यहां सैकड़ों मुर्दे हर महीने राशन लेने आते हैं, यकीन नहीं तो जरा रिपोर्ट देख लीजिए
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यहां सैकड़ों मुर्दे हर महीने राशन लेने आते हैं, यकीन नहीं तो जरा रिपोर्ट देख लीजिए

बिहार के पश्चिम चंपारण, बेतिया का बगही बगमभरपुर पंचायत में यहां मुर्दे  राशन लेने आते हैं और प्रतिमाह राशन लेकर भ्रष्टाचार की बनी सीढ़ियों से फिर यमलोक पहुंच जाते है. जी हां, चौंकिए मत. इनकी संख्या एक- दो नहीं बल्कि सैकड़ों में है. जी मीडिया टीम ने पड़ताल किया तो मामले ने पूरे सिस्टम की पोल खोल कर रख दिया.

बिहार के बेतिया जिले में PDS सिस्टम का बड़ा खेल, पंचायत में सैकड़ो की तादाद में मुर्दों को दी जा रही राशन.

Patna: बिहार के पश्चिम चंपारण, बेतिया का बगही बगमभरपुर पंचायत में (PDS) यानी सार्वजनिक वितरण प्रणाली में अनियमितता का एक ऐसा मामला सामने आया है जहां पीडीएस में लूट मची हुई है. यहां हजारों मुर्दे प्रति माह राशन उठाते हैं और जिंदा राशन की राह देखते रह जाते हैं. इस मामले में जी मीडिया लगातार जनसरोकार से जुड़ी खबर दिखा रही है और इसी कड़ी में आज जी मीडिया की टीम PDS पर पड़ताल की है. पड़ताल में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए है.

बिहार के पश्चिम चंपारण, बेतिया का बगही बगमभरपुर पंचायत में यहां मुर्दे राशन लेने आते हैं और प्रतिमाह राशन लेकर भ्रष्टाचार की बनी सीढ़ियों से फिर यमलोक पहुंच जाते है. जी हां, चौंकिए मत. इनकी संख्या एक- दो नहीं बल्कि सैकड़ों में है. जी मीडिया टीम ने पड़ताल किया तो मामले ने पूरे सिस्टम की पोल खोल कर रख दिया.

 प्रति माह एक सौ पंद्रह मुर्दे महज दो दुकानों से लेते हैं राशन
बगही बगमभरपुर के पैक्स प्रबंधक भरत प्रसाद और बगल के ही एक डीलर शेषनाथ पासवान के दुकान में प्रति माह एक सौ पंद्रह मुर्दे स्वर्ग से आते है सिर्फ और सिर्फ राशन लेने के लिए. जी हां जी मीडिया की यह पड़ताल सिर्फ दो दुकानों से है अब इससे आप सहज अंदाजा लगा सकते हैं जिला में कितने मुर्दे प्रति माह राशन लेने स्वर्ग से आते होंगे अगर इसका इन दो दुकानों से अनुमान लगाया जाए तो हजारों मुर्दे प्रति माह राशन उठा रहे है. पैक्स प्रबंधक ने भरत प्रसाद ने बताया कि उनके दुकान से प्रति माह एक सौ से अधिक मुर्दे राशन उठाते है तो वहीं दूसरे डीलर शेषनाथ प्रसाद ने बताया कि उनके दुकान से 15 मुर्दे राशन उठाते है. अब सवाल उठता है कि ये कैसा सिस्टम है जहां मुर्दे भी राशन उठाते हैं.

कैमरे पर बोलने से किया इंकार 
जी मीडिया की यह दूसरी पड़ताल इसी पंचायत से देखे एक तरफ इसी पंचायत में सैकड़ो की तादाद में मुर्दों को राशन दी जा रही है तो दूसरी तरफ महादलित बस्ती में बेहद गरीब परिवारों को राशन नहीं मिल रहा है. ये 50 परिवार दाने- दाने को मोहताज है. इनके घर में चूल्हे तक नहीं जल रहे हैं. इन परिवारों की बदकिस्मती देखे ये जिंदा है तो दर- बदर राशन के लिए भटक रहे हैं और जो मर गए हैं दशकों पहले उनको यह सिस्टम प्रति माह राशन स्वर्ग में पहुंचा रही हैं इस नकारा और खटारा सिस्टम को देखें जंहा सिर्फ लूट ही लूट है इस मुद्दे पर जब जिला के वरीय पदाधिकारियों से बात की गई तो सभी ने कार्यवाही करने की बात तो कहीं लेकिन कैमरे पर कुछ भी बोलने से इंकार कर दिया अधिकारियों की चुप्पी ने यह साबित कर दिया कि यहां चोर है सब कोई साधु नहीं.

क्या है PDS ?
गरीब भुखा न रहें इसके लिए सरकार काफी सस्ते दर पर अनाज उपलब्ध करवा रहीं है. अनाज के रूप में गेहूं और चावल लाभुकों को दिया जाता है. हर गरीब यानी अन्तयोदय श्रेणी के परिवार को 35 किलोग्राम चावल और गेहूं देती है जबकि अन्य परिवार यानी पूर्वीकता प्राप्त श्रेणी परिवार को हर महीने 5 किलोग्राम चावल और गेहूं दे रही हैं. गेहूं दो रुपए की दर से तो चावल 3 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से मिलता है. वहीं कोरोना काल के अप्रैल 2020 से हर परिवार के हर व्यक्ति को पांच किलो अनाज मुफ्त दिया जा रहा. मुफ्त अनाज में 2 किलोग्राम गेहूं और 3 किलोग्राम चावल लाभुकों को मिलता है.यह लाभ प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत मिलती है.

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