद्धि, गोविंदगंज, केसरिया, कल्याणपुर, पिपरा और मोतिहारी शामिल हैं. इससे पहले इसका ज्यादातर हिस्सा मोतिहारी लोकसभा के नाम से जाना जाता था. पूर्वी चंपारण लोकसभा क्षेत्र बनने के बाद और पहले यहां भाजपा नेता राधामोहन सिंह का तीन-तीन बार कब्जा है.

नेपाल से जुड़ती है सीमाएं, 1285 है जनसंख्या का घनत्व 

पुराणों के मुताबिक, राजा उत्तानपाद के पुत्र भक्त ध्रुव ने चंपारण के तपोवन नामक स्थान पर ज्ञान प्राप्ति के लिए घोर तपस्या की थी. रामायण काल में यह क्षेत्र माता सीता की शरणस्थली भी रहा है. भगवान बुद्ध भी यहां ठहरे और लोगों को उपदेश दिया. यहां कई बौद्ध स्तूप भी हैं. जनसंख्या का घनत्व 1285 है. औसत साक्षरता 58.26 फीसदी है. 1971 में चंपारण को विभाजित कर बनाए गए पूर्वी चंपारण जिला का मुख्यालय मोतिहारी है. इस लोकसभा क्षेत्र की सीमाएं नेपाल से भी जुड़ती हैं. इस लोकसभा क्षेत्र में वोटरों की कुल संख्या 1,187,264 है. इनमें 640,901 पुरुष और 546,363 महिला मतदाता हैं.

1989, 1996, 1999, 2009, 2014, 2019 में राधामोहन सिंह जीते

महात्मा गांधी के नील आंदोलन और चंपारण सत्याग्रह के गवाह इस लोकसभा सीट पर राधामोहन सिंह को 1989, 1996, 1999, 2009, 2014, 2019 में पूर्वी चंपारण की जनता ने संसद में भेजा. हालांकि, यहां कांग्रेस, कम्युनिस्ट और राजद के सांसद भी चुने जा चुके हैं. पार्टी कार्यकर्ताओं के मामले में भाजपा हमेशा मजबूत स्थिति में रही है. लोकसभा चुनाव 2024 में छठे चरण में 25 मई को मतदान किया जाएगा. राजनीतिक पार्टियां भी जातिगत समीकरणों के हिसाब से अपने उम्मीदवार तय करने लग गई हैं. 

पूर्वी चंपारण (पहले मोतिहारी) लोकसभा सीट पर सवर्ण जातियों का वर्चस्व

पूर्वी चंपारण (पहले मोतिहारी) लोकसभा सीट पर सवर्ण जातियों का वर्चस्व रहा है. पहले आम चुनाव 1952 से लेकर लोकसभा चुनाव 2019 तक 17 बार लोकसभा चुनाव में 15 बार सवर्ण जाति के नेता ही सांसद चुने गए. इनमें राजपूत जाति के उम्मीदवार सात और ब्राह्मण उम्मीदवार पांच बार चुनाव जीते. इसके बाद भूमिहार जाति के उम्मीदवार की जीत तीन बार हुई है. पूर्वी चंपारण सीट से वैश्य समाज से 1984 में प्रभावती गुप्ता और 1998 में रमा देवी गैर सवर्ण सांसद बनी हैं.

जातीय समीकरण के हिसाब से पूर्वी चंपारण लोकसभा सीट की बात करें तो भूमिहार, राजपूत, यादव,मुस्लिम, कुशवाहा और वैश्य वोट चुनावी जीत-हार के फैसले में निर्णायक भूमिका निभाते हैं. लोकसभा क्षेत्र में करीब ढाई लाख वोट भूमिहारों का है. राजपूतों का वोट लगभग एक लाख पैंसठ हजार है. चार लाख के करीब वैश्य मतदाता भी हैं. कुशवाहा का वोट करीब सवा दो लाख है. वहीं यादव और मुस्लिम मतदाता भी बड़ी तादाद में हैं.

इस बार लोकसभा चुनाव में क्या है पूर्वी चंपारण का सियासी समीकरण?

पूर्वी चंपारण पहले कांग्रेस का गढ़ हुआ करता था, लेकिन राधा मोहन सिंह ने इसे भाजपा के किले में तब्दील कर दिया. राजपूत जाति से आने वाले राधा मोहन सिंह ने उम्र का हवाला देते हुए इस बार लोकसभा चुनाव लड़ने से मना कर दिया है. इसलिए पूर्वी चंपारण में भाजपा के नए चेहरे पर सबकी नजर होगी. वहीं, इंडिया गठबंधन से कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष भूमिहार जाति के डॉक्टर अखिलेश प्रसाद सिंह अपने बेटे आकाश सिंह के लिए यह सीट ले सकते हैं. हालांकि, इस सीट पर राजद भी अपना दावा कर रही है. वहीं, कम्युनिस्ट पार्टी ने भी आंखें गड़ा रखी हैं.

पहले मोतिहारी अब पूर्वी चंपारण लोकसभा सीट का चुनावी इतिहास

मोतिहारी लोकसभा सीट पर 1952 में कांग्रेस की टिकट पर विभूति मिश्र चुनाव जीते. इसके बाद लगातार पांच बार वह सांसद चुने जाते रहे. 1977 के आम चुनाव में जनता पार्टी के ठाकुर रमापति सिंह ने कांग्रेस के विजयी रथ को रोक दिया. हालांकि, 1980 में रमापति सिंह को सीपीआई के कमला मिश्र मधुकर ने हरा दिया. लोकसभा चुनाव 1984 में एक बार फिर से कांग्रेस नेता प्रभावती गुप्ता ने कमला मिश्र मधुकर को हरा दिया. लोकसभा चुनाव 1989 में भाजपा के राधा मोहन सिंह ने प्रभावती गुप्ता को हरा दिया. 

लोकसभा चुनाव 1998 में दिलचस्प मुकाबला, सपा प्रत्याशी की हत्या

1991 में मध्यावधि चुनाव में राधा मोहन सिंह फिर से चुनाव लड़े, लेकिन सीपीआई के कमला मिश्र मधुकर ने उन्हें हरा दिया। 1996 के चुनाव में भाजपा ने फिर राधा मोहन सिंह को मैदान में उतारा और वह जीत गए. लोकसभा चुनाव 1998 में दो बार के सांसद राधा मोहन सिंह मैदान के विरोध में समाजवादी पार्टी के टिकट पर उस समय के बाहुबली पूर्व विधायक देवेंद्र नाथ दुबे थे. राजद के टिकट पर बाहुबली बृज बिहारी प्रसाद की पत्नी रमा देवी चुनाव लड़ रहीं थी.

चुनाव के दौरान संग्रामपुर थाना क्षेत्र में बाहुबली दुबे की गोली मार कर हत्या कर दी गई. इसके बाद बदले समीकरण में रमा देवी के सामने राधा मोहन सिंह की हार हो गई. 1999 में मध्यावधि चुनाव राधा मोहन सिंह ही भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़े और जीते. लोकसभा चुनाव 2004 में राजद के टिकट पर भूमिहार जाति के डॉ. अखिलेश प्रसाद सिंह चुनावी मैदान में उतरे और तीन बार के सांसद राधा मोहन सिंह को हरा दिया.

लोकसभा सीट का नाम बदले जाने के बाद लगातार राधा मोहन सिंह जीते

साल 2008 में मोतिहारी लोकसभा का नाम बदल कर पूर्वी चंपारण लोकसभा हो गया. लोकसभा चुनाव 2009 में भाजपा उम्मीदवार फिर राधा मोहन सिंह जीते. लोकसभा चुनाव 2014 और 2019  में भी लगातार भाजपा के राधा मोहन सिंह ही जीतते रहे. 

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