Rakhi Gulzar Facts: राखी की जिंदगी में प्यार ने दोबारा दस्तक दी. उन्हें मशहूर गीतकार गुलजार से प्यार हो गया. 1973 में दोनों ने शादी कर अपना घर बसा लिया. इसके एक साल बाद ही राखी एक बेटी की मां बन गईं.
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Rakhi Gulzar Personal Life: बॉलीवुड के कई सितारे हैं जो कभी बेहद पॉपुलर थे लेकिन अचानक ऐसा दौर आया कि वो लाइमलाइट में आना बंद हो गए और फिर गुमनाम जिंदगी काटने लगे. आज हम आपको ऐसी ही एक्ट्रेस के बारे में बताने जा रहे हैं जो कि 70-80 के दशक में बेहद पॉपुलर थीं लेकिन अब गुमनाम जिंदगी बिता रही हैं. इनका नाम राखी गुलजार है. राखी ने कभी कभी, शर्मीली, मेरे सजना, अंगारे, कभी कभी, दूसरा आदमी, कसमें वादे, काला पत्थर, श्रीमान श्रीमती समेत कई फिल्मों में काम किया था. वह अपने टैलेंट और खूबसूरती के दम पर काफी आगे गईं.
टूट गई थी पहली शादी
आपको बता दें कि राखी का जन्म 15 अगस्त, 1945 को रानाघाट, वेस्ट बंगाल में हुआ था. राखी बचपन से ही एक्ट्रेस बनना चाहती थीं लेकिन मात्र 16 साल की उम्र में ही उनके घरवालों से उनकी शादी बंगाली फिल्म निर्देशक और जर्नलिस्ट अजय विश्वास से कर दी थी. राखी और विश्वास की ये शादी लंबी नहीं टिक सकी और उनका दो साल में ही तलाक हो गया. इसके बाद राखी ने फिल्मों में काम करने की ठानी. उन्होंने 1967 में बंगाली फिल्म बोधु बोरोन से डेब्यू किया. यहीं से उनके लिए हिन्दी फिल्मों के लिए राह खुली और तीन साल बाद वह फिल्म जीवन मृत्यु में नजर आईं जिसमें वह धर्मेंद्र के अपोजिट थीं.
गुलजार से रचाई दूसरी शादी लेकिन...
इसी दौरान राखी की जिंदगी में प्यार ने दोबारा दस्तक दी. उन्हें मशहूर गीतकार गुलजार से प्यार हो गया. 1973 में दोनों ने शादी कर अपना घर बसा लिया. इसके एक साल बाद ही राखी एक बेटी की मां बन गईं. दूसरी शादी के बाद राखी की जिंदगी तेजी से बदली. वह फिल्मों में काम करने के लिए उतावली थीं लेकिन बेटी के जन्म के बाद ऐसा संभव नही हो पा रहा था. गुलजार भी इस बात के खिलाफ थे कि राखी शादी औ मां बनने के बाद फिल्मों में काम करें. इस वजह से दोनों में मनमुटाव होने लगा. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, राखी किसी कीमत पर अपना करियर खत्म नहीं करना चाहती थीं. यही वजह रही कि दोनों के रिश्ते में कड़वाहट आ गई और दोनों अलग हो गए. हालांकि, दोनों ने ही तलाक नहीं लिया लेकिन ये अलग रहने लग गए. अब राखी पनवेल में अपने फार्महाउस में अकेले जिंदगी गुजार रही हैं. वह सार्वजनिक जगहों पर भी बहुत कम नजर आती हैं.