सौम्या मूल रूप से दिल्ली की रहने वाली हैं. वकालत की पढ़ाई के साथ उन्होंने सिविल सर्विसेज की परीक्षा में जाने का फैसला लिया और तैयारियों में जुट गईं. हालांकि इस दौरान उनकी तबियत भी काफी खराब थी, लेकिन उन्होंने अपने कदम डगमगाने नहीं दिए और आईएएस बनकर का देश को दिखा दिया कि मेहनत के दम पर कुछ भी हासिल किया जा सकता है.
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नई दिल्ली. ''कहते हैं कि कुछ लोग अपनी कहानी अपने दम पर लिखते हैं, चाहे इसके लिए उन्हें कुछ भी करना पड़े'' कुछ ऐसा कर दिखाया है आईएएस सौम्या ने, यही वजह है उनकी सफलता की कहानी हर किसी के लिए मिसाल है. महज 16 साल की उम्र में एक हादसे में उन्होंने अपनी सुनने की 90-95 फीसदी क्षमता खो दी थी, इसकी वजह से उन्हें हियरिंग एड का इस्तेमाल करना पड़ता है. लेकिन इससे हार न मानकर वे लगातार आगे बढ़ती रहीं. उनकी मेहनत का ही नतीजा था कि उन्हें यूपीएससी 2017 की सिविल सर्विसेज परीक्षा में 9वीं रैंक मिली.
सौम्या मूल रूप से दिल्ली की रहने वाली हैं. वकालत की पढ़ाई के साथ उन्होंने सिविल सर्विसेज की परीक्षा में जाने का फैसला लिया और तैयारियों में जुट गईं. हालांकि इस दौरान उनकी तबियत भी काफी खराब थी, लेकिन उन्होंने अपने कदम डगमगाने नहीं दिए और आईएएस बनकर का देश को दिखा दिया कि मेहनत के दम पर कुछ भी हासिल किया जा सकता है.
सिर्फ 4 महीने में पूरी की तैयारी
नेशनल लॉ स्कूल में सौम्या ने आखिरी वर्ष में यूपीएससी की सिविल सर्विसेज परीक्षा की तैयारी की. सिर्फ 4 महीने की तैयारी में उन्होंने प्रीलिम्स की परीक्षा को पास कर लिया. मेंस एग्जाम की तैयारियों मे वह जुटीं ही थीं कि उनकी तबीयत खराब हो गई.
सौम्या को लगातार बुखार आ रहा था. बावजूद उन्होंने मेंस की परीक्षा दी. यहां तक कि परीक्षा के बीच में लंच ब्रेक में भी उनके ड्रिप लगाई गई थी. इतनी मुश्किलों के बावजूद उन्होंने ऑल इंडिया लेवल पर 9वीं रैंक हासिल की थी.
सौम्या का सक्सेस मंत्र
सौम्य के मुताबिक व्यक्ति का अगर उद्देश्य क्लियर है, तो वह किसी भी परीक्षा को पास कर सकता है. उनका मानना है कि आईएएस की तैयारी करने वाले अभ्यर्थियों को रेगुलर पढ़ाई करनी चाहिए. साथ ही समय-समय पर रिवीजन करना चाहिए. अगर हो सके, तो अभ्यर्थियों को कुछ वक्त के लिए रिश्तेदारों से भी दूरी बना लेनी चाहिए. क्योंकि इससे पढ़ाई पर ध्यान ज्यादा केंद्रीय होता है.
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