Shahdol Seat Lok Sabha Election 2024: शहडोल सीट पर कमल का कब्जा, करीब 4 लाख वोटों से जीतीं हिमाद्री सिंह
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Shahdol Seat Lok Sabha Election 2024: शहडोल सीट पर कमल का कब्जा, करीब 4 लाख वोटों से जीतीं हिमाद्री सिंह

Shahdol Loksabha Seat Elections News: शहडोल सीट पर शुरुआती समय में सोशलिस्ट विचारधारा का राज था, इसके बाद राजनीतिक समीकरणों और आंकड़ों पर गौर करें तो 2016 तक शहडोल में सीधी टक्कर ही देखने को मिली है. हर बार बीजेपी और कांग्रेस में जोरदार मुकाबला हुआ है.

Shahdol Seat Lok Sabha Election 2024: शहडोल सीट पर कमल का कब्जा, करीब 4 लाख वोटों से जीतीं हिमाद्री सिंह

Shahdol Loksabha Seat Chunav 2024: शहडोल लोकसभा सीट बड़ी ही दिलचस्प सीट है. आदिवासी मतदाताओं के बाहुल्य वाली यह सीट राजनीतिक परिवारों के दबदबे का एक ज्वलंत उदाहरण है. शहडोल सीट पर शुरुआती समय में सोशलिस्ट विचारधारा का राज था, इसके बाद राजनीतिक समीकरणों और आंकड़ों पर गौर करें तो 2016 तक शहडोल में सीधी टक्कर ही देखने को मिली है. हर बार बीजेपी और कांग्रेस में जोरदार मुकाबला हुआ है.

असल में यहां शुरुआती दौर में सोशलिस्ट विचारधारा का प्रभाव था. 1962 तक, मध्य प्रदेश की शहडोल लोकसभा सीट सोशलिस्ट विचारधारा का गढ़ रही. इस क्षेत्र के लोग समाजवादी नीतियों और सिद्धांतों से प्रेरित थे..

भाजपा-कांग्रेस का द्वंद्व:
1962 के बाद, शहडोल में राजनीतिक परिदृश्य बदल गया. भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला शुरू हो गया. दोनों दल लगातार एक-दूसरे से आगे निकलने की कोशिश करते रहे.

भाजपा का उभार:
1996 के बाद से, भाजपा ने शहडोल में मजबूत पकड़ बना ली. इस क्षेत्र में आदिवासी मतदाताओं की संख्या अधिक होने के बावजूद, भाजपा ने अपनी रणनीति और प्रभावशाली नेतृत्व के बल पर यहां अपनी जगह बनाई.

नेताओं की परीक्षा:
शहडोल के मतदाता अपने नेताओं को जवाबदेह ठहराने में भी पीछे नहीं रहे. दिवंगत सांसद दलवीर सिंह और अजीत जोगी जैसे कद्दावर नेताओं को भी यहां हार का सामना करना पड़ा.

विस्तारित क्षेत्र और विविधता:
शहडोल लोकसभा सीट केवल शहडोल जिले तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसके दायरे में तीन अन्य जिलों - उमरिया, अनूपपुर और शहडोल - के कुछ हिस्से भी शामिल हैं. इस क्षेत्र में 8 विधानसभा क्षेत्रों का समावेश है, जो इसे राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण बनाता है. शहडोल लोकसभा सीट मध्य प्रदेश के उत्तर-पूर्वी भाग में स्थित है. यह क्षेत्र अपनी प्राकृतिक सुंदरता और धार्मिक महत्व के लिए जाना जाता है.

जीवनदायी नदियों का संगम:
शहडोल में जीवनदायिनी सोन नदी और जुहिला नदी का संगम होता है. इन नदियों का जल इस क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण है और खेती, सिंचाई और घरेलू उपयोग के लिए पानी प्रदान करता है.

बाणसागर बांध: प्राकृतिक सौंदर्य का प्रतीक:
सोन नदी पर बना बाणसागर बांध अपनी खूबसूरती के लिए जाना जाता है. यह बांध पर्यटकों के लिए एक आकर्षक स्थान है और नौका विहार और अन्य जल गतिविधियों का आनंद लेने के लिए लोगों को आकर्षित करता है.

धार्मिक महत्व:
शहडोल लोकसभा सीट धार्मिक रूप से भी महत्वपूर्ण है. यहां विराट मंदिर और कंकाली देवी मंदिर जैसे प्रसिद्ध मंदिर स्थित हैं, जो देश भर से श्रद्धालुओं को आकर्षित करते हैं.

आदिवासी वोट बैंक का प्रभाव:
शहडोल लोकसभा सीट विंध्य क्षेत्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. यहां 55% से अधिक आदिवासी मतदाता हैं, जो इस सीट के चुनाव परिणामों को प्रभावित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.

राजनीतिक परिवारों का दबदबा:
पिछले 45 वर्षों से, शहडोल लोकसभा सीट पर सिर्फ तीन परिवारों का ही दबदबा रहा है. 1977 के लोकसभा चुनाव के बाद से, केवल इन तीन परिवारों के सदस्य ही इस सीट से संसद पहुंचने में सफल रहे हैं, चाहे वे भाजपा से हों या कांग्रेस से.

शहडोल: तीन परिवारों का राजनीतिक चक्र, एक अनोखी कहानी:
शहडोल लोकसभा सीट, जहां 1977 से सत्ता का खेल सिर्फ तीन परिवारों के बीच ही खेला जा रहा है. यह एक अनोखी कहानी है, जो भारतीय लोकतंत्र में राजनीतिक परिवारों के दबदबे को उजागर करती है.

दलपत सिंह परस्ते: भाजपा के दिग्गज नेता, जिन्होंने 5 बार सांसद का पद संभाला.
ज्ञान सिंह: दलपत सिंह परस्ते के प्रतिद्वंद्वी, जिन्होंने 3 बार भाजपा के टिकट पर जीत हासिल की.
दलबीर सिंह: कांग्रेस के कद्दावर नेता, जिन्होंने 3 बार और उनकी पत्नी राजेश नंदिनी सिंह ने 1 बार सांसद का पद संभाला.

राजनीतिक रणनीति का खेल:
भाजपा ने दलपत सिंह परस्ते और ज्ञान सिंह को बारी-बारी से टिकट देकर अपनी रणनीति बनाई.
कांग्रेस ने दलबीर सिंह पर भरोसा जताया, और उनके हारने पर उनकी पत्नी को मैदान में उतारा.

परिणाम:
12 चुनावों में, दलपत सिंह परस्ते 5 बार, दलबीर सिंह 3 बार, ज्ञान सिंह 3 बार और राजेश नंदिनी सिंह 1 बार जीते. शहडोल लोकसभा सीट, राजनीतिक परिवारों के प्रभाव का एक ज्वलंत उदाहरण है. 

जातिगत समीकरण
शहडोल सीट अनुसूचित जनजाति आरक्षित है. 2011 की जनगणना के मुताबिक शहडोल  की जनसंख्या 2410250 है. यहां की 79.25 फीसदी आबादी ग्रामीण क्षेत्र और 20.75 फीसदी आबादी शहरी क्षेत्र में रहती है. यहां की 44.76 आबादी अनुसूचित जनजाति और 9.35 फीसदी आबादी अनुसूचित जाति के लोगों की है.

विधानसभा सीटें: शहडोल लोकसभा सीट के अंतर्गत विधानसभा की 8 सीटें आती हैं. जयसिंहनगर, अनूपपुर, मानपुर, जैतपुर, पुष्पराजगढ़, बरवारा, कोटमा

लोकसभा सीट पर चुनाव दर चुनाव जीत का इतिहास

साल विजयी उम्मीदवार​ पार्टी
1952 Randhaman Singh/Bhagwan Datta Shastri Kisan Mazdoor Praja Party/Socialist Party
1957 Kamal Narain Singh congress
1962 Buddhu Singh Utiya Socialist Party
1967 Girja Kumari Congress
1971 Dhan Shah Pradhan Independent
1977 Dalpat Singh Paraste Janata Party
1980 Dalbir Singh Congress
1984 Dalbir Singh Congress 
1989 Dalpat Singh Paraste Janta Dal
1991 Dalbir Singh Congress 
1996 Gyan Singh BJP
1998 Gyan Singh BJP
1999 Dalpat Singh Paraste BJP
2004 Dalpat Singh Paraste BJP
2009 Rajesh Nandini Singh Congress
2014 Dalpat Singh Paraste BJP
2016 Gyan Singh (By Election) BJP
2019 Himadri Singh BJP

 

2024 का समीकरण क्या है? हिमाद्री सिंह बनाम बुंदेलाल सिंह मार्को
इस बार भी मुकाबला दिलचस्प होने की उम्मीद है. देखना होगा दोनों पार्टियों में से किसको कौन उम्मीदवार बनाता है. शहडोल सीट पर इस बार भी मुकाबला दिलचस्प होने की उम्मीद है. बीजेपी ने तो इस बार हिमाद्री सिंह को ही उतारा है लेकिन कांग्रेस ने पुष्पराजगढ़ से विधायक बुंदेलाल सिंह मार्को को उतारा है. चुनाव प्रचार भी धुंआधार हुआ है. देखना है कि चुनाव परिणाम किस तरफ जाएगा.

Candidates in 2024 Party Votes Result
Himadri Singh BJP    
Bundelal Singh Congress    
       
       

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