B'day : मोहम्मद रफी ने 13 साल की उम्र में गाया था पहला गाना, पतंग उड़ाने का था शौक
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B'day : मोहम्मद रफी ने 13 साल की उम्र में गाया था पहला गाना, पतंग उड़ाने का था शौक

24 दिसंबर को आज से 94 साल पहले मशहूर सिंगर मोहम्मद रफी का जन्म पंजाब के कोटला सुल्‍तान सिंह में हुआ था. 

मोहम्म्द रफी का जन्म पंजाब के कोटला सुल्‍तान सिंह में हुआ था.

नई दिल्ली : बॉलीवुड में सुरों के सरताज के नाम से जाने वाले मशहूर सिंगर मोहम्मद रफी को कौन नहीं जानता. 24 दिसंबर को आज से 94 साल पहले मोहम्म्द रफी का जन्म पंजाब के कोटला सुल्‍तान सिंह में हुआ था. रफी ने 13 साल की उम्र में पहला पब्लिक परफॉर्मेंस दिया था. 1941 में रफी ने पंजाबी फिल्म के लिए गाना गाया और उसके बाद आकाशवाणी लाहौर के लिए गाने से करियर की शुरुआत की थी. अपने तीन दशक से ज्यादा के करियर में रफी ने कई सुपरहिट गाने गाए. 

'बैजू बावरा' ने खोले तरक्की के रास्ते 
हिन्‍दी सिनेमा के शुरुआती दौर में सिर्फ मुकेश जी और तलत मेहमूद का नाम हुआ करता था, तब रफी को कोई नहीं जानता था लेकिन जब नौशाद ने फिल्म 'बैजू बावरा' के लिए रफी को मौका दिया तो उन्होंने कहा था की 'इस फिल्म के साथ ही, तुम सबकी जुबां पर छा जाओगे' और वही हुआ. 1976 में जब फिल्‍म 'लैला मजनू' बन रही थी, तो ऋषि कपूर चाहते थे की सिर्फ किशोर कुमार ही उनके लिए गीत गाएं जबकि संगीतकार मदन मोहन ने कहा कि इस फिल्म में तो मोहम्मद रफी ही गाना गाएंगे नहीं तो हम फिल्म नहीं करेंगे. आखिरकार मोहम्मद रफी ने ही गीत गाए और वो इतने सराहे गए की फिर फिल्‍मों ऋषि कपूर की आवाज रफी साहब ही बन गए.

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'बाबुल की दुआएं लेती जा' के लिए जीता नेशनल अवॉर्ड 
मोहम्मद रफी ने किशोर कुमार की फिल्मों के लिए भी गीत गाये हैं जिनमें फिल्म 'बड़े सरकार', 'रागिनी' और कई फिल्‍में शामिल थीं. रफी ने किशोर कुमार के लिए करीब 11 गाने गाए. फिल्म 'नील कमल' का गाना 'बाबुल की दुआएं लेती जा' को गाते वक्‍त बार-बार रफी की आंखों में आंसू आ जाते थे और उसके पीछे कारण था कि इस गाने को गाने के ठीक एक दिन पहले उनकी बेटी की सगाई हुई थी इसलिए वो काफी भावुक थे, फिर भी उन्होंने ये गीत गाया और इस गीत के लिए उन्‍हें 'नेशनल अवॉर्ड' मिला. मोहम्मद रफी का आखिरी गीत फिल्म 'आस पास' के लिए था, जो उन्होंने लक्ष्मीकांत प्यारेलाल के लिए निधन से ठीक दो दिन पहले रिकॉर्ड किया था, गीत के बोल थे 'शाम फिर क्यों उदास है दोस्त'.

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अंतिम यात्रा में शामिल हुए 10000 लोग
6 फिल्मफेयर और 1 नेशनल अवार्ड रफी के नाम हैं. उन्हें भारत सरकार कि तरफ से 'पद्म श्री' सम्मान से भी सम्मानित किया गया था. रफी साहब ने भारतीय भाषाओं जैसे असमी, कोंकणी, पंजाबी, उड़िया, मराठी, बंगाली, भोजपुरी के साथ-साथ उन्होंने पारसी, डच, स्पेनिश और इंग्लिश में भी गीत गाए थे. जिस दिन मोहम्मद रफी निधन हुआ उस दिन मुंबई में जोरों की बारिश हो रही थी और फिर भी उनकी अंतिम यात्रा में 10000 लोग शामिल हुए थे. उस दिन मशहूर एक्टर मनोज कुमार ने कहा, 'सुरों की मां सरस्वती भी अपने आंसू बहा रही हैं आज'.

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