Film Review: 'रंगून' प्यार, देश प्रेम और प्रेम त्रिकोण के बीच उलझी कहानी!
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Film Review: 'रंगून' प्यार, देश प्रेम और प्रेम त्रिकोण के बीच उलझी कहानी!

फिल्म 'रंगून' सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है। फिल्म की कहानी भी एक प्रेम त्रिकोण है, जो ग़ुलाम भारत के दौर में और विश्वयुद्ध के बैकड्रॉप में चलती है।फिल्‍म 'रंगून' जिसे विशाल भारद्वाज ने निर्देशित किया है, इस फिल्‍म में मुख्‍य भूमिका सैफ अली खान, कंगना रनौत, शाहिद कपूर और रिचर्ड मैकेब ने निभायी है।

Film Review: 'रंगून' प्यार, देश प्रेम और प्रेम त्रिकोण के बीच उलझी कहानी!

नई दिल्‍ली: फिल्म 'रंगून' सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है। फिल्म की कहानी भी एक प्रेम त्रिकोण है, जो ग़ुलाम भारत के दौर में और विश्वयुद्ध के बैकड्रॉप में चलती है।फिल्‍म 'रंगून' जिसे विशाल भारद्वाज ने निर्देशित किया है, इस फिल्‍म में मुख्‍य भूमिका सैफ अली खान, कंगना रनौत, शाहिद कपूर और रिचर्ड मैकेब ने निभायी है।

फिल्म की कहानी

फिल्म 'रंगून' की कहानी बॉलीवुड की एक खूबसूरत एक्शन स्टार जूलिया यानि कंगना रनौत की है, जिसे बर्मा की सीमा पर सैनिकों का मनोरंजन करने के लिए भेजा जाता है. यहां जूलिया को एक भारतीय सिपाही नवाब मलिक (शाहिद कपूर) से इश्क हो जाता है।

जूलिया वापस मुंबई लौटती है, अपने पहले प्रेमी रूसी बिलिमोरिया (सैफ़ अली खान) के पास. रूसी एक फिल्म प्रोड्यूसर है और जूलिया के लिए फ़िल्में बनाता है. जूलिया के प्यार में रूसी अपनी बीवी को तलाक भी दे चुका है।

प्यार की तड़प, जलन और छल की इमोशनल कहानी तब शुरू होती है, जब रूसी को जूलिया और नवाब के अफेयर का पता चलता है। आखिर में फिल्म प्रेम और देशप्रेम के लिए बलिदान की दास्तां बनकर खत्म होती है।

फिल्‍म का पहला हिस्‍सा काफी हल्‍का लगता है और स्क्रिप्‍ट और कहानी में झोल साफ नजर आता है। फिल्‍म में काफी तामझाम है जैसे यहां सेट्स काफी बड़ा है, उसपर काफी मेहनत है लेकिन इस सब में कहानी कहीं खो जाती है।

फिल्‍म की खूबियों की बात करें तो इसकी सबसे बड़ी खूबी है इसका कैनवास जिस पृष्‍ठभूमि में इसे रचा गय है वह काफी बड़ा और दर्शकों को अपने बीच उलझाये रखने के लिए अच्‍छा है। युद्ध के इस माहौल में फिल्‍म इंडस्‍ट्री कितनी कमजोर हुई थी और उसे कितनी समस्‍यओं का सामना करना पड़ा, यह सब इस फिल्‍म के दिखाने की कोशिश की गई है।

फिल्‍म का संगीत

फिल्‍म के संगीत की बात करें तो वह काफी मजबूत है जिसे खुद विशाल भारद्वाज ने दिया है। गानों के बोल भी काफी अच्‍छे हैं जो जुबान पर चढ़ जाता है।फिल्‍म का दूसरा हिस्‍सा काफी अच्‍छा है जिसमें सैफ की मोहब्‍बत कंगना के लिए और कंगना की मोहब्‍बत शाहिद के लिए साफ नजर आती है। 

वैसे भी यह फ़िल्म 2-3 अंग्रेज़ी फिल्मों से प्रभावित है, अदाकारी के लिहाज से कंगना सबपर भारी हैं, वहीं शाहिद और सैफ की जितनी तारीफ की जाए कम है। तारीफ के पूरे हकदार तो फिल्म के डायरेक्टर विशाल भरद्वाज भी हैं।

 

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