SY Quraishi on Arvind Kejriwal: जब से दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल गिरफ्तार हुए हैं, पूरे विपक्षी खेमे में खलबली मची हुई है. वोटिंग शुरू होने से ठीक एक महीने पहले इस ऐक्शन से सरकार पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं. विपक्ष का INDIA गठबंधन रामलीला मैदान पर रैली करने जा रहा है. लोकसभा चुनाव के बीच पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी ने महत्वपूर्ण सवाल खड़ा किया है.
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Delhi CM Arvind Kejriwal Arrest: करीब 8 दशक के इतिहास में भारत की राजनीति में कई उतार-चढ़ाव देखे गए हैं. इस बार भी लोकसभा चुनाव में अलग ही सीन बना है. करीब 25 दिन बाद वोटिंग शुरू हो जाएगी और विपक्ष के खेमे में प्रचार से ज्यादा एक मुख्यमंत्री की गिरफ्तारी और कांग्रेस के बैंक खाते जब्त होने का शोर है. सत्तापक्ष इसे भ्रष्टाचार के खिलाफ सरकार का सख्त संदेश बता रहा है तो विपक्षी दल खुद को कमजोर किए जाने का आरोप लगा रहे हैं. ऐसे में पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी ने बीबीसी को दिए एक इंटरव्यू में गंभीर सवाल उठाए हैं.
कुरैशी बोले, 2 महीने और इंतजार कर सकते थे
पूर्व CEC कुरैशी ने कहा कि कांग्रेस के तीन नेताओं की संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस देखकर दुख हुआ जब पार्टी ने कहा कि 36 साल पुराना केस है, दूसरा सात साल पुराना है. 14 लाख-18 लाख रुपये के केस के लिए 200 करोड़ रुपये ब्लॉक हो गए. हमारे पास रेलवे टिकट खरीदने के लिए पैसे नहीं हैं... सुनकर अच्छा नहीं लगा. उन्होंने कहा कि हम लोग जब इलेक्शन कराते थे. हम बार-बार इस्तेमाल करते रहे हैं Level Playing Field. चुनाव आयोग की कोशिश होती है, कानून में प्रावधान भी है कि सबको बराबर कॉम्पिटिशन का मौका मिले. उन्होंने सवाल किया कि अगर एक पार्टी के फंड पर अंकुश लगा दिया गया तो लेवल प्लेइंग फील्ड डिस्टर्ब होती है. कई साल पुराने केस थे तो क्या 2 महीने और इंतजार नहीं किया जा सकता था?
चुनाव आयोग क्या कर सकता है?
इस सवाल के जवाब में कुरैशी ने कहा कि मेरे ख्याल से चुनाव आयोग डिपार्टमेंट से कह सकता है कि भाई कोई आतंकवाद का केस तो है नहीं कि आतंकी भाग जाएगा. 2 महीने बाद कर लेना जो कुछ करना है. पूर्व सीईसी ने कहा कि देखने में ये चीज भद्दी लगी. चुनाव आयोग ऐसा कह सकता है क्योंकि उसका काम स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराना है.
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केजरीवाल की गिरफ्तारी
हां, दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी पर कुरैशी ने कहा कि कई साल से मामला चल रहा था, समन आ रहे थे, वह नहीं जा रहे थे लेकिन देखनेवालों को तो अब यही लगेगा कि इलेक्शन से पहले एक चीफ मिनिस्टर जेल में गए और अब दूसरे गए. देखने में तो यह भद्दा लगता है.
रूस का नाम क्यों लिया?
क्या आदर्श आचार संहिता लागू होने के बाद इस तरह की गिरफ्तारी के बारे में एजेंसियों को चुनाव आयोग को बताना जरूरी होता है? पूर्व सीईसी ने इस पर कहा, 'इस किस्म का केस पहले नहीं आया. अगर आता भी तो देखने में यही लग रहा है कि... जैसे रूस में हमने यही सुना है कि विपक्ष के सभी नेता जेल में डाल दिए गए. अब यहां दो सीएम जेल में पड़े हों और लोग उसे सिमिलर (एक जैसा) मानें तो हमारे लिए दुख की बात है.'
सरकार का अपना तर्क है कि एजेंसियां अपना काम कर रही हैं. इस पर पूर्व CEC ने कहा कि एजेंसियां इतनी स्वतंत्र तो हैं नहीं.
दिल्ली में जब रात के समय पूर्व प्रधानमंत्री को किया गया गिरफ्तार