झारखंड की राजधानी रांची से करीब 200 किमी दूर जामताड़ा (Jamtara) इन दिनों साइबर क्राइम (Cyber Crime) का गढ़ बना हुआ है. जामताड़ा में बैठे साइबर क्रिमनलों के खिलाफ अब दिल्ली पुलिस ने एक बड़े ऑपरेशन को शुरू किया है.
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Delhi/Jamtara: झारखंड की राजधानी रांची से करीब 200 किमी दूर जामताड़ा (Jamtara) इन दिनों साइबर क्राइम (Cyber Crime) का गढ़ बना हुआ है. जामताड़ा में बैठे साइबर क्रिमनलों के खिलाफ अब दिल्ली पुलिस ने एक बड़े ऑपरेशन को शुरू किया है. दरअसल, ज़ी बिहार-झारखंड पर 'डिजिटल डकैत' खबर (Digital Dacoit) को प्रमुखता से दिखाने का अब असर दिखने लगा है.
दिल्ली पुलिस ने 'डिजिटल डकैत' खबर के बाद ही अब ऑपरेशन साइबर प्रहार पार्ट-2 के तहत जामताड़ा गैंग के 14 आरोपियों को गिरफ्तार किया है. इस बार पुलिस ने जामताड़ा में बैठे साइबर क्राइम के रॉकस्टार (Rockstar) और मास्टर माइंड को भी गिरफ्तार कर लिया है. अब आप सोच रहें होगें की आखिर इस शातिर क्राइम को अंजाम देने वाले गैंग के रॉकस्टार और मास्टर माइंड कौन हैं, तो अब आप डिटेल में जानिए रॉकस्टार और मास्टर जी की इनसाइड स्टोरी.
दरअसल, साइबर अपराध का गढ़ बने जामताड़ में बीते दिनों साइबर क्राइम का बड़ा खेल सामने आया था. अब इस मामले में दिल्ली पुलिस की साइपेड यूनिट ने बड़ी कार्रवाई की है. पुलिस ने इस मामले में जामताड़ा गैंग के 14 आरोपियों को गिरफ्तार किया है.
गैंग का मास्टर माइंड अल्ताफ उर्फ रॉकस्टार सिर्फ 20 साल का है
इसमें गैंग के किंगपिन अल्ताफ अंसारी और गुलाम अंसारी की भी गिरफ्तार हुई है. आपको जानकार आश्चर्य होगा कि अल्ताफ उर्फ रॉकस्टार सिर्फ 20 साल का है जबकि गुलाम अंसारी ऊर्फ मास्टर जी भी पुलिस की गिरफ्त में है. वहीं, इनके गैंग में शामिल मेंबर मुश्किल से हाईस्कूल पास है लेकिन इनके कारनामें ऐसे हैं कि उसकी चर्चा देश के कोने-कोने तक है.
इनके अपराध का खेल इतना बड़ा था कि चीटिंग की कमाई से अल्ताफ अंसारी ने आलिशान कोठी बना रखी है. दो से तीन लक्जरी कार भी उसके पास है. पुलिस की मानें तो वह बंगाल भागने की फिराक में था और करीब 100 किलोमीटर पीछा करके उसकी गिरफ्तारी हुई है.
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कैसे लोगों को अपने जाल में फंसाता है साइबर क्रिमनल?
बता दें कि ये गैंगे कैसे लोगों को अपने जाल में फंसाता है. दरअसल, गैंग के रॉकस्टार ने अपनी कई टीम बना रखी है. ये टीम अलग-अलग काम करती है. टीम के 2 से 3 मेंबर कॉलर के रूप में काम करते थे. उनका काम सिर्फ कॉल करना होता था. दूसरी टीम का काम डेटा मुहैया कराना होता था, तो तीसरी टीम का काम बैंक के कामकाज को देखना होता था. वहीं, गुलाम अंसारी फेक वेबसाइट बनाता थ. फिर उस वेबसाइट को बढ़ावा देने का काम होता था. इसके लिए उसे 40 से 50 हजार रुपए दिए जाते थे.
गैंग UPI के जरिए करता है फ्रॉड
पुलिस के मुताबिक, गैंग UPI के जरिए फ्रॉड करता है, जिसमें लोगों को KYC या सिम ब्लॉक करने के नाम पर धोखाधड़ी की जाती थी. अब टेक्निक बदल गई है और अब ये साइट बनाकर बल्क में SMS भेजते हैं जिसमें बैंक तक कि फर्जी साइट बना लेते थे और जैसे ही कोई शख्स गूगल पर बैंक से जुड़ी जानकारी सर्च करता था, ये तुरंत फेक वेबसाइट पर चला जाता था और वहां नंबर पर फोन करने पर आपकी बैंक से जुड़ी अहम जानकारियां आरोपी तक पहुंच जाती थी.
कुछ महीनों में 1 करोड़ 20 लाख से अधिक राशि की कर चुका है धोखाधड़ी
ये गैंगे पिछले कुछ महीनों में 1 करोड़ 20 लाख से अधिक राशि की धोखाधड़ी कर चुका है. आश्चर्य की बात ये है कि गैंग के मेंबर हर रोज 400 से 500 फोन नंबर पर कॉल करते थे. जिसमें 4 से 5 लोग फंस जाते थे. अब ये गैंग छोटे-छोटे मॉड्यूल में काम करना शुरू कर चुका है. गैंग में 4-4 लोगों का गुट बनाकर अलग-अलग राज्यों में भेज दिया जाता है.
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गैंग के तार यूपी के गाजियाबाद और नोएडा से भी जुड़े हैं
इस गैंग के तार यूपी के गाजियाबाद और नोएडा से भी जुड़े हैं. एक ग्रुप लोनी में पकड़ा गया है. वहीं, दिल्ली से सटे मेवात इलाके में भी गैंग एक्टिव है. यहां प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना में के नाम पर आंगनवाड़ी वर्कर के साथ धोखाधड़ी की जाती है और उनसे डेढ़ से 2 लाख की कमाई कर थे.
गैंग ने सैकड़ों से ज्यादा की तादाद में बनाए फर्जी वेबसाइट
गैंग ने सैकड़ों से ज्यादा की तादाद में फर्जी वेवसाइट बनाकर रखी है, जिसके जरिए लोगों के साथ धोखाधड़ी का खेल हो रहा है. पुलिस की मानें तो अब तक 9 राज्यों में इस तरह के कुल 36 मामलों का खुलासा हुआ है. साथ ही, अब पुलिस को इनके उन साथियो की तलाश जो अब भी दूसरे राज्यों में काम कर रहे है.
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