Anti Drone Bird Squad: कमांडो नाम सुनते ही आपके मन में हथियारों से लैस इंसान की छवि बनती है लेकिन अब पुलिस फोर्स में उड़ने वाले कमांडो भी तैयार किए जा रहे हैं. हां, कन्फ्यूज मत होइए. ये पक्षी हैं जो अपनी ट्रेनिंग से दुश्मन या बाहरी ड्रोन को दो सेकेंड में मारकर गिरा सकते हैं. ये अपने साथ जाल लेकर उड़ेंगे और नजदीक आते ही बाहरी ड्रोन को अंडर अरेस्ट कर लेंगे.
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जब किसी वीआईपी का मूवमेंट होता है तो आसपास के इलाके को नो फ्लाई जोन (No Fly Zone) बनाना पड़ता है मतलब उस क्षेत्र में कोई भी उड़ने वाली कृत्रिम चीज नहीं आ सकती. फिर भी असामाजिक तत्व अपनी हरकतों से बाज नहीं आते. अब ऐसा नहीं चलेगा. अपने ही देश के एक कोने में पक्षियों की एक टीम तैयार हो रही है जो ऐसे बाहरी तत्वों को 'अंडर अरेस्ट' कर लेगी. जी हां, तेलंगाना पुलिस सिक्योरिटी की दिशा में एक बड़ा प्रयोग कर रही है.
'इंडियन एक्स्प्रेस' की रिपोर्ट के मुताबिक पांच पक्षियों का स्क्वॉड छोटे और नैनो ड्रोन्स को इंटरसेप्ट करने की ट्रेनिंग ले रहा है. गरुड़ स्क्वाड के कमांडो पक्षी आसमान में उड़ते समय अपने पंजों में जाल फंसाए रहेंगे और नो फ्लाई जोन में आने वाले ड्रोन पर फेंक देंगे. अगले ही सेकेंड ड्रोन जमीन पर होगा. ट्रेनिंग पा रहे पक्षियों में चील (Kite) और गरुड़ (Eagle) शामिल हैं.
ये बर्ड कमांडो 250 ग्राम के नैनो ड्रोन के अलावा 250 ग्राम से लेकर 2 किलो तक वजनी माइक्रो ड्रोन को भी इंटरसेप्ट कर सकेंगे. फिलहाल इनकी तैनाती VIP मूवमेंट के समय नो फ्लाई जोन की रखवाली करने के लिए की जाएगी.
दरअसल, 1 लाख रुपये तक के मिलने वाले छोटे ड्रोन सुरक्षा बलों के लिए चिंता का सबब बन रहे हैं. साइज के कारण ये बचकर भाग निकलते हैं. हाल में जब इन आसमानी कमांडोज को तैनात किया गया तो कम खर्च में इन्होंने शानदार प्रदर्शन किया. बाहरी ड्रोन पर जाल फेंकते समय उसके घूमते पंखों से पक्षी को कोई नुकसान न हो, ट्रेनर इसका पूरा ध्यान रख रहे हैं.
ट्रेनिंग प्रक्रिया में ट्रायल और एरर दोनों शामिल है. अब तक की प्रक्रिया में किसी भी पक्षी को कोई नुकसान नहीं पहुंचा है. इन कमांडो पक्षियों को ऐसे भी ट्रेनिंग दी जा रही है जिससे ये सीधे अपने पंजों से भी वार कर सकें.
तेलंगाना के पुलिस अधिकारियों का कहना है कि वे अपनी जानकारी और क्षमता को दूसरे पुलिस विभाग और सुरक्षा बलों के साथ शेयर करने को तैयार हैं. राज्य सरकार के आदेश के बाद 2021 से इस दिशा में काम शुरू हुआ. अब तीन साल बाद पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर इसे इस्तेमाल में लिया जाने लगा है.
हाल में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी कहा था कि ड्रोन से बढ़ते खतरों से निपटने के लिए हमें एंटी-ड्रोन यूनिट तैयार करने की जरूरत है. (फोटो- AI)