ST Hasan News: एसटी हसन ने इस बारे में एक बार फिर से पूछा गया तो उनके अंदाज बदले नजर आए. उन्होंने कहा कि पार्टी मुखिया अखिलेश के अगल-बगल में आरएसएस के लोग छिपे हैं, जो उन्हें मिसगाइड करते हैं. इसके कारण मेरा टिकट काटा गया है.
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Moradabad Lok Sabha Seat: लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखकर वैसे तो सभी पार्टियां अपने उम्मीदवारों के ऐलान में लगी हैं लेकिन बीच-बीच में कुछ ऐसी सीटों की कहानी चर्चा में आ रही है जहां बड़ा ही दिलचस्प नजारा सामने आ जाता है. इसी कड़ी में उत्तर प्रदेश की मुरादाबाद सीट हाल ही में जबरदस्त लाइमलाइट में रही जहां समाजवादी पार्टी ने अपने उम्मीदवार का नाम घोषित किया लेकिन फिर नाटकीय ढंग से बदलना पड़ा. वह भी तब जब उम्मीदवार का नामांकन हो चुका था. हुआ यह कि सपा ने पहले एसटी हसन का नाम घोषित किया और उन्होंने नामांकन भी कर दिया था. लेकिन नामांकन के एक दिन बाद उम्मीदवार का नाम बदलना पड़ा.
असल में मुरादाबाद सीट पर एसटी हसन की जगह आजम खान की करीबी कही जाने वाली रुचि वीरा को उम्मीदवार बनाया गया है. उनकी उम्मीदवारी तब आई जब महज एक दिन पहले ही एसटी हसन ने नामांकन दाखिल किया था. इसके बाद कयास लगाए गए सब स्क्रिप्ट जेल से आजम खान के इशारे पर बदल दी गई.
नामांकन कर दिया लेकिन..
मुरादाबाद सीट की राजनीति पर नजर रखने वाले राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि एसटी हसन ने सपा मुखिया अखिलेश यादव की आजम खान से मुलाकात के समय ही आजम ने रुचि वीरा को ही मुरादाबाद सीट से लड़ाने का प्रस्ताव रखा था. लेकिन चूंकि अखिलेश यादव यहां से एसटी हसन की वकालत कर चुके थे ऐसे में उनके सामने भी पशोपेश की स्थिति थी. फिर वही हुआ जिसका अंदेशा था. एसटी हसन ने तो नामांकन कर दिया लेकिन औपचारिक तौर पर उनके नाम का ऐलान नहीं हुआ था. फिर अगले ही दिन उम्मीदवार बदल दिया गया.
'उनका हिसाब बराबर हो गया'
लेकिन इस निर्णय के बाद एसटी हसन ने पहले तो बेहद सधे तरीके से अपनी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि पिछली बार आजम खान साहब ने ही मुझे टिकट दिलाया था, अब शायद उन्होंने ही मेरा टिकट कटवा दिया. उनका हिसाब बराबर हो गया. उन्होंने लगे हाथ यह भी कह दिया कि आजम साहब अखिलेश जी पर भारी नहीं पड़े हैं. बस अखिलेश यादव उनका लिहाज करते हैं. उन्होंने आजम खान की फीलिंग्स को कंपेंसेट करने के लिए ऐसा किया है.
क्या जेल में बदली स्क्रिप्ट?
बाद में एसटी हसन ने यह भी कहा कि टिकट कटना एसटी हसन की शख्सियत को खत्म नहीं कर सकता, जो विचारधारा हमारी है, जो विचारधारा मुलायम सिंह यादव की थी और जो विचारधारा अखिलेश यादव जी की है हम उसी के साथ हैं. अब इस मामले पर कोई कुछ भी बयान दे लेकिन सच तो यही है कि आजम के दबाव में ही इस सीट का प्रत्याशी बदला गया है. फिलहाल सपा ने रामपुर सीट के लिए भी उम्मीदवार का ऐलान नहीं किया है.
रामपुर के प्रत्याशी पर जनता की नजर..
अब देखना होगा कि रामपुर से सपा किसको टिकट देगी. यह दिलचस्प है कि उसी मुलाकात में आजम खान ने अखिलेश से खुद रामपुर की सीट पर चुनाव लड़ने की गुजारिश की थी और वे चाहते थे कि यहां से अखिलेश चुनाव लड़ें. हालांकि इसके पीछे उनकी मंशा क्या थी, वे ही जानें लेकिन रामपुर के प्रत्याशी पर जनता की नजर जरूर रहेगी.
जब एसटी हसन ने इस बारे में एक बार फिर से पूछा गया तो उनके अंदाज बदले नजर आए. उन्होंने कहा कि पार्टी मुखिया अखिलेश के अगल-बगल में आरएसएस के लोग छिपे हैं, जो उन्हें मिसगाइड करते हैं. इसके कारण मेरा टिकट काटा गया है. उन्होंने कहा कि वह मुरादाबाद में पार्टी का प्रचार नहीं करेंगे. उन्होंने कहा कि मेरे ऊपर न तो दाग धब्बा है, न ही मैं भू माफिया हूं, मैं तो एक डाक्टर हूं.
मालूम हो कि एसटी हसन 2006 से 2012 तक मुरादाबाद के महापौर रह चुके हैं. वह 2014 के लोकसभा चुनाव में सपा उम्मीदवार के रूप में मुरादाबाद से मैदान में उतरे थे, लेकिन भाजपा से हार गए थे. पार्टी ने 2019 में हसन को मुरादाबाद से दोबारा उम्मीदवार बनाया था और वह अच्छे वोटों से जीते थे.