बाढ़ भी नहीं तोड़ पाई स्कूल जानें का हौसला; हर दिन खुद नाव चला स्कूल जाती हैं संध्या, वीडियो वायरल
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बाढ़ भी नहीं तोड़ पाई स्कूल जानें का हौसला; हर दिन खुद नाव चला स्कूल जाती हैं संध्या, वीडियो वायरल

मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो संध्या साहनी का घर गोरखपुर के बहरामपुर एरिया में है. उनकी परिवारिक स्थिति ज्यादा ठीक नहीं हैं. उनके पिता बड़ई का काम करते हैं और उससे मिलने वाले पैसे से ही परिवार का खर्च चलता है. संध्या बड़ी होकर कुछ अच्छा कर सकें और परिवार की गरीबी दूर कर सकें, इसलिए वह राप्ती नदी को नाव से पार करके स्कूल जाती हैं. 

सांकेतिक तस्वीर.

नई दिल्ली. एक तरफ तमाम सुविधाएं मिलने के बावजूद भी अधिकतर बच्चे बिगड़ जाते हैं या फिर स्कूल नहीं जाने के लिए तमाम बहाने बनाते हैं. लेकिन उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले की रहने वाली संध्या साहनी ने ऐसे बच्चों के लिए नजीर पेश की है. बाढ़ के कारण सड़क डूब जानें के चलते संध्या हर दिन 800 मीटर नाव चलाकर स्कूल जाती हैं. उनका यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. 

मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो संध्या साहनी का घर गोरखपुर के बहरामपुर एरिया में है. उनकी परिवारिक स्थिति ज्यादा ठीक नहीं हैं. उनके पिता बड़ई का काम करते हैं और उससे मिलने वाले पैसे से ही परिवार का खर्च चलता है. संध्या बड़ी होकर कुछ अच्छा कर सकें और परिवार की गरीबी दूर कर सकें, इसलिए वह राप्ती नदी को नाव से पार करके स्कूल जाती हैं. 

संध्या एडी राजकीय कन्या इंटर कॉलेज में 11वीं क्लास में पढ़ती हैं. संध्या का कहना है कि कोरोना के समय स्कूल बंद हो गया था, जिससे उनकी पढ़ाई रुक गई थी. उनके पास मोबाइल (Mobile) नहीं था, इस वजह से वे ऑनलाइन क्लास भी नहीं कर पाईं. जब सरकार के फैसले के बाद स्कूल खोलने की खबर आई तो उनके गांव के आसपास बाढ़ आ गई थी. लेकिन संध्या ने हार नहीं मानी और नाव चलाकर स्कूल जाने का फैसला किया.

संध्या, सरोजिनी नायडू, पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी, कल्पना चावला और पीटी ऊषा को अपना आदर्श मानती हैं. उनका मानना है कि अच्छी शिक्षा ही उनके परिवार की गरीबी दूर कर सकती है. संध्या के इस लगन और दृढ़ निश्चय को लोग सलाम कर रहे हैं. 

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