Bhopal Seat Lok Sabha Chunav 2024: मध्य प्रदेश की राजगढ़ संसदीय सीट का इतिहास 1952 से शुरू होता है. शुरुआती दो चुनावों में, 1952 और 1957 में, यह राजगढ़-शाजापुर संसदीय क्षेत्र का हिस्सा था. इस दौरान, एक सांसद अनारिक्षत वर्ग से और दूसरा आरिक्षत वर्ग से चुना जाता था. कांग्रेस के लीलाधर जोशी 1952 और 1957 में लगातार दो बार आरिक्षत वर्ग से सांसद चुने गए थे. 1957 में, भागू नंदू मालवीय भी अनारिक्षत वर्ग से सांसद बने थे.
तीन लोकसभा क्षेत्रों में विभाजन: 1962 से 1971 तक, राजगढ़ जिला तीन लोकसभा क्षेत्रों - शाजापुर, भोपाल और गुना - में बंट गया था. इस दौरान, विभिन्न दलों के उम्मीदवारों ने इन क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व किया. 1962 में निर्दलीय भानुप्रकाश सिंह, 1967 में बाबूराव पटेल (जनसंघ) और जगन्नाथ राव जोशी (जनसंघ) 1967 में क्रमशः शाजापुर, भोपाल और गुना से सांसद चुने गए थे.
1977 से: राजगढ़ संसदीय सीट का गठन
1977 से, राजगढ़ संसदीय सीट एक स्वतंत्र निर्वाचन क्षेत्र बन गया. 1977 और 1980 के चुनावों में, जनता पार्टी के बसंत कुमार पंडित ने यहां से जीत हासिल की.
दिग्विजय के घराने का दबदबा
राजगढ़ कांग्रेस पार्टी के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह के दबदबे में रही है. यहां अगर किसी पार्टी ने सबसे ज्यादा प्रभाव डाला है, तो वह केवल कांग्रेस है. दिग्विजय खुद इस सीट से 2 बार सांसद चुने गए हैं, और उनके भाई लक्ष्मण सिंह भी इस सीट से 5 बार संसद बन चुके हैं. हालांकि, यहां दोनों भाइयों ने हार का भी सामना किया है. वर्तमान में, इस सीट पर पिछले दो बार से भारतीय जनता पार्टी का कब्जा है. भारतीय जनता पार्टी के रोडमल नागर ने 2014 और 2019 के चुनावों में जीत हासिल की है.
ऐसा समीकरण बैठा कि 2004..
खास बात यह रही कि दिग्विजय के मध्य प्रदेश का सीएम बनने के बाद इस पर 1994 में यहां पर उपचुनाव हुए, उनके भाई लक्ष्मण सिंह जीते. फिर उसके बाद लगातार 1996, 1998, 1999 और 2004 के चुनाव में विजयी हुए. फिर ऐसा समीकरण बैठा कि 2004 में वे बीजेपी में शामिल हो गए और बीजेपी के टिकट पर यहीं से जीते. फिर 2009 में कांग्रेस के आमलाबे नारायण सिंह चुनाव जीते थे, जबकि 2014 और 2019 से बीजेपी के रोडमल नागर चुनाव जीत रहे हैं.
जब 'महाभारत के कृष्ण' भी हार गए थे चुनाव
इस सीट का एक चुनाव चर्चा में रहा. 1999 के लोकसभा चुनाव में नितीश भरद्वाज को बीजेपी ने दिग्विजय सिंह के भाई लक्ष्मण सिंह के सामने खड़ा कर दिया. लोगों का समर्थन देखकर कांग्रेस को भी लगने लगा था कि चुनाव बीजेपी जीत जाएगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ. लक्ष्मण सिंह को जीत मिली थी.
जाति का समीकरण क्या है
यहां पर ओबीसी 56 प्रतिशत, एससी 18 प्रतिशत, मुस्लिम 5 प्रतिशत और सामान्य 4 प्रतिशत वोटर हैं. राजगढ़ की 81 प्रतिशत आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है.यहां सौंधिया, दांगी, धाकड़, तंवर, ब्राह्मण और राजपूत, राठौर और मुस्लिम समाज, एससी समाज बाहुल्य में है. सौंधिया समाज के मतदाता सवा दो लाख से भी ज़्यादा हैं. दांगी समाज वोट भी दो लाख के लगभग है.
राजगढ़ सीट पर जीतने वालों का इतिहास
1952- लीलाधर जोशी, कांग्रेस
1957- लीलाधर जोशी, कांग्रेस
1962- भानु प्रकाश सिंह, निर्दलीय
1967- बाबुराव पटेल, जनसंघ
1971- जगन्नाथ राव जोशी, जनसंघ
1977- वसंत कुमार पंडित, बीजेपी
1980- वसंत कुमार पंडित, बीजेपी
1984- दिग्विजय सिंह, कांग्रेस
1989- प्यारेलाल खंडेलवाल, बीजेपी
1991- दिग्विजय सिंह, कांग्रेस
1994- लक्ष्मण सिंह, कांग्रेस
1996- लक्ष्मण सिंह, कांग्रेस
1998- लक्ष्मण सिंह, कांग्रेस
1999- लक्ष्मण सिंह, कांग्रेस
2004- लक्ष्मण सिंह, कांग्रेस
2009- नारायण सिंह आमलाबे, कांग्रेस
2014- रोडमल नागर, बीजेपी
2019- रोडमल नागर, बीजेपी
2024 का समीकरण क्या है?
2009 में कांग्रेस के आमलाबे नारायण सिंह चुनाव जीते थे, जबकि 2014 और 2019 से बीजेपी के रोडमल नागर चुनाव जीत रहे हैं. अब देखना है कि इस बार कौन प्रत्याशी आमने-सामने होंगे.
Candidates in 2024 |
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