चंद महीनों की तैयारी में ही बन गई डॉक्टर से IAS अफसर, पहले प्रयास में ही हासिल की दूसरी रैंक
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चंद महीनों की तैयारी में ही बन गई डॉक्टर से IAS अफसर, पहले प्रयास में ही हासिल की दूसरी रैंक

IAS Renu Raj Success Story: मुन्नार के हिल स्टेशन में, रेनू राज को अनाधिकृत निर्माण परियोजनाओं और भूमि अतिक्रमणों के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई करने के लिए जाना जाता है.

चंद महीनों की तैयारी में ही बन गई डॉक्टर से IAS अफसर, पहले प्रयास में ही हासिल की दूसरी रैंक

IAS Renu Raj Success Story: भारत में लाखों भारतीय यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा पास करके आईएएस अधिकारी बनने की चाहत रखते हैं, लेकिन यूपीएससी परीक्षा पास करना इतना आसान नहीं है, क्योंकि यह भारत की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक है. हर साल पूरे भारत से लाखों आईएएस उम्मीदवार यूपीएससी परीक्षा देते हैं, और उनमें से लगभग एक हजार उम्मीदवार ही इसे पास करने में सफल होते हैं.

आज आप उस आईएएस अधिकारी के बारे में जानेंगे जो पेशे से एक सर्जन थीं. सर्जन के रूप में काम करते हुए उन्होंने कुछ महीनों की तैयारी में ही यूपीएससी की परीक्षा दी और पहले ही प्रयास में यूपीएससी में टॉप किया. दरअसल, जिनकी हम बात कर रहे हैं, उनका नाम है आईएएस रेनू राज.

यूपीएससी परीक्षा देने के लिए रेनू राज ने अपनी मेडिकल प्रैक्टिस छोड़ दी थी. बता दें कि मुन्नार के हिल स्टेशन में, रेनू राज को अनाधिकृत निर्माण परियोजनाओं और भूमि अतिक्रमणों के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई करने के लिए जाना जाता है.

रेनू राज ने अपनी शिक्षा केरल के कोट्टायम के सेंट टेरेसा हायर सेकेंडरी स्कूल से पूरी की थी. उनका अगला पड़ाव कोट्टायम में सरकारी मेडिकल कॉलेज एडमिशन लेना था, जहां उन्होंने मेडिकल की पढ़ाई की.

रेनू राज ने कई इंटरव्यू में समाज पर प्रभाव डालने की इच्छा व्यक्त की है. उन्होंने एक बार कहा था कि एक आईएएस के रूप में हजारों लोगों की मदद करने और एक डॉक्टर के रूप में केवल 50 से 100 लोगों की मदद करने के बीच अंतर के कारण ही उन्होंने मेडिकल फील्ड को छोड़ने का फैसला किया था. रेनू राज के पिता ने 2015 में मीडिया से कहा था कि वह केवल तभी अपने पास आए लोगों की मदद कर सकती थी, अगर वह मेडिकल प्रैक्टिस करना जारी रखती. हालांकि, वह एक आईएएस अधिकारी के रूप में हजारों लोगों की सहायता कर सकती हैं.

रेनू राज ने एक बार कहा था कि "मैंने सोचा था कि एक डॉक्टर होने के नाते, मैं 50 या 100 मरीजों की मदद कर सकती थी, लेकिन एक सिविल सेवा अधिकारी के रूप में मेरे एक फैसले से हजारों लोगों को फायदा होगा. उसके बाद, मैंने यूपीएससी परीक्षा देने का फैसला किया.''

रेनू राज वर्तमान में केरल में अलाप्पुझा के जिला कलेक्टर के रूप में कार्यरत हैं.

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