कभी था माओवादियों का कमांडर चीफ, अब बन गया लोकतंत्र का कट्टर समर्थक... जानिए कोल्हा की कहानी
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कभी था माओवादियों का कमांडर चीफ, अब बन गया लोकतंत्र का कट्टर समर्थक... जानिए कोल्हा की कहानी

Maharashtra Assembly Election: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के दौरान कुछ पूर्व माओवादी भी वोट डालेंगे. इनमें एक बड़ा नाम विलास कोल्हा का है जो पहले माओवादियों का कमांडर इन चीफ था और कभी चुनावों को बाधित करने की हर मुमकिन कोशिश करता था. हमले करता था, ईवीएम तोड़ता था लेकिन अब उसकी पूरी जिंदगी बदल गई है. 

कभी था माओवादियों का कमांडर चीफ, अब बन गया लोकतंत्र का कट्टर समर्थक... जानिए कोल्हा की कहानी

Kolha Vilas: 20 नवंबर को महाराष्ट्र विधानसभा की 288 सीटों के लिए वोट डाले जाएंगे. लोकतंत्र के इस महोत्सव में लाखों वोटर्स अपने वोट डालेंगे और अपने राज्य में सरकार का निर्वाचन करेंगे. 20 नवंबर 2024 को जब वोट डाले जा रहे होंगे तो गढ़चिरौली के एक मतदान केंद्र पर विलास कोल्हा भी लाइन में खड़ा होंगा. उसका वोट डालना लोकतंत्र की जीत इसलिए है क्योंकि वो एक समय में चुनावों को बाधित करने की हर मुमकिन कोशिश करता था. क्योंकि वो पहले माओवादी था. माओवादी के तौर पर एक लंबी जिंदगी गुजारने के बाद उसने आत्मसमर्पण कर दिया था और अब लोकतंत्र का समर्थक बन गया है. 

विलास कोल्हा मध्य भारत के गढ़ अबूझमाड़ का पूर्व माओवादी कमांडर-इन-चीफ था. उसके खिलाफ 149 आरोप दर्ज थे और 9.5 लाख रुपये का इनाम था. हालांकि तीन साल पहले उसने अपनी इस जिंदगी को अलविदा कह दिया था. आत्मसमर्पण करते हुए लोकतंत्र का कट्टर समर्थक बन गया था. वह गढ़चिरौली के तीन निर्वाचन क्षेत्रों में वोट डालने वाले 137 आत्मसमर्पण करने वाले माओवादियों में से एक है. उसने पहली बार 2024 के लोकसभा चुनावों के दौरान अपना वोट डाला.

लोकतंत्र के लिए कर रहा है काम

एक समय चुनावों को कमजोर करने के लिए समर्पित कोल्हा की कहानी अब तेजी से बदल रही है.  गढ़चिरौली के एसपी नीलोत्पल ने कहा कोल्हा के नेतृत्व में पिछले 2 वर्षों में 21 माओवादियों ने आत्मसमर्पण किया है, 54 को गिरफ्तार किया गया है और 33 को मार गिराया गया है. कोल्हा एक आईईडी एक्सपर्ट है और एके-47 के साथ उसने आत्मसमर्पण किया था. नीलोत्पल ने कहा,'आत्मसमर्पण करने वाले माओवादी अब विघटनकारी विचारधाराओं को नकारने और अपनी भूमि के विकास के लिए निर्वाचित सरकारों का समर्थन करने के लिए अभियान चला रहे हैं.'

क्यों बना था माओवादी?

कोल्हा माओवादियों में तब शामिल हुआ जब उनकी मां को डायन करार दिया गया और लगभग उनकी हत्या कर दी गई. 2021 में अपने आत्मसमर्पण के बाद से उन्होंने अधिकारियों को बताया है कि कैसे उन्होंने एक बार चुनावों को बाधित करने, बूथों में तोड़फोड़ करने और अधिकारियों पर घात लगाने के लिए पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी का नेतृत्व किया था. कोल्हा चुनाव दलों के लिए जाल बिछाता था और धमाके करता था. 

ड्राइवर के तौर पर कर रहा नौकरी

रिपोर्ट्स के मुताबिक कोल्हा ने दूरदराज के गांवों में बैठकें करता था. आदिवासी ग्रामीणों से चुनावों का बहिष्कार करने का आग्रह किया करता था और राजनेताओं को इन बस्तियों में दाखिल होने से रोकने के लिए हिंसक अभियान आयोजित किए. उसने चुनावों को बाधित करने के लिए हत्याओं की योजना भी बनाई थी और ईवीएम को नष्ट कर दिया था. हालांकि आत्मसमर्पण के बाद अब वो पुरी तरह से बदल गया और अब वह एक स्टील प्लांट के लिए ड्राइवर के रूप में काम करता है. 

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