भारत की विकास गाथा का हिस्सा बनना चाहता था : UPSC टॉपर कनिष्क कटारिया
Advertisement
trendingNow1514198

भारत की विकास गाथा का हिस्सा बनना चाहता था : UPSC टॉपर कनिष्क कटारिया

आईआईटी बम्बई से पढ़ाई कर चुके कनिष्क ने पहले ही प्रयास में केंद्रीय लोकसेवा आयोग (यूपीएससी) की परीक्षा में टॉप किया है. 

राजस्थान के रहने वाले कनिष्क के पिता सांवर मल वर्मा भी आईएएस अधिकारी हैं.(फाइल फोटो)

जयपुर: सिविल सेवा परीक्षा के टॉपर कनिष्क कटारिया ने शनिवार को कहा कि वह भारत की विकास गाथा का हिस्सा बनना चाहते थे, जिसने उन्हें प्रतियोगी परीक्षा में बैठने के लिए प्रेरित किया. सिविल सेवा के लिए उन्होंने दक्षिण कोरिया की एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में शानदार करियर को छोड़ दिया. आईआईटी बम्बई से पढ़ाई कर चुके कनिष्क ने पहले ही प्रयास में केंद्रीय लोकसेवा आयोग (यूपीएससी) की परीक्षा में टॉप किया है. नतीजे शुक्रवार को घोषित किए गए थे. एक साल से ज्यादा वक्त तक सैमसंग के साथ काम कर चुके कटारिया ने आईएएनएस को बताया, "ऐसा लग रहा था कि मैं सिर्फ पैसा कमाने के लिए काम कर रहा हूं और मुझे संतुष्टि नहीं मिल रही थी. "

उन्होंने कहा, "मेरे दिल में कहीं न कहीं भारत की विकास गाथा का हिस्सा बनने की महत्वाकांक्षा पनपने लगी और फिर मैंने अपने देश लौटने का फैसला किया. यहां तक कि एक करोड़ रुपये का पैकेज भी मुझे भारत लौटने से रोक नहीं पाया. " राजस्थान के रहने वाले कनिष्क के पिता सांवर मल वर्मा भी आईएएस अधिकारी हैं, जो फिलहाल राजस्थान सरकार के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के निदेशक हैं. 

उनके चाचा के.सी. वर्मा जयपुर में संभागीय आयुक्त के पद पर तैनात हैं. कटारिया ने हंसते हुए कहा, "बचपन से ही मैंने अपने पिता और चाचा को देश के लिए वरिष्ठ अधिकारियों के रूप में काम करते हुए देखा है..मैं भी उनकी तरह बनना चाहता था, इसलिए मैंने सैमसंग से इस्तीफा दिया और जयपुर वापस आ गया. " उन्होंने कहा, "मेरे परिवार ने मुझपर भरोसा जताया और सभी मेरे फैसले के साथ खड़े हुए. "

Trending news