Mukhtar Ansari: माफिया मुख्तार की मौत से लोकसभा चुनावों पर क्या पड़ेगा असर? पूर्वांचल के इस समीकरण में छिपा है जवाब
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Mukhtar Ansari: माफिया मुख्तार की मौत से लोकसभा चुनावों पर क्या पड़ेगा असर? पूर्वांचल के इस समीकरण में छिपा है जवाब

Mukhtar Ansari Hindi News: माफिया मुख्तार अंसारी की मौत के बाद विपक्षी दलों की प्रतिक्रिया जारी है. वे इसे देश में कानून की हत्या बता रहे हैं. उनकी परेशान की वजह एक खास समीकरण है, जिसे जानकर आप हैरान रह जाएंगे. 

 

Mukhtar Ansari: माफिया मुख्तार की मौत से लोकसभा चुनावों पर क्या पड़ेगा असर? पूर्वांचल के इस समीकरण में छिपा है जवाब

Mukhtar Ansari Political Impact: माफिया डॉन मुख्तार अंसारी की पूर्वांचल में क्या सियासी हैसियत थी, इसके लिए सबसे पहले आपको उत्तर प्रदेश में पूर्वांचल के दायरे को समझना होगा. जिस हिस्से को पूर्वांचल कहते हैं उसमें 28 जिले हैं, जिसमें 30 लोकसभा सीटें हैं तो 166 विधानसभा भी इसी क्षेत्र में आती हैं...यानि एक बड़ी आबादी का प्रतिनिधित्व करता है पूर्वांचल.  

इस पूर्वांचल के 6 जिलों की 8 लोकसभा सीटों पर मुख्तार अंसारी वोटों का बड़ा समीकरण तय करने वाला माना जाता था. 

पूर्वांचल में मुख्तार के ख़ौफ़ की 'सीमारेखा'!

ज़िला          लोकसभा सीट    
गाज़ीपुर          2                   
मऊ               1                   
आज़मगढ़       1                    
वाराणसी         1                  
मिर्ज़ापुर           1                
जौनपुर            2                 

उत्तर प्रदेश में जो पूर्वांचल का हिस्सा है उसमें 28 जिलों की कुल 30  लोकसभा सीटें आती हैं. 2014 और 2019 में वहां का सियासी हाल कैसा रहा. आपको ये भी जानना चाहिए. 

मुख्तार की मौत से विपक्षी दल क्यों दुखी?

मुख्तार अंसारी की मौत पर विपक्ष के दलों ने सरकार पर सवाल उठाए हैं. सरकार पर आरोप लगाए हैं. तो जैसा कि हम आपको बता चुके हैं इसके पीछे कहीं न कहीं. पूर्वांचल से लेकर समूचे यूपी में मुस्लिम वोट को खींचने की चाहत मानी जा सकती है. पूर्वांचल में कुल 28 जिले हैं, जिनमें 83 फीसदी हिंदू हैं जबकि 17 फीसदी संख्या मुस्लिमों की है. 

हालांकि कमाल की बात ये है कि मुख्तार अंसारी की पूर्वांचल के जिन जिलों में तूती बोलती थी. उनमें से टॉप 5 मुस्लिम आबादी वाले जिलों में सिर्फ 2 पर ही मुख्तार अंसारी का सीधा प्रभाव था...बाकी की तीन सीटें बहराइच, श्रावस्ती और बलरामपुर पर उसका आंशिक असर ही माना जा सकता है...लेकिन पूर्वांचल के उन्हीं 17 फीसदी मुस्लिमों के साथ सियासी पार्टियां अपनी जोड़तोड़ के साथ जीत का समीकरण गढ़ती रही हैं. 

पूर्वांचल के इस M+Y फैक्टर में छिपा है राज

यह हम क्यों कह रहे हैं, इसे आप इन आंकड़ों से समझिए. पूर्वांचल में M+Y फैक्टर मिलकर करीब 30 फीसदी वोटर हैं. इनके साथ SC-ST के 20 फीसदी वोटों में से कुछ शिफ्ट हो जाते हैं तो यहां पर जीत के आंकड़े सेट हो जाते हैं. लेकिन अगर अनुसूचित जाति के वोट NDA के वोटर ब्राम्हण- राजपूत-कुर्मी के साथ राजभर और मौर्य के साथ चला जाता है तो उधर भी वोटों का आंकड़ा 40 फीसदी से ऊपर हो जाता है. इसीलिए जो दल आज मुख्तार की मौत पर सवाल उठा रहे हैं वो समझते हैं कि पूर्वांचल में  M+Y समीकरण के क्या मायने हैं. 

कब तक माफियाओं को चुनते रहेंगे हम?

मुख्तार अंसारी एक माफिया था. सब जानते हैं. 63 की उम्र में 63 से ज्यादा आपराधिक मामले थे. फिर भी 5 बार माननीय बना. कभी समाजवादी पार्टी ने गले लगाया तो कभी सुविधानुसार बहुजन समाज पार्टी ने. सवाल है फिर क्यों चुनते हैं तो इस पर कभी और बात करेंगे. इस पर देश के सभी लोगों को ठंडे दिमाग से सोचना होगा वरना मुख्तार अंसारी जैसे माफिया- गुंडे समाज को यूं ही धमकाते रहेंगे. 

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