रंगमंच के लिए प्रेरणा हैं भारत की सड़कें : फ्रांसीसी निर्देशक
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रंगमंच के लिए प्रेरणा हैं भारत की सड़कें : फ्रांसीसी निर्देशक

रंगमंच में नए नए प्रयोग करने के लिए जानी जाने वाली निर्देशक एरियन मनोउचकिने का मानना है कि भारत की प्रत्येक सड़क और गली में इसके जीवन की जीवंतता दिखाई देती है जो रंगमंच के लिए अपने आप में एक प्रेरणा है। रंगमंच के सबसे बड़े पुरस्कारों में से एक इबसेन पुरस्कार की विजेता फ्रांसीसी निर्देशक ने अपने नाटकों के लिए विश्व भ्रमण किया है और इस समय वे भारत में हैं। वह 14 दिसंबर से पुडुचेरी में शुरू हो रही 16 दिवसीय कार्यशाला में शिरकत करेंगी।

नई दिल्ली: रंगमंच में नए नए प्रयोग करने के लिए जानी जाने वाली निर्देशक एरियन मनोउचकिने का मानना है कि भारत की प्रत्येक सड़क और गली में इसके जीवन की जीवंतता दिखाई देती है जो रंगमंच के लिए अपने आप में एक प्रेरणा है। रंगमंच के सबसे बड़े पुरस्कारों में से एक इबसेन पुरस्कार की विजेता फ्रांसीसी निर्देशक ने अपने नाटकों के लिए विश्व भ्रमण किया है और इस समय वे भारत में हैं। वह 14 दिसंबर से पुडुचेरी में शुरू हो रही 16 दिवसीय कार्यशाला में शिरकत करेंगी।

एरियन के रंगमंच समूह थियेटर डू सोलेइल को कला के क्षेत्र में अग्रणी माने जाने वाले कलाकारों का समूह माना जाता है और पेरिस में फिलिप लीओटार्ड और रंगमंच के छात्रों के साथ मिलकर 1964 में इसकी स्थापना की थी। हालांकि, उन्होंने स्वीकार किया कि उन्होंने आधुनिक भारतीय रंगमंच प्रस्तुतियां नहीं देखी हैं।  उन्होंने बताया, ‘मैं यह कहना चाहूंगी कि भारत में यहां, वहां हर जगह रंगमंच है। लोगों के सौंदर्य के कारण मेरे लिए सड़कों पर रंगमंच है क्योंकि उनकी भाव भंगिमाओं में संगीतात्मकता है। ऐसे में इस यात्रा के दौरान सब कुछ रंगमंच बन गया है। मुझे रंगमंच प्रस्तुति देखने के लिए वास्तविक रंगमंचों तक जाने की जरूरत नहीं है।’

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