Prashant Kishor On Bengal BJP: पश्चिम बंगाल कभी लेफ्ट का किला था जो अब ममता बनर्जी का गढ़ बन चुका है. हालांकि प्रशांत किशोर की मानें तो लोकसभा चुनाव में भाजपा नंबर वन पार्टी बनकर उभर सकती है. आइए इस दावे को परखते हैं.
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Prashant Kishor West Bengal Politics: प्रशांत किशोर ने कई साल चुनाव रणनीतिकार के तौर पर काम किया है. ऐसे में लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर उनका नजरिया अहम हो जाता है. उन्होंने एक इंटरव्यू में दावा किया है कि भाजपा अपने दम पर 370 नहीं जी सकती है. हां, वह सबसे बड़ी पार्टी बन सकती है, 300 से ज्यादा सीटें भी आ सकती हैं. उन्होंने आगे मुस्कुराते हुए कहा कि एनडीए को तो 400 आ ही जाएगा क्योंकि जो जीतेगा वो एनडीए में आ जाएगा. पीके ने भविष्यवाणी की है कि तमिलनाडु में भाजपा का वोट शेयर बढ़ेगा और वह पहली बार डबल डिजिट में होगा. तेलंगाना में वह पहली या दूसरी बड़ी पार्टी होगी. ओडिशा के लिए उन्होंने दावा किया कि बीजेपी नंबर वन रहेगी. साथ ही भगवा दल बंगाल में भी नंबर वन हो सकता है.
TMC के पास है वो रिकॉर्ड
प्रशांत किशोर ने साफ कहा कि लोग हैरान होंगे लेकिन बंगाल में भाजपा नंबर वन पार्टी बनकर उभर सकती है. ऐसे में यह समझना जरूरी है कि भाजपा बंगाल में इतना बड़ा खेला कैसे करने जा रही है? PK की भविष्यवाणी इसलिए भी अहम है क्योंकि पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा ने अपना जनाधार काफी बढ़ा लिया था. लोकसभा चुनाव की बात करें तो 2019 में टीएमसी को 43.3 प्रतिशत तो भाजपा को 40.2 प्रतिशत वोट मिले थे. पश्चिम बंगाल में लोकसभा चुनाव में किसी पार्टी के पास अगर सबसे ज्यादा सीटें जीतने का रिकॉर्ड है तो वह टीएमसी के पास है. 2014 में ममता बनर्जी की पार्टी ने 42 में से 34 सीटें जीती थीं.
संदेशखाली से बदली हवा?
ममता दीदी ने बंगाल के घर-घर में जगह बनाई है. लोग उन्हें पसंद करते हैं. हाल के जनादेश इसका उदाहरण हैं. हालांकि इस बार उत्तर 24 परगना जिले के संदेशखाली कांड के चलते हवा का रुख कुछ बदला है. दीदी के राज में महिलाएं यौन उत्पीड़न का शिकार? यह सवाल महिला वोटरों में नाराजगी बढ़ाता दिखाई देता है. हालांकि क्या इस सवाल के आधार पर जनता वोट देगी, कहा नहीं जा सकता.
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कुछ स्थानीय पत्रकारों की मानें तो संदेशखाली का मुद्दा भाजपा ने जोर शोर से भले उठाया है लेकिन इसका उतना असर बंगाल में नहीं दिखने वाला. दरअसल, बशीरहाट लोकसभा की सात में से एक विधानसभा संदेशखाली है. इसका असर आसपास की कई विधानसभा में देखने को मिल सकता है लेकिन पूरे राज्य में असर होगा, ऐसा नहीं लगता. ज्यादा असर इसलिए भी नहीं होगा क्योंकि बशीरहाट में मुस्लिम आबादी काफी ज्यादा है और वे टीएमसी के पक्के वोटर रहे हैं.
भाजपा के साथ मतुआ
बंगाल के वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि मतुआ बहुल इलाकों में भाजपा टीएमसी को कड़ी टक्कर दे सकती है. भाजपा ने लोकसभा चुनाव से ठीक पहले इस वोटबैंक को अपने लिए पक्का कर लिया है. जी हां, नागरिकता (संशोधन) कानून यानी CAA लागू होने से बंगाल के करीब एक करोड़ आबादी वाले मतुआ समुदाय को फायदा होगा.
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मतुआ आबादी 5 लोकसभा सीटों- बशीरहाट, बनगांव, कृष्णनगर, जलपाईगुड़ी और अलीपुर में फैली हुई है. यहां इनकी आबादी 25-30% तक बताई जाती है. अगर इन्होंने भाजपा को वोट किया तो वोट शेयर बढ़ना तय है.
टीएमसी के साथ मुस्लिम
हां. ममता बनर्जी की पार्टी मुस्लिम वोटबैंक को अच्छे से साध रही है. शायद इसीलिए कांग्रेस और लेफ्ट दलों से हाथ न मिलाने का फैसला किया गया. एक रिपोर्ट के मुताबिक बंगाल में अल्पसंख्यक आबादी 30 प्रतिशत से भी ज्यादा है. अगर अल्पसंख्यक वोट नहीं बंटते हैं तो भाजपा और टीएमसी में अच्छी फाइट देखने को मिल सकती है.
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बंगाल के 7 करोड़ से ज्यादा वोटरों में साढ़े तीन लाख महिलाएं हैं. पिछले विधानसभा चुनाव में 55 प्रतिशत महिलाओं ने टीएमसी को वोट किया था. इस बार टीएमसी महिलाओं पर केंद्रित अपनी कल्याणकारी योजनाओं का खूब प्रचार कर रही है. पिछली बार टीएमसी को मिलीं 22 सीटें और 43.3 प्रतिशत वोट के मुकाबले भाजपा को मिली 18 सीटें और 40.2 प्रतिशत वोट शेयर के आंकड़े को देखें तो 1-2 प्रतिशत से खेला हो सकता है. कांग्रेस और लेफ्ट को ज्यादा उम्मीद नहीं है. ऐसे में बंगाल को लेकर प्रशांत किशोर की भविष्यवाणी सच भी हो सकती है.