दिल्ली पुलिस ने इनके पास से दिल्ली पुलिस के एसआई और हेड कांस्टेबल की वर्दी, आईडी कार्ड, परीक्षा देने वाले उम्मीदवारों के असली दस्तावेज सहित अन्य दस्तावेज बरामद किए हैं.
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नई दिल्ली: वेस्ट दिल्ली के नारायणा इलाके में पुलिस ने एक ऐसे गैंग का पर्दाफाश किया है, जो सरकारी नौकरियों की परीक्षा में शामिल होने वाले छात्रों से नकल कराने का ठेका लेते थे. इस गिरोह को भाई बहन की जोड़ी चलाते थे. वैशाली और उसका भाई लव इस भाई बहन के इस गैंग में बहन का बॉयफ्रेंड अनिल शर्मा और उसके दोस्त रोहित और हिमांशु भी शामिल थे. इस गिरोह के नेटवर्क दिल्ली , पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश तक फैला हुआ था. सबसे बड़ी बात ये कि ये गैंग बेरोजगार छात्रों पर रोब दिखाने के लिए पुलिस की वर्दी का भी इस्तेमाल करते थे.
जानकारी के मुताबिक, आरोपी वैशाली अपने आप को बड़ी पुलिस अधिकारी के तौर पर पेश करती थी. दिल्ली पुलिस ने इनके पास से दिल्ली पुलिस के एसआई और हेड कांस्टेबल की वर्दी, आईडी कार्ड, परीक्षा देने वाले उम्मीदवारों के असली दस्तावेज सहित अन्य दस्तावेज बरामद किए हैं. पुलिस की जांच के मुताबिक ये भोले भाले ग्रामीण छात्रों को अपना निशाना बनाते थे जो सरकारी नौकरी की चाहत रखते थे. ये गैंग सरकारी नौकरियों के लिए जो प्राइवेट सेंटर ऑनलाइन एग्जाम आयोजन कराती है. उनके स्टाफ के साथ मिलीभगत करके पेपर लीक कराते थे. और परीक्षा में डमी कैंडिडेट्स को भी बैठा कर पेपर लीक कराया जाता था. पुलिस के मुताबिक 4 मार्च को नारायणा औद्योगिक क्षेत्र में दिल्ली सरकार की फॉरेस्ट गार्ड की भर्ती के लिए आयोजित ऑन लाइन परीक्षा के लिए एक परीक्षा सेंटर बनाया गया था. यहां परीक्षा के दौरान जांच के लिए पहुंची टीम ने रोहित नामक युवक को मोबाइल के जरिए नकल करते हुए पकड़ा था. उसके खिलाफ नारायणा थाना में केस दर्ज कर उसे गिरफ्तार कर लिया था.
जांच के दौरान आरोपी से पूछताछ के साथ ही उसके मोबाइल कॉल डिटेल, डिलीट किए गए डाटा और अन्य दस्तावेजों की जांच शुरू की गई तो पता चला कि आरोपी के मोबाइल से एक वीडियो मिला. आरोपी ने यह वीडियो अपने कुछ जानकारों को भेज रखा था. उसके जानकारों ने इस वीडियो की मदद से पेपर साल्व कर उसे वीडियो वापस भेजा था. इसके साथ ही आरोपी के फोन से एक ऐप मिला. ऐप की जांच करने पर पता चला कि यह एक ऐसा ऐप था जिस पर वह परीक्षा देने वाले उम्मीदवारों का पूरा डाटा था. ऐप्प को इस तरह से डेवलप किया गया था कि उनके सहयोग से परीक्षा दे रहे सभी उम्मीदवारों में से कोई भी अगर कहीं भी पकड़ा जाता तो यह उसका पूरा डाटा अपने पास से डिलीट कर देते थे. ताकि उन तक कोई पहुंच न सके. इस ऐप इस गैंग के सभी सदस्य पेशेवर तरीके से काम करते थे.
गिरोह की मुखिया वैशाली और उसका बॉयफ्रेंड अनिल शर्मा उम्मीदवारों को झांसे में लेने का काम करते थे. वह अभ्यर्थियों से आईपीएस अधिकारी और अनिल नकली पुलिस अधिकारी बनकर मिलते थे. दोनों परीक्षा सेंटरों पर काम करने वाले कर्मचारियों से भी मिली भगत किया करते थे. छात्रों का खुद का डाटा इकट्ठा करने के लिए उन लोगों ने एक फर्जी कोचिंग सेंटर भी खोल रखा था. ये युवाओं से अपनी प्रशासन में ऊंची जान पहचान होने की बात करते थे. जब परीक्षा देने वाले उम्मीदवार उनके झांसे में आ जाते थे तो आरोपी उनसे 10 से 25 लाख रुपए में सौदा तय करते थे और फिर परीक्षा के दौरान उन्हें नकल करवाने में मदद करते थे.
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जांच के दौरान अभी तक 20 से ज्यादा ऐसे उम्मीदवारों का पता चला है जिन्होंने इन्हें पैसा देकर अपनी परीक्षा पास की है. साथ ही आरोपियों की कई खातों में करोड़ों के लेन-देन की बात सामने आई है. आरोपियों ने अपने सेंटर पर काम करने वाले लोगों के नाम पर भी बैंक में खाते खुलवाए हुए हैं. सारा पैसा इन खातों से वैशाली और अनिल के खातों में जाता था. फिलहाल पुलिस इस गैंग के बाकी साथियों की तलाश कर रही है, साथ ही झांसे में आए छात्रों का डेटा इकट्ठा किया जा रहा है. ताकि पता चल सके कि कितने बेरोजगार छात्र इस गैंग के शिकार बने है.