Hardoi News: ये अस्पताल टीन शेड के नीचे बनाया गया है. इसके बाहर तपतपाती गर्मी में छप्पर के नीचे कैंसर मरीजों के लिए वॉर्ड बनाया गया है. जिसमें एक कैंसर पेशेंट भर्ती भी थीं.
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Cancer Hospital: कैंसर की नकली दवाईयां बनाकर और बेचकर कैंसर मरीजों की जान से खिलवाड़ करने वाले सिस्टम की खबरें तो DNA में आपको कई बार दिखा चुके हैं।लेकिन टीन-छप्पर के झोपड़े में चल रहे कैंसर अस्पताल में लेकर बताते हैं जिसे देखकर आप चौंक जाएंगे. असल में देश के सिस्टम में..भ्रष्टाचार का कैंसर कितनी बुरी तरह फैल चुका है...ये इस बात की गवाही है. जो एक ढाबे के पीछे..और छप्पर के नीचे..चल रहे कैंसर अस्पताल की हैं.
उत्तर प्रदेश के हरदोई में चल रहे इस कैंसर अस्पताल का नाम है - फौजी अस्पताल. ये अस्पताल टीन शेड के नीचे बनाया गया है. और इसके बाहर तपतपाती गर्मी में छप्पर के नीचे कैंसर मरीजों के लिए वॉर्ड बनाया गया है. जिसमें एक कैंसर पेशेंट भर्ती भी थीं...जिसके ईलाज के लिए हर महीने 30 हजार रुपये लिये जा रहे थे.
सोचिये..कैंसर जैसी बीमारी..जिसका ईलाज बड़े-बड़े अस्पतालों में करना मुश्किल हो जाता है. वो एक झोपड़े में चल रहा था. और लोग ईलाज करवा भी रहे थे. हरदोई जिले का स्वास्थ्य विभाग कह रहा है कि उसे सूचना मिली था कि यहां छप्पर के नीचे अस्पताल चल रहा है..जिसमें कैंसर जैसी बीमारियों का इलाज किया जाता है. स्वास्थ्य विभाग की टीम ने छापा मारकर अस्पताल को सील कर दिया और कैंसर मरीज को असली अस्पताल में शिफ्ट भी कर दिया. लेकिन छप्पर और टीन में कैंसर अस्पताल चलाने वाले डॉक्टर और स्टाफ फरार हो गये.
लेकिन अब सोचने वाली बात ये है कि Main Road पर छप्पर के नीचे फर्जी कैंसर अस्पताल चल कैसे रहा था ? और अबतक स्वास्थ्य विभाग कहां सो रहा था ? सबसे चौंकाने वाली बात तो ये है कि छप्पर में चल रहा कैंसर अस्पताल..स्वास्थ्य विभाग से मान्यता प्राप्त था. स्वास्थ्य विभाग ने इस कैंसर अस्पताल का बाकायदा रजिस्ट्रेशन किया हुआ था. और ये रजिस्ट्रेशन हर साल Renew भी हो रहा था.
लेकिन इस साल छप्पर में चल रहे इस कैंसर अस्पताल का रजिस्ट्रेशन Renew नहीं हुआ..और छापा पड़ गया. ये बात खुद हरदोई के मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने मानी है. टीन शेड और छप्पर में चल रहा ये कैंसर अस्पताल हमारे देश के सिस्टम की बीमार मानसिकता का प्रतीक है...क्योंकि ये मानना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है कि छप्पर में चल रहे इस अस्पताल से होने वाली छप्परफाड़ कमाई में सिस्टम की हिस्सेदारी फिक्स नहीं होगी. अगर ऐसा नहीं होता तो छप्पर में चल रहे अस्पताल का रजिस्ट्रेशन नहीं होता..