Inspiring Story: गरीबी नहीं तोड़ सकी टैक्सी ड्राइवर के बेटे का हौसला, बोर्ड परीक्षा में किया टॉप
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Inspiring Story: गरीबी नहीं तोड़ सकी टैक्सी ड्राइवर के बेटे का हौसला, बोर्ड परीक्षा में किया टॉप

देबराज एक सफल चार्टर्ड एकाउंटेंट बनना चाहते हैं. बोर्ड परीक्षा में इतनी बड़ी सफलता मिलने पर उन्होंने खुद की मेहनत, माता, पिता के आशीर्वाद और शिक्षकों के गाइडेंस को बताया है.

सांकेतिक तस्वीर.

नई द‍िल्‍ली. Inspiring Story: 'पसीने की स्याही से जो लिखते हैं, अपने इरादों को....उनके मुकद्दर के पन्ने कभी कोरे नहीं हुआ करते''  ये लाइनें मेघायल बोर्ड के छात्र देबराज नाग पर एकदम सही बैठती हैं. देबराज के पिता टैक्‍सी ड्राइवर हैं, बहुत ही मुश्किलों से परिवार को दो वक्त की रोटी नसीब होती है. लेकिन देबराज ने साबित कर दिया है कि बुद्धिमान छात्रों के लिए गरीबी कोई बाधक नहीं है और कड़ी मेहनत सफलता की सबसे महत्वपूर्ण कुंजी है. देबराज नाग ने हायर सेकेंडरी स्कूल लीविंग सर्टिफिकेट (HSSLC, 12th) वाणिज्य परीक्षा में शीर्ष स्थान हासिल किया है.

देबराज एक सफल चार्टर्ड एकाउंटेंट बनना चाहते हैं. बोर्ड परीक्षा में इतनी बड़ी सफलता मिलने पर उन्होंने खुद की मेहनत, माता, पिता के आशीर्वाद और शिक्षकों के गाइडेंस को बताया है. देबराज को कॉमर्स स्ट्रीम में 474 अंक मिले हैं, जो कॉमर्स स्ट्रीम में इस बार का सबसे उच्च स्कोर है. लाबन बंगाली बॉयज स्कूल के छात्र हैं. 

पिता इतने वर्षों से कर रहे हैं ड्राइविंग
न्यूज 18 हिंदी में छपी एक खबर के मुताबिक देबराज के पिता देबूलाल पिछले 22 साल से टैक्‍सी ड्राइवर का काम करते हैं. वह मूलरूप से शेल्‍ला के रहने वाले है. 22 वर्ष पहले वे शिल्ला से काम की तलाश में शिलॉग आए थे. जब उन्हें कोई काम नहीं मिला तो यहां पर टैक्सी ड्राइविंग करने लगे. तब से लेकर आज तक वे यही काम कर रहे हैं.

देबराज का कहना है कि वे अपने माता-पिता के संघर्ष को देख रहते हैं. हालांकि वे बीते हुए समय और वर्तमान समय को ठीक नहीं कर सकते हैं. लेकिन भविष्‍य में यह सुनिश्‍च‍ित जरूर करेंगे कि उनके माता-पिता को कोई कष्‍ट ना हो और उनका जीवन सुखी रहे. वहीं, उनकी मां का कहना है कि उन्‍हें नहीं पता कि वो लोग, देबराज की उच्‍च शिक्षा का खर्च कैसे उठा पाएंगे, लेकिन पढ़ाई के लिए पैसे का जुगाड़ कहीं न कहीं से जरूर कर लेंगे.

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