Ek Din Ek Film: इसके जैसी नहीं है कोई दूसरी फिल्म, अपनी खामोशी से छू लिया दर्शकों का दिल
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Ek Din Ek Film: इसके जैसी नहीं है कोई दूसरी फिल्म, अपनी खामोशी से छू लिया दर्शकों का दिल

Pushpak: भारत में बनी कुछ अनूठी फिल्मों में पुष्पक का नाम जरूर शामिल रहता है. मूक फिल्मों के दौर के करीब 56 साल बाद यह ऐसी फिल्म थी, जो वही एहसास दिलाती थी. फिल्म में बैकग्राउंड म्यूजिक जरूर था मगर एक भी डायलॉग नहीं. कमल हासन और अमला की पुष्पक उस साल दुनिया की 100 सर्वश्रेष्ठ फिल्मों में शुमार थी.

 

Ek Din Ek Film: इसके जैसी नहीं है कोई दूसरी फिल्म, अपनी खामोशी से छू लिया दर्शकों का दिल

Kamal Haasan Film: भारत में 1931 में फिल्म आलम आरा के साथ फिल्मों ने बोलना शुरू कर दिया था और उसके बाद फिर मुड़ कर नहीं देखा. बेहतरीन डायलॉग और गीत-संगीत वाली फिल्मों के दौर में एक से बढ़ कर एक फिल्में बनीं. मगर 1987 में कमल हासन की फिल्म पुष्पक ने सबको चौंका दिया दिया क्योंकि मूक-फिल्मों के युग के बाद पहली बार कोई ऐसी फिल्म बनी थी, जिसमें डायलॉग नहीं थे. फिल्म के निर्माता-निर्देशक थे संगीतम श्रीनिवास राव. मूल रूप से यह तमिल थी और निर्माता-निर्देशक का कहना है कि इसे मूक यानी साइलेंट कहना ठीक नहीं क्योंकि फिल्म में गीत-संगीत है, रेडियो बजता सुनाई देता है. वास्तव में इसे ‘डायलॉग-लैस’ कहना चाहिए.

नौजवान का अमीर सपना
पुष्पक को तमिल, तेलुगु, कन्नड़ और हिंदी में रिलीज किया गया था. साउथ में इसका नाम था पुष्पक विमानम. कमल हासन के साथ फिल्म में नायिका के तौर पर अमला थीं. इन कलाकारों के साथ इसमें टीनू आनंद, फरीदा जलाल, राम्या कृष्णन, समीर खाखर जैसे ऐक्टर थे. फिल्म की कहानी एक नौजवान ग्रेजुएट (कमल हासन) की थी, जो अमीर व्यक्ति की तरह जीकर देखना चाहता है. तब वह एक बड़े उद्योगपति (समीर खाखर) का अपहरण करके उसकी जगह ले लेता है. समस्या तब शुरू होती है, जब एक हत्यारा (टीनू आनंद) उद्योगपति की हत्या की सुपारी लेकर इस नौजवान के पीछे लग जाता है. अब नौजवान ग्रेजुएट उसके निशाने पर है. इस ग्रेजुएट को उद्योगपति की बेटी (अमला) से प्यार हो जाता है और यह लव स्टोरी भी फिल्म में चलती है.

मिला बड़ा सम्मान
पुष्पक उस साल की जबर्दस्त हिट थी और पूरी दुनिया में इसकी चर्चा हुई. इस फिल्म को उस बरस दुनिया में बनी टॉप 100 फिल्मों की सूची में रखा गया. यह किसी भारतीय फिल्म के लिए बड़ा सम्मान था. फिल्म को 1988 में साल की सर्वश्रेष्ठ मनोरंजक फिल्म का अवार्ड भी मिला था. इस फिल्म में हत्यारे के रूप में अमरीश पुरी को लिया जाना था, मगर उनकी जगह बाद में टीनू आनंद आए. यह फिल्मों में उनका एक्टिंग डेब्यू था. इस तरह पहले फिल्म में हीरोइन को रूप में उस दौर की कामयाब एक्ट्रेस नीलम को लिया जा रहा था, परंतु नीलम को रोल नॉन ग्लैमरस लगा. उन्होंने इस रोल के लिए चमक-दमक वाले कॉस्ट्यूम की डिमांड की तब डायरेक्टर ने अमला को साइन किया. सत्यजित रे और राज कपूर जैसे दिग्गजों ने फिल्म को सराहा था. आज भी फिल्म की लोकप्रियता बरकरार है और आईएमडीबी पर इसकी रेटिंग आज 8.6 है. यह अवश्य देखने योग्य फिल्म है. इसे आप यूट्यूब पर फ्री देख सकते हैं.

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