Indore: 16 बॉक्स में छिपाकर ले जा रहा था नकली Remdesivir के 400 इंजेक्शन, Crime Branch ने दबोचा
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Indore: 16 बॉक्स में छिपाकर ले जा रहा था नकली Remdesivir के 400 इंजेक्शन, Crime Branch ने दबोचा

इस आरोपी को ऐसे वक्त पकड़ा गया, जब राज्य भर में रेमडेसिविर की भारी किल्लत है और मरीजों के परेशान परिजन इसकी कालाबाजारी की लगातार शिकायतें कर रहे हैं.

Indore: 16 बॉक्स में छिपाकर ले जा रहा था नकली Remdesivir के 400 इंजेक्शन, Crime Branch ने दबोचा

इंदौर: क्राइम ब्रांच (Indore Crime Branch) ने कोविड-19 के इलाज में इस्तेमाल होने वाली रेमडेसिविर (Remdesivir) दवा की कथित कालाबाजारी के आरोप में एक फार्मास्यूटिकल्स कंपनी के मालिक को गिरफ्तार कर लिया है. आरोपी के पास से 400 नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन बरामद हुए हैं.

मुखबिर की सूचना पर कार्रवाई

इंदौर सिटी DIG मनीष कपूरिया ने बताया, 'क्राइम ब्रांच को मुखबिर से सूचना मिली थी कि पीथमपुर की एपोच फार्मास्यूटिकल्स (Epoch Pharmaceuticals) कंपनी का मालिक अपनी काले रंग की टाटा सफारी कार से नकली रेमडेसिवीर इंजेक्शन लेकर उन्हें बेकने निकला है. इस सूचना के आधार पर क्राइम ब्रांच ने न्यू रानीबाग इलाके में पहुंचकर ट्रैप लगाया और गाड़ी आने पर घेरा बंदी कर आरोपी को पकड़ लिया.'

कार में मिले 400 इंजेक्शन

शुरुआती पूछताछ में कार ड्राइवर ने अपना नाम विनयशंकर त्रिपाठी बताया जिसकी उम्र 56 साल है. जब पुलिस ने गाड़ी की तलाशी ली तो उसमें से एक बड़ा कार्टून बरामद हुआ. ये नग 16 छोटे कार्टून से भरा हुआ था, जिसमें रेमडेसिवीर इंजेक्शन के कुल 400 नग इंजेक्शन की शीशीयां मिली. इस संबंध में पुलिस ने शख्स नेउक्त संबध मे आरोपी से वैध लाइसेंस के बारे में पूछा लेकिन आरोपी कोई वैध दस्तावेज या इंजेक्शन की खरीदारी का बिल नहीं दिखा पाया. 

20 लाख रुपये इंजेक्शन हुए जब्त

इसके बाद पुलिस उसे थाने ले आई और वापस पूछताछ शुरू की, जिसमें आरोपी ने हिमाचल प्रदेश की किसी फैक्टी से नकली रेमडेसिवीर इंजेक्शन ट्रांसपोर्ट के जरिए मंगाने की बात कबूली. उसने बताया कि जब्त किए गए इंजेक्शन की कीमत 20 लाख रुपये है. वो इन्हें ऊंचे दामों में बेचकर और ज्यादा पैसे कमाना चाहता था.

इन धाराओं में दर्ज हुआ मुकदमा

फिलहाल क्राइम ब्रांच ने आरोपी विनयशंकर त्रिपाठी पिता के खिलाफ IPC की धारा 420, 274, 275, 276 भादवि व औषधी एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम 1904 की धारा 18 (c), 18(d), 27 एवं एपेडेमिक डिसीस एक्ट 1897 की धारा 3 में मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई शुरू कर दी है. अब पुलिस नकली दवाई बनाने वाली कंपनी का पता लगाने की कोशिश कर रही है.

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