पहले UPSC के लिए छोड़ी लाखों की नौकरी, पर नहीं बन पाई IAS, फिर किया कुछ ऐसा कि बन गई डिप्लोमेट
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पहले UPSC के लिए छोड़ी लाखों की नौकरी, पर नहीं बन पाई IAS, फिर किया कुछ ऐसा कि बन गई डिप्लोमेट

IFS Pujya Priyadarshini: आज हम आपको एक ऐसी उम्मीदवार के बारे में बताएंगे, जिन्होंने यूपीएससी के लिए लाखों की नौकरी छोड़ दी, लेकिन वह आईएएस ऑफिसर ना बन पाईं. लेकिन उन्होंने कुछ ऐसी किया, जिसके बाद वह इस समय विदेश में भारत का नेतृत्व कर रही हैं.

पहले UPSC के लिए छोड़ी लाखों की नौकरी, पर नहीं बन पाई IAS, फिर किया कुछ ऐसा कि बन गई डिप्लोमेट

IFS Pujya Priyadarshini Success Story: यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा को पास करना हर किसी के बस की बात नहीं है. यह भारत की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक है. हर साल लाखों उम्मीदवार यह परीक्षा देते हैं, लेकिन एक हजार के आस-पास उम्मीदवार ही ऑफिसर का पद हासिल कर पाते हैं. आपने आज तक कई आईएएस अधिकारियों की सफलता की कहानियां सुनी होंगी. लेकिन आज हम आपको एक ऐसी ऑफिसर की कहानी बताएंगे, जिन्होंने आईएएस ऑफिसर बनने के लिए लाखों की नौकरी छोड़ दी, लेकिन वह आईएएस नहीं बन पाई. हालांकि, उन्होंने फिर कुछ ऐसी किया कि आज वह विदेश में भारत का नेतृत्व कर रही हैं. 

इस लेख में, हम आईएफएस पूज्या प्रियदर्शिनी के बारे में बात करेंगे, जो इस कहावत को चरितार्थ करती है कि हर सफलता की कहानी बड़ी असफलताओं में से एक होती है. शुरुआती असफलताओं के बावजूद, पूज्या, जो अंततः एक आईएफएस अधिकारी बन गईं हैं, उन्होंने शुरू में तीन असफल प्रयासों के बाद अपनी UPSC की तैयारी को छोड़ने का फैसला कर लिया था.

पूज्य प्रियदर्शिनी ने यूपीएससी परीक्षा में लगातार तीन असफलताओं का सामना करने और उस परीक्षा की तैयारी को छोड़ने पर विचार करने के बावजूद, अपने परिवार के समर्थन से नया दृढ़ संकल्प पाया और फिर ऑल इंडिया 11वीं रैंक हासिल करके साल 2018 की यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा में सफलता हासिल की.

पूज्या प्रियदर्शिनी ने दिल्ली में बी.कॉम पूरा करने के बाद न्यूयॉर्क के कोलंबिया विश्वविद्यालय से लोक प्रशासन में पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की है. इसके बाद उन्होंने करीब 2 साल तक एक कंपनी में काम किया, जहां वह अच्छी-खाली सैलरी पा रही थीं. हालांकि, इस बीच उन्होंने यूपीएससी की तैयारी जारी रखी थी.

साल 2013 में पूज्या ने अपना पहला अटेंप्ट दिया, जिसमें उनके हाथ असफलता लगी. इसलिए उन्होंने आगे की तैयारी के लिए तीन साल का गैप लिया. फिल साल 2016 के उन्होंने अपना दूसरा अटेंप्ट दिया, जिसमें वह इंटरव्यू राउंड तक पहुंच गईं, लेकिन वह मेरिट लिस्ट में अपनी जगह नहीं बना पाईं. लेकिन निडर होकर, उन्होंने दृढ़ रहने का संकल्प लिया और साल 2017 में फिर परीक्षा में शामिल हुईं. लेकिन इस बार प्रीलिम्स परीक्षा में मामूली अंतर से फिर असफलता रहीं, जिस कारण उन्होंने यूपीएससी की राह छोड़ने का निर्णय ले लिया.

हालांकि, अपने परिवार के अटूट समर्थन के साथ, पूज्या ने खुद को एक और मौका देने का फैसला किया. इस बार उनका दृढ़ संकल्प रंग लाया और उन्होंने साल 2018 में यूपीएससी परीक्षा में सफलता हासिल की और ऑल इंडिया 11वीं रैंक प्राप्त की.

पूज्या कहती हैं कि यूपीएससी की परीक्षा की तैयारी में कड़ी मेहनत और धैर्य के महत्व पर जोर दें. वह उम्मीदवारों को सलाह देती हैं कि असफलता से घबराएं नहीं, बल्कि गलतियों से सीखें और बाद के बेहतर तरीके से प्रयास करें. उनकी कहानी इस विश्वास को रेखांकित करती है कि मेहनत के साथ की गई तैयारी और समर्पण अंततः यूपीएससी परीक्षा में सफलता दिला ही देती है.

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