भोपाल में 187 में से 23 पंचायतों में नल जल योजनाएं सूखीं. 4312 बोर में से 8% सूखे, 12% सूखने वाले हैं. जलसंकट का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि राजधानी में रोजाना 104 एमजीडी पानी की सप्लाई की आवश्यकता है, लेकिन, निगम सिर्फ 70 एमजीडी ही सप्लाई कर रहा है.
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भोपालः मध्य प्रदेश के कई शहर के गंभीर जल संकट की चपेट में हैं. हालात इतने खराब हैं कि दो दर्जन शहरों में एक दिन छोड़ कर पानी की सप्लाई की जा रही है. राजधानी भोपाल समेत तकरीबन दर्जन भर से ज्यादा जिलों को जल आभाव ग्रस्त घोषित किया गया है. स्थानीय जिला प्रशासन ने इन जगहों को जल आभाव ग्रस्त घोषित किया है. प्रदेश के बांध और तालाब भी गंभीर जलसंकट के दौर में दम तोड़ रहे हैं. हालात इतने गंभीर है कि सरकार खुद सूखे के हालात पर बैठकों पर बैठक कर रही है और संकट को बढ़ता देख पूर्व की सरकार पर ठीकरा फोड़ रही है.
वहीं प्रदेश की राजधानी भोपाल में कई इलाकों में अघोषित रुप से दो दिनों में एक बार पानी की सप्लाई की जा रही है. यही नहीं जल संकट की ये स्थिति प्रदेश के दूसरे जिलों में भी है. स्थिति इतनी खराब है कई जिलों में निजी ट्यूबवेल, कुएं, बावड़ी, तालाब और अन्य निजी जलस्रोतों के अधिग्रहण के आदेश जारी कर दिए हैं. जिले में सभी एसडीएम को अधिकार दिए गए हैं कि उनके इलाके में पानी की किल्लत होने पर जलस्रोतों का अधिग्रहण कर सकेंगे.
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भोपाल में 187 में से 23 पंचायतों में नल जल योजनाएं सूखीं. 4312 बोर में से 8% सूखे, 12% सूखने वाले हैं. जलसंकट का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि राजधानी में रोजाना 104 एमजीडी पानी की सप्लाई की आवश्यकता है, लेकिन, निगम सिर्फ 70 एमजीडी ही सप्लाई कर रहा है. दूसरी ओर प्रदेश के 165 बड़े जलाशयों में से 80 से ज्यादा का पेट खाली है और 30 में उनकी क्षमता का 10 फीसदी से भी कम पानी बचा है. भूमिगत जलस्तर कम होने से हैंडपम्प और ट्यूबवेल भी पूरी क्षमता से पानी खींच नहीं पा रहे हैं. यही हाल प्रदेश के बुंदेलखंड का भी है.
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जहां लोग पानी के लिए अपनी जान खतरे में डालने को मजबूर हो गए हैं. यहां लोग जलाशयों में पानी का स्तर कम होने के चलते इनमें उतरने को मजबूर हो गए हैं. वहीं कई जगह लोगों को दूषित पानी से काम चलाना पड़ रहा है. जिसके चलते लोग बीमार हो रहे हैं. वहीं प्रशासन से पूछने पर इन्हें संतोषजनक जवाब भी नहीं मिल रहे, जिससे लोग काफी परेशान हैं.