‘हंटर’ (रिव्यू) : एडल्ट कॉमेडी से ज्यादा कुछ नहीं फिल्म
Advertisement
trendingNow1251423

‘हंटर’ (रिव्यू) : एडल्ट कॉमेडी से ज्यादा कुछ नहीं फिल्म

सेक्स की दीवानगी और जिंदगी के फलसफों को हल्के-फुल्के अंदाज में परोसने वाली फिल्म ‘हंटर’ आम बॉलीवुड फिल्मों से थोड़ी अलग है। निर्देशक हर्षवर्धन कुलकर्णी की उनके पहले प्रयास के लिए तारीफ करनी होगी।

‘हंटर’ (रिव्यू) : एडल्ट कॉमेडी से ज्यादा कुछ नहीं फिल्म

नई दिल्ली : सेक्स की दीवानगी और जिंदगी के फलसफों को हल्के-फुल्के अंदाज में परोसने वाली फिल्म ‘हंटर’ आम बॉलीवुड फिल्मों से थोड़ी अलग है। निर्देशक हर्षवर्धन कुलकर्णी की उनके पहले प्रयास के लिए तारीफ करनी होगी।

हंटर एक सत्य कहानी की तरह लगती है। इसके किरदार काफी हद तक आम जिंदगी से मिलते जुलते हैं जिनसे जुड़ना आसान है। आम जिंदगी में लोग ऐसा ही व्यवहार करते हैं और किसी बात पर प्रतिक्रिया भी वैसे ही देते हैं।

लेकिन फिल्म का सत्य सा लगना ही काफी नहीं होता। फिल्म की कहानी में भटकाव है क्योंकि न तो यह अपने जोनर से मेल खा पाती है और ना ही विषय के साथ न्याय करती है।

फिल्म की कहानी एक छोटे लड़के की लगती है जो एक मर्द (मैचोमैन) बनने की चाहत रखता है लेकिन यह होगा कैसे यह वह नहीं जानता। कुल मिलाकर फिल्म की लंबाई और जटिलता इसे बोझिल बना देती है।

फिल्म का नायक मंदार पोंक्षे (गुलशन देवैया) एक साधारण सा युवक है जिसके पास न तो बहुत पैसा है और ना ही आकर्षक शरीर। वह हर लड़की के पीछे भागता रहता है और फिर उनके साथ संबंध बनाता है। फिर जैसा कि सभी को पता होता है कि जितनी लड़कियों के साथ वह जुड़ता है उतनी ही परेशानियों में घिर जाता है।

यह फिल्म कहां पहुंचना चाहती है यह कहीं भी स्पष्ट नहीं होता। हालांकि ‘हंटर’ को देखा जा सकता है तो वह है अभिनय के स्तर के लिए। गुलशन ने अपने किरदार के साथ न्याय किया है। राधिका आप्टे स्क्रीन पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराती हैं।

इस तरह ‘हंटर’ केवल अनाड़ी वयस्कों के लिए बनाई गई एक फिल्म भर है।

Trending news