Film On Taboo Subject: ऐसे कई विषय हैं जिन पर लोग खुल कर बात नहीं करते. मगर कई फिल्मकार ऐसे विषयों पर फिल्म बनाने का साहस करते हैं. ग्लैमरस तस्वीरों से सोशल मीडिया में सुर्खियां बटोरने वाली एक्ट्रेस अविका गौर ऐसी ही फिल्म से बॉलीवुड में डेब्यू कर रही हैं.
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Bollywood Social Drama: छोटे पर्दे पर लाखों लोगों का दिल जीतने वाली अविका गौर तेलुगु और कन्नड़ फिल्मों के बाद अब बॉलीवुड में कदम रखने के लिए तैयार हैं. उनकी डेब्यू फिल्म का नाम है, कहानी रबरबैंड की. फिल्म का निर्देशन डेब्यू मेकर सारिका संजोत ने किया है. यूं तो यह फिल्म सोशल ड्रामा है, लेकिन इसका सब्जेक्ट इतना बोल्ड है कि लोग इसके बारे में बात करने में तक हिचकिचाएंगे. पिछले कुछ महीनों में स्त्री-पुरुष के बीच सुरक्षित संबंध बनाने के मुद्दे पर हेलमेट और जनहित में जारी जैसी फिल्में आई हैं, जिनमें समाज को यही मैसेज दिया गया कि कंडोम पर बात करने में झिझक नहीं होनी चाहिए क्योंकि इसका उद्देश्य लोगों को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करना है.
शादी के बाद की प्लानिंग
फिल्म रबरबैंड इस मुद्दे को थोड़ा अलग ढंग से देखती है. अविका गौर के साथ फिल्म में उनके सीरियल ससुराल सिमर का के को-स्टार मनीष रायसिंघन भी डेब्यू कर रहे हैं. वेबसीरीज 1992 और पिछले दिनों फिल्म अतिथि भूतो भव में नजर आए प्रतीक गांधी (Pratik Gandhi) और कॉमेडियन गौरव गेरा (Gourav Gera), अरुणा ईरानी (Aruna Irani) तथा पेंटल जैसे सीनियर एक्टर भी इस फिल्म में हैं. कहानी अक्सर अपनी बोल्ड तस्वीरों से सोशल मीडिया में छाई रहने वाली अविका गौर और मनीष रायसिंघन की लव स्टोरी के रूप में बनारस (Banaras) में शुरू होती है और जल्दी ही शादी तक पहुंचती है. दोनों प्लान करते हैं कि कुछ समय उनके जीवन में सिर्फ रोमांस होगा और कुछ नहीं. मगर वह जैसा प्लान करते हैं और वैसा होता नहीं और नायिका प्रेग्नेंट हो जाती है. सारा मामला फिर कोर्ट तक जाता है, जहां आपको प्रतीक गांधी को कंडोम मैन्युफेक्चरर के विरुद्ध अविका और मनीष का केस लड़ते नजर आएंगे.
ताकि लोग छोड़ दें झिझक
निर्देशक सरिता संजोत के अनुसार उनकी फिल्म एक जबर्दस्त कॉमेडी है, जो ऐसे दुकानदार के बारे में है जो रबरबैंड ब्रांड नेम के कंडोम (Condom) बेचता है. यह फिल्म लोगों को शिक्षित और जागरूक करेगी. यह ऐसा जरूरी मुद्दा है, जिसे समाज में खुले तौर पर स्वीकार किया जाना जरूरी है. सरिता संजोत कहती हैं कि यह दुर्भाग्य है कि हमारे समाज में यह एक टैबू विषय है और फिल्म बनाने का उद्देश्य यही है कि लोग अपनी झिझक छोड़ कर घर में भी इन पर बात कर सकें. मैं चाहती हूं कि युवा आराम से मेडिकल स्टोर में जाकर, बगैर शर्मिंदगी महसूस किए कंडोम खरीद सकें. फिल्म 14 अक्तूबर को थियेटरों में रिलीज होगी.
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