Success Story: एक नेत्रहीन कैंडिडेट होने के कारण उन्हें जिन परेशानियों का सामना करना पड़ा उसको लेकर उन्होंने कहा है कि, संसाधनों ओर हाथों से लिखें हुए नोट्स की रीच हमारे लिए बहुत कम है. इस कारण हमें परीक्षा की तैयारी करने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.
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नई दिल्ली: किसी ने क्या खूब कहा है, "मंजिल उन्हीं को मिलती है जिनके सपनों में जान होती है, पंखों से कुछ नहीं होता हौसलों से उड़ान होती है." इसी प्रकार के हौसले की मिसाल पेश की है ओडिशा के प्रचुर्य प्रधान (Prachurya Pradhan) ने, जिन्होंने 100 प्रतिशत नेत्रहीन होने के बावजूद राज्य की सिविल सेवा परीक्षा अपने पहले ही प्रयास में पास कर ली हैं. बीते शुक्रवार को ओडिशा लोक सेवा आयोग (OPSC) की सिविल सेवा परीक्षा 2020 का परिणाम जारी किया गया था.
नेत्रहीन होने के कारण करना पड़ा कई मुश्किलों का सामना
बता दें 25 वर्षिय प्राचुर्य ओडिशा के नुआपाड़ा के बोडेन निवासी हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, प्राचुर्य अभी ओडिशा माइनिंग कॉर्पोरेशन में एक सहायक प्रबंधक के तौर पर कार्य कर रहे हैं. एक नेत्रहीन कैंडिडेट होने के कारण उन्हें जिन परेशानियों का सामना करना पड़ा उसको लेकर उन्होंने कहा है कि, संसाधनों ओर हाथों से लिखें हुए नोट्स की रीच हमारे लिए बहुत कम है. इस कारण हमें परीक्षा की तैयारी करने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.
अंतर्राष्ट्रीय शतरंत खिलाड़ी भी हैं प्रचुर्य
इसके अलावा उन्होंने कहा कि "मेरे लिए एक सबसे बड़ी चुनौती टाइम मेनेजमेंट की थी. ऐसे इसलिए क्योंकि मैं एक अंतर्राष्ट्रीय शतरंत खिलाड़ी भी हूं, ऐसे में मेरे लिए जॉब, परीक्षा की तैयारी और शतरंज को एक साथ मेनेज करना सबसे मुश्किल टास्क था." इसी कारण से प्राचुर्य परीक्षा के लिए रोजाना केवल 4 से 5 घंटे ही तैयारी कर पाते थे और तैयारी के लिए इतना समय निकालने के लिए भी उन्हें अन्य कई चीजों को छोड़ना पड़ता था. प्रचुर्य कहते हैं कि इतना सब कुछ करने बाद आखिर में उन्हें सफलता मिल ही गई. बता दें कि 25 वर्षिय प्राचुर्य ने अपने पहले ही अटेंप्ट में 292वां स्थान हासिल कर राज्य की सिविल सेवा परीक्षा पास कर ली है.
कॉमर्स की फील्ड में कर रहे PhD
आपको बता दें कि प्राचुर्य पूरी तरह से नेत्रहीन होने के बावजूद अपने जीवन में बहुत सी सफलताएं हासिल कर चुके हैं. वे इससे पहले राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (NET) और जूनियर रिसर्च फेलोशिप (JRF) भी क्वालीफाई कर चुके हैं. इसके अतिरिक्त वे इस वक्त रेनशॉ विश्वविद्यालय, कटक से कॉमर्स की फील्ड में PhD कर रहे हैं. इसी के साथ, उन्होंने IPCC के दोनों ग्रुप भी क्लियर कर लिए हैं, अब उनका केवल CA Final Exam देना बाकी है. प्राचुर्य 2018 में इंडोनेशिया के जकारता में आयोजित हुए तीसरे एशियाई पैरा खेलों में रजत पदक भी जीत चुके हैं. इसके लिए उन्हें प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा सम्मानित भी किया जा चुका है.