टोंगन मीडिया एजेंसी ब्रॉडकॉम ब्रॉडकास्टिंग को दिए एक रेडियो इंटरव्यू में लिसाला फोलाऊ ने बताया कि वो 60 लोगों की आबादी वाले अटाटा द्वीप पर रहते हैं. शनिवार को शाम सात बजे के आसपास ज्वालामुखी विस्फोट के बाद आई सुनामी की तेज लहरें उन्हें समुद्र में बहाकर ले गईं.
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नई दिल्ली. बीते सप्ताह टोंगा में ज्वालामुखी विस्फोट के बाद आई सुनामी ने भयानक तबाही मचाई है. इस सुनामी में लगभग 1 लाख की आबादी वाला यह देश दो दिनों तक पूरी तरह दुनिया से कट गया था. इस दौरान तेज लहरों से समुद्र में बहे लिसाला फोलाऊ नामक दिव्यांग ने 27 घंटे तक तैरकर खुद की जान बचाई है. दिव्यांग के इस जज्बे को अब पूरी दुनिया सलाम कर रही है. उनके इस संघर्ष के लिए कॉमिक बुक सुपर हीरो के बाद 'रीयल लाइफ में एक्वामैन' के रूप में सम्मानित किया गया है.
जिस वक्त ज्वालामुखी विस्फोट हुआ उस घर पेंट कर रहे थे फोलाऊ
टोंगन मीडिया एजेंसी ब्रॉडकॉम ब्रॉडकास्टिंग को दिए एक रेडियो इंटरव्यू में लिसाला फोलाऊ ने बताया कि वो 60 लोगों की आबादी वाले अटाटा द्वीप पर रहते हैं. शनिवार को शाम सात बजे के आसपास ज्वालामुखी विस्फोट के बाद आई सुनामी की तेज लहरें उन्हें समुद्र में बहाकर ले गईं. जिस वक्त ज्वालामुखी का विस्फोट हुआ, उस वक्त फोलाऊ अपने घर को पेंट कर रहे थे.
बचने के लिए पेड़ पर चढ़े लेकिन वह भी बहा
फोलाऊ के मुताबिक जब वह बहने लगे तो एक पेड़ पर चढ़ गए, लेकिन लहर तेज होने की वजह से पेड़ गिर गया. इस दौरान लहर उन्हें बहा ले गई. फोलाऊ ठीक से चल नहीं सकते हैं, क्योंकि वह दिव्यांग हैं. लेकिन जान बचाने के लिए उन्होंने हार नहीं मानी और तैरते रहे. धीरे-धीरे 7.5 किमी (4.7 मील) तैरकर मुख्य द्वीप तोंगटापु तक पहुंचने में सफल रहे. तोंगटापुर पहुंचने के लिए उन्हें 27 घंटे का समय लगा.
लिसाला फोलाऊ की वीरता की कहानी फेसबुक और दूसरे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर वायरल रही है. हालांकि, उनके दावे की अभी अधिकारिक पुष्टि नहीं हो सकी है. आपको बता दें कि इस ज्वालामुखी विस्फोट के चलते हुई तबाही के आंकड़ों को आपदा प्रबंधन टीम जुटा रही है.
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