Rajesh Khanna Career: सुपरस्टार राजेश खन्ना ने खुद को फिल्मों में जमाने के लिए अपनी ओर से कोई कसर बाकी नहीं रखी. वह धनी परिवार से आए थे और स्ट्रगल के दिनों महंगी कार से स्टूडियोज में जाते थे. लेकिन एक फिल्म की शूटिंग के दौरान निर्माता-निर्देशक के अपमान के विरुद्ध उन्होंने भगवान के दरबार में अर्जी लगाई...
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Rajesh Kahnna Films: कहते हैं कि भगवान की लाठी में आवाज नहीं होती. सच्चे दिल से की गई प्रार्थना स्वीकार होती है. ऐसी ही प्रार्थना राजेश खन्ना तब भगवान से की थी, जब वह फिल्म इंडस्ट्री में नए थे. खुद को जमाने के लिए रात-दिन एक करते हुए वह खूब मेहनत कर रहे थे. इसके बावजूद एक फिल्म में जब निर्माता-निर्देशक ने उनसे बहुत खराब बर्ताव किया तो राजेश खन्ना का दिल टूट गया. तब उन्होंने मंदिर में जाकर भगवान की शरण ली. यह बात है फिल्म औरत (1967) की मेकिंग की. राजेश खन्ना फिल्म इंडस्ट्री में एक टैलेंट हंट के रास्ते आए थे. वह युनाइटेड प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन की प्रतियोगिता में जीते थे. राजेश खन्ना का इस एसोसिएशन से कॉन्ट्रेक्ट था कि पांच साल तक वह जो भी फिल्म साइन करेंगे, उसका पचास फीसदी इस एसोसिएशन के खाते में जमा होगा. साथ ही निर्माताओं को राजेश खन्ना की साइनिंग का पूरा रिकॉर्ड एसोसिएशन को देकर उसकी मंजूरी लेनी होती थी.
जेब से दिया पैसा
अनुबंध की इतनी सारी शर्तें राजेश खन्ना को पसंद नहीं थी, परंतु वह मजबूर थे. वह दो फिल्में कर चुके थे, आखिरी खत (1966) और राज (1967). तीसरी फिल्म के लिए साउथ के साउथ की जैमिनी पिक्चर्स के निर्माता-निर्देशक एस.एस. वासन उन्हें साइन करना चाहते थे. फिल्म का निर्देशन वासन के बेटे एस.एस. बालन ने किया. युनाइटेड प्रोड्यूसर्स ने राजेश खन्ना की फीस 60 हजार तय की थी. वासन सिर्फ 30 हजार देना चाहते थे. राजेश खन्ना को करियर में आगे बढ़ना था तो उन्होंने वासन को अपनी जेब से 30 हजार रुपये दिए, ताकि एसोसिएशन को उनकी पूरी फीस दे सकें. वासन ने युनाइटेड प्रोड्यूसर्स को 60 हजार देकर राजेश खन्ना को साइन कर लिया.
अपमान और अन्याय
राजेश खन्ना तब हैरान हो गए, जब निर्देशक वासन ने उनके इस कदम की जरा भी इज्जत नहीं की. वह इस मल्टीस्टारर फिल्म की शूटिंग के दौरान बार-बार राजेश खन्ना को दूसरे एक्टरों और लोगों के सामने अपमानित करते रहे. चिल्लाते रहे. सबके सामने छोटा दिखाते रहे. तब राजेश खन्ना इतने दुखी हुए कि एक दिन मंदिर में जाकर उन्होंने भगवान से प्रार्थना की कि उनके साथ न्याय करें. कहते हैं कि फिर जो हुआ, हैरान करने वाला था. 1940 में स्थापित जैमिनी स्टूडियो, जो तब शिखर पर था, औरत की मेकिंग के साथ उसकी स्थिति खराब होने लगी. जैमिनी की फिल्मों ने बॉक्स ऑफस पर कमाल करना बंद कर दिया और होते-होते एक दशक के अंदर यह स्टूडियो बंद हो गया.
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