आज के Knowledge पैकेज में हम आपको आलू के इतिहास के बारे में बताएंगे.
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नई दिल्ली: आलू को भारत में सब्जियों का राजा कहा जाता है. पूरे साल बाजार में मिलने वाला आलू भारतीय खाने में अपनी पूरी पैठ बना चुका है. चाहे, वह फेसम स्नैक समोसा हो, चाहे आलू का पराठा या बिहार और पूर्वांचल में बनने वाला आलू-जीरा. उत्तर भारत से लेकर दक्षिण भारत तक आलू की जबरदस्त मांग है. शायद ही ऐसा कोई घर होगा, जहां आलू का इस्तेमाल न होता है. लेकिन क्या आपको पता है आलू इंडियन सब्जी नहीं है. जी हां! आज के Knowledge पैकेज में हम आपको आलू के इतिहास के बारे में बताएंगे.
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7000 साल पहले पेरु में शुरू हुआ था आलू का इस्तेमाल
अमेरिकन वैज्ञानिकों के शोध के मुताबिक, आलू का इस्तेमाल करीब 7000 साल पहले मध्य पेरु में हुआ था. हालांकि, दावा किया जाता है कि आलू की खेती कैरिबियन द्वीप पर शुरू हुई थी. तब इसे 'कमाटा' और 'बटाटा' कहा जाता था. 16वीं सदी में यह बटाटा स्पेन पहुंचा. स्पेन के जरिए इसने यूरोप में एंट्री ली. यूरोप पहुंचने के बाद बटाटा का नाम बदलकर पटोटो हो गया.
भारत में आलू कब आया?
भारत में आलू यूरोप के व्यापारी लेकर आए. बताया जाता है कि आलू की एंट्री भारत में जहांगीर के समय में हुई. भारत में आलू को बढ़ावा देने का श्रेय वारेन हिस्टिंग्स को जाता है, जो 1772 से 1785 तक रहे. इस दौरान आलू को खूब प्रचार-प्रसार मिला. मीडिया रिपोर्ट्स में बताया जाता है कि इसका असर मुगल बादशाहों पर खूब पड़ा. खासकर बंगाल के नवाब पर. इसलिए आलू का असर भी बंगाली खाने पर जबरदस्त तरीके से पड़ा है.
पटोटो से आलू कब हुआ?
बताया जाता है कि आलू को जब यूरोपीय व्यापारी कोलकाता में बेचना शुरू किए, तो इसके नाम में बदलाव हो गया. इसे आलू कहा जाने लगा. मौजूद जानकारी के मुतबिक, आलू की खेती की शुरुआत भारत में नैनीताल में हुई. यह भी एक किस्म से अंग्रेजों की देन थी. और धीरे-धीरे आलू भारत में लोकप्रिय होता गया. हालात ये है कि हम ना सिर्फ आलू के अनगिनत व्यंजन बनाते हैं, बल्कि चीन और रूस के बाद दुनिया के तीसरे बड़े आलू उत्पादक देश भी हैं.