अपराध पर नियंत्रण करने के लिए इन दिनों उत्तर प्रदेश में आगरा पुलिस नए-नए प्रयास कर रही है. इसी कड़ी में हरीपर्वत थाने के कॉन्स्टेबल गौतम जेब कतरों को पकड़ने के लिए ई-रिक्शा चालक बन गए. तीन दिन तक ई-रिक्शा चालक बनकर वो सवारियां ढोते रहे.
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आगरा: अपराध पर नियंत्रण करने के लिए इन दिनों उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में आगरा पुलिस नए-नए प्रयास कर रही है. इसी कड़ी में हरीपर्वत थाने के कॉन्स्टेबल गौतम जेब कतरों को पकड़ने के लिए ई-रिक्शा चालक बन गए. तीन दिन तक ई-रिक्शा चालक बनकर वो सवारियां ढोते रहे. फिर आखिरकार कॉन्स्टेबल को सफलता मिली और उन्होंने जेब कतरे को दबोच लिया.
जेब कतरों से थी पुलिस परेशान
हरीपर्वत थाना क्षेत्र में पिछले कुछ दिनों से ई-रिक्शा पर बैठने वाले लोग जेब कतरों का शिकार हो रहे थे. इसी पर लगाम लगाने के लिए इंस्पेक्टर हरीपर्वत अजय कौशल ने एक रणनीति बनाई. फिर कॉन्स्टेबल गौतम रिक्शा चालक बन गए और उन्होंने तीन दिन तक रिक्शा चलाया. इस दौरान उनकी कई रिक्शा चालकों से दोस्ती भी हो गई. उन्होंने धीरे-धीरे जेब कतरों के बारे में जानकारियां जुटाना भी शुरू किया जिससे उनका काम आसान होता चला गया.
कॉन्स्टेबल गौतम
रिक्शा चालक का भेष बनाया
कॉन्स्टेबल गौतम ने जेब कतरों पर लगाम लगाने के लिए पूरी तरह से रिक्शा चालक का भेष इख्तियार किया फिर चाहे वो कपड़े हों या उनके बात करने का तरीका. रिक्शा चलाते हुए गौतम को दो दिन बीत चुके थे फिर अचानक तीसरे दिन उनके रिक्शे पर बैठे एक बुजुर्ग की जेब कट गई. बुजुर्ग की जेब मे 60 हजार रुपये थे जो उन्होंने अपनी बेटी की शादी के लिए निकाले थे. फिर क्या था गौतम ने रिक्शे में ही बैठे आरोपी को धर दबोचा. इसके बाद कॉन्स्टेबल गौतम बुजुर्ग और आरोपी दोनों को हरीपर्वत थाने में ले आए लेकिन बुजुर्ग समझ ही नहीं पाए कि ये क्या हो रहा है.
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इसके बाद जब पुलिस ने सख्ती से पूछताछ की तो जेब कतरे ने बुजुर्ग के 60 हजार रुपये तो लौटाए ही साथ ही कई और वारदातें भी कबूलीं. इस आरोपी के पकड़े जाने के बाद से अब तक ई-रिक्शा में जेब कटने की सूचना नहीं आई है.
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