Bajrang Bali: गुरु दत्त लॉन्च करने वाले थे इस हट्टे-कट्टे एक्टर को, लेकिन किस्मत में लिखा था राम भक्त हनुमान बनना
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Bajrang Bali: गुरु दत्त लॉन्च करने वाले थे इस हट्टे-कट्टे एक्टर को, लेकिन किस्मत में लिखा था राम भक्त हनुमान बनना

Hercules Bollywood Actor: गुरु दत्त ने हिंदी फिल्मों को कई नए चेहरे दिए. वह अपनी फिल्मों के लिए लगातार नए कलाकारों को ढूंढते थे. जॉनी वॉकर ने उन्हें एक हट्टे-कट्ट सुदर्शन युवक से मिलवाया. नाम था, दाऊद. जो आगे चलकर फिल्मों में हरक्यूलिस के नाम से पहचाने गए और पर्दे पर हनुमान बनकर भी आए.

 

Bajrang Bali: गुरु दत्त लॉन्च करने वाले थे इस हट्टे-कट्टे एक्टर को, लेकिन किस्मत में लिखा था राम भक्त हनुमान बनना

Hanuman: सिनेमा किस्मत का खेल है. लेकिन यहां कई एक्टर खेल के मैदान से भी आए हैं. केवल क्रिकेट ही नहीं, बल्कि कुश्ती और बॉडी बिल्डिंग वालों का भी यहां बोलबाला रहा है. खास तौर पर स्टंट तथा एक्शन करने वाले ऐक्टरों ने कुश्ती और बॉडी बिल्डिंग के रास्ते फिल्मों में जगह बनाई. इन्हीं में थे, 1960 के दशक के चर्चित कलाकार हरक्यूलिस. फिल्मों में आने से पहले वह पहलवान और बॉडी बिल्डर थे. यह वही दौर था, जब दारा सिंह, आजाद और रंधावा जैसे एक्शन तथा स्टंट करने वाले एक्टरों की नई पीढ़ी पी. जयराज और रंजन जैसे उस दौर के सितारों की जगह ले रही थी.

कहानी हुई फाइनल
उस दौर के संगीतकार अजीम भाई और फाइट मास्टर डगलस ने हरक्यूलिस को 1950 के दशक में अभिनेता नासिर खान और कामरान खान के लिए स्टंट करने वाले एक्टर के रूप में फिल्मों में काम दिलाया. हरक्यूलिस का असली नाम था, दाऊद. दाऊद आर्थिक रूप से कमजोर परिवार से थे और फिल्मों से आजीविका के लिए साड़ी बुनकर तथा डिजाइनर के तौर पर काम करते थे. 1951 में उन्हें कामरान खान और नासिर खान के डुप्लीकेट के रूप में काम मिला. वह मजबूत कद-काठी के सुंदर युवक थे. फिल्म कागज के फूल के सेट पर हरक्यूलिस की मुलाकात दिग्गज निर्माता-निर्देशक गुरुदत्त से हुई. गुरुदत्त उन्हें फिल्म हीरो के तौर पर लॉन्च करना चाहते थे और कहानी भी फाइनल कर ली थी. यह कहानी मछुआरों की जिंदगी पर थी, जिसमें हरक्यूलिस को लॉन्च किया जाना था. जॉनी वॉकर ने गुरु दत्त से हरक्यूलिस को मिलवाकर उनकी सिफारिश की थी.

फिर बने खलनायक
जब लॉन्चिंग की बातें चल ही रही थी कि अचानक गुरु दत्त की मौत की खबर आई और यह फिल्म कभी नहीं बन सकी. इसके बाद निर्देशक सुल्तान दोसानी ने दाऊद को फिल्म जालिम जमींदार में हीरो के रूप में लॉन्च किया. उन्होंने ही दाऊद को नया नाम दिया, हरक्यूलिस. परंतु फिल्म फ्लॉप रही. स्टंट हीरो के रूप में फ्लॉप होने के बाद हरक्यूलिस ने खलनायक और उसके गुर्गों की भूमिकाएं निभानी शुरू कर दी थी. 1970 के दशक में वह कई फिल्मों में सहायक अभिनेता के रूप में आए. लेकिन फिर 1981 में उन्हें बड़ा मौका मिला. जब निर्माता-निर्देशक बाबू भाई मिस्त्री ने उन्हें अपनी फिल्म महाबली हनुमान में लीड रोल दिया. हरक्यूलिस हनुमान बनकर पर्दे पर आए. इससे पहले वह 1974 में भी फिल्म हनुमान विजय में बजरंग बली की भूमिका में थे और सती नाग कन्या (1983) में भी उन्होंने हनुमान का ही रोल निभाया था.

तरह-तरह के किरदार
हरक्यूलिस ने लगभग सौ फिल्मों में काम किया. जिनमें पौराणिक किरदारों से लेकर गुंडे और डाकू के रोल निभाए. जंगल किंग और ब्लैक कैट (दोनों 1959) से छोटी-छोटी भूमिकाएं निभाते हुए वह फिल्मों में हीरो बने. वह जालिम जादूगर (1960) ब्लैक मैजिक (1963) और ब्लैक एरो (1965) में नायक बनकर आए. कोबरा गर्ल (1963), मैजिक कार्पेट (1964) तथा टार्जन और जादुई चिराग (1966) जैसी फिल्मों में चरित्र भूमिकाएं की. खूनी साया (1970) और रॉबिन हुड से प्रेरित सखी लुटेरा (1969) उनकी प्रमुख फिल्मों में शामिल हैं.

 

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