बॉलीवुड में 'शोले' और 'दीवार' जैसी मील का पत्थर मानी जाने वाली कई फिल्मों की पटकथा इसी जोड़ी ने लिखी, लेकिन एक छोटी सी बात के बाद सब बिखर गया.
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नई दिल्ली. हिंदी सिनेमा में किसी चीज का सबसे ज्यादा महत्व होता है तो वह होती है उस फिल्म की कहानी, और इस कहानी के साथ फिल्म के संवाद. बॉलीवुड के गोल्डन एरा में सबसे ज्यादा ब्लॉक बस्टर फिल्में देने के लिए अगर किसी लेखक है का नाम लिया जाए तो वह किसी एक का नाम नहीं है, यह फिल्में दी हैं सलीम-जावेद की बेमिसाल जोड़ी ने. लेकिन यादों की बारात, जंजीर जैसी शानदार फिल्मों को लेकर जानी जाने वाली यह जोड़ी अचानक से टूट गई. लेकिन कम ही लोगों को पता है कि यह जोड़ी टूटने की वजह क्या थी.
जावेद का था फैसला
एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में सलीम खान से जब जावेद अख्तर से उनके अलगाव के बारे में बात की गई तो उन्होंने बताया कि यह अलग होने का फैसला जावेद अख्तर का था, सलीम ने कहा, 'एक दिन हम दोनों जावेद के दरवाजे पर खड़े-खड़े बात कर रहे थे, तभी जावेद ने कहा कि मैं आपके साथ काम नहीं करना चाहता, हमें अलग हो जाना चाहिए. मुझे वजह नहीं पता थी, और न ही मैंने जानने की कोशिश की, मैं वहां से चला आया.' जब सलीम से यह पूछा गया कि उन्होंने कभी बात करने की कोशिश क्यों नहीं की तो उन्होंने कहा कि पता नहीं लेकिन बात करने की वजह ही नजर नहीं आई.
एक अलग इंटरव्यू में सलीम ने कहा था कि शायद जावेद गाने लिखना चाहते थे, और इसमें सलीम का कोई इंटरेस्ट नहीं था इसलिए जावेद अख्तर ने अलग होने का फैसला किया. यह बात इसलिए भी मानी जा सकती है क्योंकि इस अलगाव के बाद से ही जावेद अख्तर ने फिल्मों में गाने लिखने शुरु किए थे.
कब हुई थी दोस्ती
सलीम खान और जावेद अख्तर दोनों ही मध्यप्रदेश की देन हैं. लेकिन इन दोनों की दोस्ती हुई फिल्म 'सरहदी लुटेरा' के सेट पर. जहां सलीम एक हीरो के रोल में थे और जावेद अपनी पटकथा लेखन के शुरुआती दौर में थे. इन दोनों की दोस्ती 'लेखक-जोड़ी' में बदल गई और नतीजे में दर्शकों को देखने को मिली फिल्म 'सीता और गीता' (1972). इसके बाद दोनों ने मिलकर नासिर हुसैन की फिल्म 'यादों की बारात' (1973) लिखी. ये दोनों फिल्में बॉक्स ऑफिस पर सुपरहिट रहीं.