Knowledge Section: माउंटबैटन को भारत में सत्ता-हस्तांतरण यानी (Transfer of Power Agreement) की जिम्मेदारी सौंपी गई थी. बता दें माउंटबैटन वही शख्स है, जिन्होंने भारत की आजादी की अहम तारिख तय की थी.
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Knowledge Section: 15 अगस्त 1947, ये वो दिन है जब भारत को अंग्रेजों से आज़ादी मिली थी. भारत करीब 200 साल अंग्रेजों की गुलामी में रहा था. बहुत से स्वतंत्रता सेनानियों ने देश की आजादी के लिए अपनी कुर्बानी दी थी, जिसके बाद ही आज हम इस आजाद भारत में सांस ले पा रहे हैं. हालांकि, क्या आपने कभी इस बात पर गौर किया है कि आखिर हमें 15 अगस्त के दिन ही आजादी क्यों मिली या फिर आजादी के लिए 15 अगस्त की तारीख ही क्यों चुनी गई? आइये आज हम आपको बताते हैं कि भारत की आजादी के लिए 15 अगस्त की तारीख का चयन क्यों किया गया था.
इस कारण तय हुई 15 अगस्त की तारीख
बात है साल 1947 की जिस वक्त भारत में अंग्रेजों का तानाशाही शासन चल रहा था और उस समय भारत के वाइसरॉय थे 'लॉर्ड लुईस माउंटबैटन' (Lord Louis Mountbatten).माउंटबैटन को भारत में सत्ता-हस्तांतरण यानी (Transfer of Power Agreement) की जिम्मेदारी सौंपी गई थी. बता दें माउंटबैटन वही शख्स है, जिन्होंने भारत की आजादी की अहम तारिख तय की थी. कई रिपोर्ट्स में इस बात का जिक्र किया गया है कि माउंटबैटन इस दिन को अपने कार्यकाल के लिए बहुत खास मानते थे. खास मानने की वजह यह थी कि 1945 में दूसरे विश्व युद्ध के दौरान 15 अगस्त के दिन ही जापान की सेना ने ब्रिटेन के सामने उनकी अगुवाई में ही आत्मसमर्पण किया था. इसलिए उन्होंने भारत के आजादी के लिए भी यही दिन चुना.
आखिर क्यों मध्यरात्री के समय हुआ भारत आजाद
हालांकि, इस तारीख को भारत में सार्वजनिक रूप से घोषित करने के बाद देश भर के ज्योतिषियों में आक्रोश पैदा हो गया. भारतीय आजादी के लिए तय की गई इस तारीख से खुश नहीं थे. क्योंकि ज्योतिषीयों के मुताबिक 15 अगस्त 1947 का दिन अशुभ और अमंगलकारी था. वहीं, माउंटबैटन आजादी के लिए दूसरी तारीख बिल्कुल भी नहीं चुनना चाहते थे. लोगों ने दूसरी तारीख भी सुझाई लेकिन माउंटबेटन 15 अगस्त की तारीख पर ही अड़े रहे. आखिरकार सबकि सहमति से एक रास्ता निकाला गया और आजादी के लिए 14 और 15 अगस्त की मध्यरात्री का समय तय किया गया. अंग्रेजी परंपरा के अनुसार रात 12 बजे के बाद दूसरा दिन शुरू हो जाता है. ऐसे में 14 तारीख की रात 12 बजे को 15 तारीख ही कहा जाता है. वहीं हिंदी गणना के अनुसार सूर्योदय के बाद दूसरा दिन शुरू होता है.
इसके अलावा ज्योतिषियों की ओर से एक शर्त रखी गई थी कि सत्ता के हस्तांतरण का संभाषण 48 मिनट की अवधि में संपन्न किया जाए, क्योंकि 14 तारीख की रात्री अभिजीत मुहूर्त में आ रही था. 24 मिनट का ये मुहूर्त 11 बजकर 51 मिनट से शुरू होकर 12 बजकर 15 मिनट तक का था. ऐसे में यह भाषण 12 बजकर 39 मिनट तक दिया जाना था. इसलिए मुहूर्त को ध्यान में रखते हुए तय समय सीमा में ही जवाहरलाल नेहरू ने भाषण दिया था.