Raksha Bandhan 2023: भारत में एक ऐसी जगह है, जहां बहनें अपने भाई को मरने का श्राप देती हैं. ऐसा करने के पीछे बेहद ही खास मान्यता है. जिसका पालन बहुत लंबे समय से किया जा रहा है.
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Raksha Bandhan 2023: दुनिया भर में भाई-बहन के रिश्ते की कई मिसालें दी जाती हैं. भारत में इस रिश्ते को खुशियों के साथ मनाने का सबसे बड़ा त्योहार रक्षाबंधन है, जिसमें बहनें अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती है और उनकी लंबी उम्र की प्रार्थना करती है. इसी के साथ ही भाई भी बहन को उसकी रक्षा करने का वचन देता है. यह त्यौहार भारत में अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है, कई जगहों पर इसे अलग-अलग नाम भी दिए गए हैं. इसके अलावा भारत के बाहर रहने वाले लोग भी इस तयोहार को बड़ी धूम-धाम से मनाते हैं. लेकिन भारत में एक जगह है, जहां राखी के त्यौहार के दिन बहनें अपने भाई को मरने का श्राप देती है. जी हां, शायद आपको यह सुनने में काफी अजीब लगे, लेकिन यह सच है.
यहां है रक्षाबंधन के मौके पर भाई को श्राप देने की प्रथा
दरअसल, रक्षाबंधन को मौके पर बहनों द्वारा भाई को श्राप देने की यह प्रथा छत्तीसगढ़ राज्य में है. छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले में एक समुदाय ऐसी ही प्रथा का पालन करता है. इस प्रथा के अनुसार पहले बहनें अपने भाई को मरने का श्राप देती हैं और फिर इसका प्रायश्चित भी करती हैं. इस दौरान बहनें अपनी जीभ पर कांटा चुभाती हैं, जिसे श्राप देने के बाद प्रायश्चित के तौर पर किया जाता है. बता दें कि यह प्रथा रक्षाबंधन के अलावा भाई दूज के मौके पर भी निभाई जाती है.
श्राप देने के पीछे यह है खास वजह
दरअसल, राखी के इस पावन त्योहार ऐसा करने के पीछे बेहद ही खास वजह छिपी है. बता दें कि ऐसा कहा जाता है कि यह श्राप भी भाई की रक्षा के लिए ही दिया जाता है. मान्यता है कि यह सब भाई को यमराज से बचाने के लिए किया जाता है. यहां इस संबंध में कुछ कहानियां भी बताई जाती हैं, जिनमें कहा जाता है कि एक बार यमराज एक ऐसे व्यक्ति को लेने आए थे, जिसकी बहन ने उन्हें कभी कोई श्राप नहीं दिया था. इसी के बाद से ही बहनें यहां अपने भाइयों की रक्षा के लिए इस मान्यता का पालन करने लगीं और तभी से यह समुदाय राखी के त्यौहार पर भाई को श्राप देने की मान्यता का पालन करता आ रहा है.
निभाई जाती हैं अजीबों गरीब मान्यताएं
भारत में रक्षाबंधन के मौके पर कई तरह की अलग-अलग और अजीबों गरीब मान्यताओं का पालन किया जाता है. कई मान्यताएं समय के साथ समाप्त हो गई, लेकिन कई ऐसी हैं, जो आज भी चली आ रही हैं.
Disclaimer: यह खबर सामाजिक रीति-रिवाज के आधार पर बनाई गई है, Zee News इसकी पुष्टि नहीं करता है.