Top 100 Asian University: तीन यूनिवर्सिटीज़ को मिली एंट्री, Top 10 से बाहर रहा भारत
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Top 100 Asian University: तीन यूनिवर्सिटीज़ को मिली एंट्री, Top 10 से बाहर रहा भारत

Top 100 Asian University: भारत की किसी भी यूनिवर्सिटी को Top 10 में जगह नहीं मिल सकी. जबकि चीन और सिंगापुर की यूनिवर्सिटीज़ बाजी मारने में सफल रही हैं. 

Top 100 Asian University: तीन यूनिवर्सिटीज़ को मिली एंट्री, Top 10 से बाहर रहा भारत

नई दिल्ली: Top 100 Asian University: एशिया की टॉप 100 की रैंकिंग जारी की गई है. इसमें भारत की तीन यूनिवर्सिटी को एंट्री मिली है. IISc Bangalore, IIT Ropar और IIT Indore रैंकिंग में स्थान बनाने में सफल रहे हैं. लेकिन भारत की किसी भी यूनिवर्सिटी को Top 10 में जगह नहीं मिल सकी. जबकि चीन और सिंगापुर की यूनिवर्सिटीज़ बाजी मारने में सफल रही है. 

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इन स्थान पर रहीं भारतीय यूनिवर्सिटीज़ 
भारतीय यूनिवर्सिटीज़ की बात करें, तो THE(Times Higher Education) द्वारा जारी रैकिंग में सबसे ऊपर IISc Bangalore रहा, जिसे 39 रैंकिंग मिली. इसके अलावा आईआईटी रोपड़ 55वें स्थान और आईआईटी इंदौर 78वें स्थान पर रहा. 

इन यूनिवर्सिटीज़ नें मारी बाजी
इस सूची में नंबर वन की पोजिशन चीन की यूनिवर्सिटी Tsinghua को हासिल हुआ. वहीं, दूसरा स्थान भी चीन की ही Peking यूनिवर्सिटी को मिला. इसके अलावा तीसरी और पांचवीं रैकिंग सिंगापुर की यूनिवर्सिटीज़ को हासिल हुईं. वहीं चौथे नंबर पर यूनिवर्सिटी ऑफ हॉन्गकॉन्ग रहा. 

भारतीय यूनिवर्सिटीज़ ने किया था बहिष्कार
बता दें, भारतीय यूनिवर्सिटीज़ की संख्या कम होने के पीछे बड़ी वजह बहिष्कार का है. दरअसल, दिल्ली, मुंबई और मद्रास समेत 7 IITs ने इस बार THE की रैंकिंग सिस्मट में भाग ही नहीं लिया. इसके अलावा किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज, काशी हिंदू विश्वविद्यालय और सावित्री बाई फूल विश्वविद्यालय जैसे संस्थानों ने बहिष्कार करने का फैसला लिया था. 
तब यूनिवर्सिटीज़ ने पारदर्शी पैरामीटर्स को न अपनाए जाने को वजह बताई थी. 

इन आधार पर बनती हैं रैंकिंग
अंग्रेजी वेबसाइट इंडियन एक्सप्रस में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, रैंकिंग के लिए पांच पैरामीटर्स को फॉलो किया जाते हैं. इसमें टीचिंग (शिक्षण वातावरण), रिसर्च (वॉल्यूम, इनकम और प्रतिष्ठा), प्रशंसा पत्र, इंटरनेशन ऑउटलुक (स्टाफ, स्टूडेंट्स और रिसर्च) और इंडस्ट्री इनकम शामिल है. हालांकि, बहिष्कार करते वक्त यूनिवर्सिटीज़ के ऑफिशियल्स का कहना था कि आकड़ों को लेकर पारदर्शिता नहीं है. 

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