Chhattisgarh Elections 2018, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह 1 घंटे की काउंटिंग के बाद शुरुआती रुझानों में पीछे चल रहे थे.
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नई दिल्ली : Chhattisgarh Elections 2018, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह 1 घंटे की काउंटिंग के बाद शुरुआती रुझानों में पीछे चल रहे थे. राजनंदगांव प्रदेश की सबसे चर्चित विधानसभा सीटों में से एक है. यहां कांग्रेस ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की भतीजी करुणा शुक्ला को उम्मीद्वार बनाया है. बता दें करुणा शुक्ला पहली बार 1993 में बीजेपी से विधायक चुनी गई थीं. सूत्रों की मानें तो करुणा शुक्ला भाजपा की अनदेखी से बेहद नाराज थीं और यही कारण है कि उन्होंने भाजपा का साथ छोड़ कांग्रेस का दामन थाम लिया. छत्तीसगढ़ में 90 सीटों पर चुनाव हुए हैं. मतगणना के लिए 5184 गणनाकर्मी और 1500 माइक्रोऑब्जर्वर नियुक्त किए गए हैं.
कौन हैं रमन सिंह
Chhattisgarh Assembly Elections 2018 : छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के साथ-साथ इस बार अजित जोगी और बीएसपी गठबंधन भी मैदान में है. ऐसे में रमन सिंह को दो तरफा लड़ाई लड़नी पड़ी. बीजेपी पिछले 15 साल से सत्ता में हैं. ऐसे में सत्ता विरोधी लहर का मुकाबला भी वह कर रहे हैं. बीजेपी के लिए वह सीएम के तौर पर एक रिकॉर्ड बनाने वाले रमन सिंह की छवि एक साफ और सौम्य नेता की रही है. लेकिन इस बार कई आरोपों के छींटे उनके दामन तक भी पहुंचे.
2000 में छत्तीसगढ़ का निर्माण
Chhattisgarh Assembly Elections 2018 : जिस सत्ता को फिर से हासिल करने के लिए रमन सिंह सबसे मुश्किल लड़ाई लड़ रहे हैं, वह उन्हें संयोग से मिली. वर्ष 2000 में छत्तीसगढ़ का निर्माण हुआ और कांग्रेस ने अजित जोगी मुखिया बना दिया. 2003 आमने सामने की लड़ाई में बीजेपी ने दिलीप सिंह जूदेव की मूंछों को दांव पर लगाकर चुनाव में जीत हासिल कर ली. सभी को लग रहा था कि जूदेव ही सीएम बनेंगे, लेकिन उससे पहले ही मामला बिगड़ गया. घूस लेने के एक टेप में जूदेव पकड़े गए. बीजेपी आलाकमान ने रातोंरात रमन सिंह को छत्तीसगढ़ का भाग्य विधाता बना दिया. रमन सिंह तब विधायक भी नहीं थे. वह वाजपेयी मंत्रिमंडल में जूनियर मंत्री के तौर पर काम कर रहे थे. तब से लेकर आज तक रमन सिंह नक्सलियों के लिए पहचाने जाने वाली धरती के अविजित योद्धा बने हुए हैं.
किसान परिवार में पैदा हुए
Chhattisgarh Assembly Elections 2018 : रमन सिंह कवर्धा (अब कबीरधाम जिला) के थाटापुर जिले में 15 अक्टूबर 1952 को एक किसान परिवार में पैदा हुए. अपने आरंभिक राजनीतिक जीवन से ही सिंह राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ से जुड़ गए. उन्होंने बीएएमएस (बैचलर ऑफ आयुर्वेदिक मेडिसिन) की उपाधि हासिल की. वह अपने स्कूल के दिनों के दौरान भारतीय जनसंघ में शामिल हुए. इन्होंने श्रीमती वीणा सिंह से विवाह किया और इनके दो बच्चे हैं, बेटा अभिषेक सिंह और बेटी अस्मिता सिंह.