दुर्गम पहाड़ी, गुजरात के कच्छ और रेगिस्तानी इलाकों के लिए तैयार हो रहा ज़ोरावर, जानिए इस लाइट टैंक के बारे में
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दुर्गम पहाड़ी, गुजरात के कच्छ और रेगिस्तानी इलाकों के लिए तैयार हो रहा ज़ोरावर, जानिए इस लाइट टैंक के बारे में

Light Tank Zorawar: ज़ोरावर टैंक का निर्माण दुर्गम पहाड़ी इलाकों को ध्यान में रखकर किया जा रहा है. यह भारत-चीन बॉर्डर पर भारतीय सेना के जवानों को बिल्कुल उसी तरह मजबूती देने के लिए तैयार किया जा रहा है, जैसे कभी ज़ोरावर सिंह ने अपने पराक्रम से दिया था. 

दुर्गम पहाड़ी, गुजरात के कच्छ और रेगिस्तानी इलाकों के लिए तैयार हो रहा ज़ोरावर, जानिए इस लाइट टैंक के बारे में

Light Tank Zorawar: भारतीय सेनाएं दुनिया की सबसे ताकतवर सेनाओं में से एक है. समय के साथ-साथ इंडियन आर्मी आधुनिक हथियारों से लैस है. भारतीय सेना अपने बेड़े में दुनिया के सबसे ताकतवर, सबसे तेज मारक क्षमता वाल हथियारों को लगातार शामिल कर रही हैं. आज हम आपको ऐसे ही एक हथियर के बारे में बता रहे हैं, जिसे जखीरे में शामिल करने की तैयारी जोरों पर है. इसके बारे में जानने से पहले हम बात करेंगे देश के बहादुर जवान ज़ोरावर सिंह की, जिनके सम्मान में एक लाइट टैंक का विकास किया रहा है. आइए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से..

इंडियन आर्मी (Indian Army) लाइट टैंक ज़ोरावर (Light Tank Zorawar) की पोस्टिंग सबसे पहले लद्दाख के उसी एरिया में करेगी, जिस जगह पर ज़ोरावर सिंह ने अपने पराक्रम का प्रदर्शन किया था और देश के लिए न्यौछावर हो गए थे. 

आत्मनिर्भर भारत की दिशा में मजबूत कदम
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ज़ोरावर टैंक का विकास डीआरडीओ और निजी क्षेत्र की कंपनी एल एंड टी मिलकर कर रहे हैं. यह देश के आत्मनिर्भर भारत बनने की ओर मजबूत कदम साबित होगा. इससे भारतीय सेना की ताकत और रक्षा क्षमता बढ़ेगी. बताया जा रहा है कि यह टैंक साल के आखिर तक परीक्षण के लिए तैयार हो जाएगा. 

कहां होगी जोरावर की तैनाती
सामरिक दृष्टि से लद्दाख सेक्टर बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है. जानकारी के मुताबिक यही वजह है कि परीक्षण के बाद टैंक को उसी इलाके में तैनात किए जाने की योजना है. ये एरिया काफी संवेदनशील है, क्योंकि यहां अक्सर दोनों देशों की सेनाएं आमने-सामने आ जाती हैं. 

बताया जा रहा है कि शुरुआत में लाइट टैंक ज़ोरावर की 59 यूनिट बनाई जानी हैं. अगर सब कुछ ठीक रहा तो इस संख्या में कई गुना इजाफा किया जा सकता है. ज़ोरावर का निर्माण कुछ इस तरह से किया जा रहा है कि ये पहाड़ी दुर्गम इलाकों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकेंगे. इसके साथ ही यह गुजरात के कच्छ और राजस्थान के रेगिस्तानी इलाकों में भी प्रभावी रहेगा. 

जानिए जनरल ज़ोरावर सिंह के बारे में
आज के हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर में 13 अप्रैल साल 1786 को जन्मे इस सपूत का पूरा नाम ज़ोरावर सिंह कहलुरिया था. ज़ोरावर डोगरा राजपूत परिवार से आते थे, जिन्हें भारत का नेपोलियन कहा जाता था. ज़ोरावर ने उस समय अपने पराक्रम के दम पर महाराजा रंजीत सिंह के सिख साम्राज्य को तिब्बत, लेह-लद्दाख से लेकर नेपाल सीमा तक पहुंचा दिया था. एक बहादुर योद्धा और सेनानायक ज़ोरावर 12 दिसंबर 1841 को तिब्बती सेना से लड़ते हुए शहीद हो गए. 

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