Emran Hashmi Film: आजादी के बाद देश में भ्रष्टाचार हमेशा ही बड़ा मुद्दा रहा है. फिल्मों ने ऐसे कई हीरो दिए जो पर्दे पर भ्रष्ट सिस्टम और भ्रष्ट नेताओं से लड़ते हैं. करण जौहर ने भी अपने बैनर की फिल्म उंगली में भ्रष्टाचार से लड़ने के कुछ नए आइडिये दिए. परंतु दर्शकों ने रिजेक्ट कर दिए.
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Kangna Ranaut Film: करण जौहर ने अधिकतर बड़े स्टार्स के साथ ही फिल्में बनाई है. चाहे फिल्में प्रोड्यूस की हो या डायरेक्ट, दोनों ही स्तर पर उनकी फिल्मों में शाहरुख खान, सलमान खान, रणबीर कपूर और ऋतिक रोशन जैसे बड़े स्टार्स रहे हैं. लेकिन उनके प्रोडक्शन की एक फिल्म ऐसी आई थी, जिसमें उन्होंने इमरान हाशमी, रणदीप हुड्डा जैसे मध्यम दर्जे के स्टार्स को अपनी फिल्म में कास्ट किया था. फिल्म थी, उंगली. 2014 में रिलीज यह एक क्राइम-थ्रिलर थी. करण जौहर ने अपनी कंपनी धर्मा प्रोडक्शंस के बैनर तले फिल्म को प्रोड्यूस किया था तथा रेंसिल डिसिल्वा ने इसका निर्देशन किया था. इमरान और रणदीप के संग कंगना रनौत, नेहा धूपिया, अंगद बेदी, नील भूपलम तथा संजय दत्त की फिल्म में मुख्य भूमिकाएं थी. फिल्म बॉक्स ऑफिस पर बुरी तरह फेल रही. 39 करोड़ के बजट में बनी यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर मात्र 25 करोड़ का कलेक्शन कर पाई.
यह थी कहानी
उंगली की कहानी में चार दोस्त अभय (रणदीप हुड्डा), माया (कंगना रणावत), गोटी (नील भूपलम) और कलीम (अंगद बेदी) थे, जो भ्रष्चार के खिलाफ अभियान छेड़े हुए हैं. जब चार दोस्तों को लगता है कि आम जनता की कहीं सुनवाई नहीं है, तब वह उसे इंसाफ दिलाने के मकसद से उंगली गैंग बनाते हैं. पब्लिक इस उंगली गैंग के काम से खुश है. गैंग के अच्छे इरादों को जानते हुए एक इंस्पेक्टर भी इस टीम का हिस्सा बन जाता है.
रंग दे बसंती के आगे
रंग दे बसंती जैसी सुपरहिट फिल्म लिख चुके रेंसिल डिसिल्वा के निर्देशन के साथ उंगली की राइटिंग भी की थी. मगर वह बुरी तरह असफल रहे. उनकी स्क्रिप्ट कमजोर थी. कहानी के नाम पर छोटे-छोटे दृश्य गढ़े गए थे. जिनमें से ज्यादातर में दम नहीं था. बतौर डायरेक्टर उन्होंने कई ऐसे सीन शूट किए थे, जो ड्रामा जैसे लगते है. अभिनय के स्तर पर भी उंगली कमजोर फिल्म साबित हुई. फिल्म को देखते हुए आपको लगातार अहसास होता है कि कलाकार कैमरे के सामने शॉट देकर सिर्फ अपनी ड्यूटी निभा रहे हो. इमरान, रणदीप और कंगना जैसे आज मंजे हुए कहलाने वाले कलाकारों की एक्टिंग भी कमजोर थी. फिल्म का सब्जेक्ट जरूर अच्छा था, लेकिन लेखक-निर्देशक डिसिल्वा अपनी बात लोगों तक ठीक ढंग से पहुंचाने में नाकाम रहे.
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