'अगर आपको कोई फिल्म पसंद नहीं है, तो उसे मत देखें लेकिन कानून व्यवस्था ना बिगाड़ें'
Advertisement
trendingNow1323729

'अगर आपको कोई फिल्म पसंद नहीं है, तो उसे मत देखें लेकिन कानून व्यवस्था ना बिगाड़ें'

बॉलीवुड अदाकारा शबाना आजमी का कहना है कि लोकतंत्र में असहमति होना तो ठीक है लेकिन लोगों को हिंसक नहीं होना चाहिए और स्थिति को अपने हाथों में नहीं लेना चाहिए.

कला में असहमति तो ठीक है, लेकिन कानून व्यवस्था कायम रखना चाहिए: शबाना आजमी

कोलकाता : बॉलीवुड अदाकारा शबाना आजमी का कहना है कि लोकतंत्र में असहमति होना तो ठीक है लेकिन लोगों को हिंसक नहीं होना चाहिए और स्थिति को अपने हाथों में नहीं लेना चाहिए.

फिल्म निर्माता अर्पणा सेन के साथ यहां एक सत्र को संबोधित करते हुए अभिनेत्री ने कहा कि अगर कानून व्यवस्था की स्थिति बिगड़ती है तो राज्य सरकारों को स्थिति को नियंत्रित करने के लिए कदम उठाना चाहिए.

आजमी ने कहा, ‘‘अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से लोकतंत्र में स्वाभाविक तौर पर असहमति होगी. कला के क्षेत्र में असहमति होना मौलिक अधिकार है लेकिन अगर एक किताब, कला को लेकर असहमति है और अगर आप इसे पसंद नहीं करते तो आपके पास थिएटर के बाहर अपने विचार रखने का अधिकार है लेकिन आप कानून व्यवस्था के लिए संकट पैदा नहीं कर सकते.’’ 

शबाना ने अपनी आगामी फिल्म 'सोनाटा' से जुड़े एक सत्र 'टेक्स्ट टू कनेक्स्ट' में कहा, "किसी भी लोकतंत्र में असंतोष व्यक्त करना मौलिक अधिकार होता है. अगर आपको कोई फिल्म पसंद नहीं है, तो उसे मत देखें, कोई किताब पसंद नहीं है, तो उसे मत पढ़ें. लेकिन आप कानून और व्यवस्था की ऐसी स्थिति पैदा नहीं कर सकते, जिससे हिंसा हो. ऐसे में प्रशासन की भूमिका आती है और प्रशासन अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाता.'

फिल्म ‘‘पद्मावती’’ के सेट पर निर्देशक संजय लीला भंसाली पर हमले की ओर इशारा करते हुए अदाकारा ने कहा कि ऐसे विरोध प्रदर्शन कई बार क्षणिक प्रसिद्धि पाने के लिए किए जाते हैं.

उन्होंने कहा, ‘‘कितनी फिल्म सच में लोगों को आहत करती है ?’’ क्योंकि दस लोग खड़े हो जाते हैं और कहते है कि यह फिल्म उन्हें आहत करती है और वे टीवी पर आ जाते हैं. उन्हें क्षणिक प्रसिद्धि मिल जाती है.

आजमी ने कहा कि अगर राज्य सरकार में इच्छाशक्ति हो तो वह किसी फिल्म की रिलीज के बाद होने वाले किसी भी हिंसक प्रदर्शन को नियंत्रित कर सकती है.

अभिनेत्री ने कहा, ‘‘अगर सेंसर बोर्ड से पास होने के बाद किसी फिल्म को संवैधानिक संस्थाओं से इतर विरोध का सामना करता पड़ता है और अगर राज्य सरकार इस पर नियंत्रण करना चाहती है तो वह कर सकती है. याद करिये कि बाबरी मस्जिद विध्वंस और दंगों के बाद मुंबई विस्फोट की घटना हुई लेकिन उन विस्फोटों के बाद कोई घटना नहीं हुई. ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि सरकार ने निर्णय लिया कि किसी भी हिंसा को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.’’

शबाना आजमी के विचारों को दोहराते देते हुए अर्पणा ने कहा, ‘‘राज्य को कानून एवं व्यवस्था की स्थिति की समस्या को नियंत्रित करने की जिम्मेदारी लेनी होगी.’’

Trending news