राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों पर रहा विवादों का साया, कई विजेताओं ने बनाई समारोह से दूरी
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राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों पर रहा विवादों का साया, कई विजेताओं ने बनाई समारोह से दूरी

कई विजेताओं ने राष्ट्रपति के हाथों चुनिंदा विजेताओं को ही सम्मानित किए जाने का विरोध किया. कई लोगों ने इसके विरोध में समारोह में हिस्सा नहीं लिया. 

राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों के ज्यूरी मेंबर और पुरस्कार विजेताओं के साथ राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी और राज्यवर्द्धन सिंह राठौड़   (फोटा साभार - पीआईबी)

नई दिल्ली: राष्ट्रपति भवन में आयोजित समारोह में गुरुवार को राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार प्रदान किए गए लेकिन समारोह का 65 वां संस्करण तब विवादों में आ गया जब कई विजेताओं ने राष्ट्रपति के हाथों चुनिंदा विजेताओं को ही सम्मानित किए जाने का विरोध किया. कई लोगों ने इसके विरोध में समारोह में हिस्सा नहीं लिया. परंपरा के उलट इस बार विज्ञान भवन में आयोजित समारोह दो हिस्सों में बंटा था. पहले चरण में पुरस्कार केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री एवं राज्य मंत्री क्रमश : स्मृति ईरानी एवं राज्यवर्द्धन सिंह राठौड़ ने प्रदान किए. दूसरे चरण में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने प्रमुख पुरस्कार भेंट किए जिनमें विनोद खन्ना एवं श्रीदेवी के लिए मरणोपरांत क्रमश : दादा साहेब फाल्के और सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के पुरस्कार शामिल थे.

राष्ट्रपति ने अपने भाषण में कहा , ‘हमें हमेशा उनकी कमी खलेगी.’ बुधवार को समारोह का रिहर्सल हुआ था और जब विजेताओं को पुरस्कार भेंट किए जाने के तरीके में बदलाव की जानकारी दी गई तब सभी को राष्ट्रपति के हाथों पुरस्कार नहीं दिए जाने को लेकर विरोध की सुगबुगाहट होने लगी थी. पारंपरिक रूप से राष्ट्रपति ही राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों के सभी विजेताओं को पुरस्कार प्रदान करते हैं.

करीब 70 कलाकारों ने लिखा सरकार को पत्र
इससे पहले दिन में राष्ट्रपति और सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के नाम लिखे एक खुले पत्र में करीब 70 कलाकारों ने कहा था कि वे पुरस्कार वितरण समारोह में शामिल नहीं होंगे क्योंकि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद स्थापित परंपरा से अलग हटकर केवल 11 लोगों को पुरस्कार देंगे. पत्र में लिखा है, ‘‘यह भरोसे के टूटने जैसा लगता है जब अत्यधिक प्रोटोकॉल का पालन करने वाला एक संस्थान/समारोह हमें पूर्व सूचना नहीं देता है और समारोह के इस महत्वपूर्ण आयाम की सूचना देने में विफल रहता है. यह दुर्भाग्यपूर्ण लगता है कि 65 साल से चली आ रही परंपरा को एक पल में बदला जा रहा है.’’ 

पत्र में निर्देशक कौशिक गांगुली , सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता का पुरस्कार जीतने वाले फहद फासिल और गायक के जे येसुदास जैसी प्रमुख हस्तियों ने हस्ताक्षर किए. गांगुली की फिल्म ‘ नगरकीर्तन ’ ने सर्वश्रेष्ठ अभिनेता , विशेष ज्यूरी , मेक अप और कॉस्ट्यूम सहित कई पुरस्कार जीते. वे समारोह से दूर रहे हालांकि फिल्म के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार जीतने वाले रिद्धि सेन मौजूद थे. समारोह में हिस्सा ना लेने वाले कलाकारों के नामों की घोषणा नहीं की गई.

'हम पुरस्कारों को नामंजूर कर रहे हैं'
गांगुली ने कहा, ‘इसका यह मतलब नहीं है कि हम पुरस्कारों को नामंजूर कर रहे हैं. लेकिन राष्ट्रपति को हमें पुरस्कार देना चाहिए था. यह एक खास पहलू है जिसमें बदलाव नहीं किया जा सकता और हमें कोई सूचना नहीं दी गई थी.’ उन्होंने कहा , ‘65 से 70 लोगों ने समारोह में हिस्सा नहीं लेने का फैसला किया. इसलिए मैंने बिरादरी के साथ जाने का फैसला किया. ’ 

‘ नगरकीर्तन ’ के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार जीतने वाले रिद्धि सेन ने कहा , ‘ हर कोई हल्का नाराज है क्योंकि हमें आखिरी समय में इस बदलाव के बारे में पता चला. यह सही नहीं लगता क्योंकि देश भर से लोग राष्ट्रपति के हाथों पुरस्कार लेने के लिए अपने परिवार के साथ यहां आए हैं.’ सर्वश्रेष्ठ गायिका का पुरस्कार जीतने वाली शाशा तिरूपति ने कहा कि उन्हें अपनी जीत पर खुशी है लेकिन जिस तरह से विजेताओं को यह खबर दी गई उससे उन्हें ‘काफी समस्या’ है.

असमी फिल्म ‘ विलेज रॉकस्टार्स ’ के लिए सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म का पुरस्कार जीतने वाली रीमा दास ने कहा, ‘यह काफी दुखद और दुर्भाग्यपूर्ण है क्योंकि हम सभी राष्ट्रपति के हाथों पुरस्कार मिलने की उम्मीद कर रहे थे.’

राष्ट्रपति के प्रेस सचिव ने दी सफाई
राष्ट्रपति के प्रेस सचिव अशोक मलिक ने कहा कि राष्ट्रपति सभी पुरस्कार कार्यक्रमों और दीक्षांत समरोहों में अधिकतम एक घंटे रुकते हैं. यह प्रोटोकाल उनके पदभार ग्रहण करने के समय से ही चला आ रहा है. इस बारे में सूचना और प्रसारण मंत्रालय को कई सप्ताह पहले ही अवगत करा दिया गया था और मंत्रालय को इसकी जानकारी थी. उन्होंने कहा कि अंतिम समय में इस तरह से सवाल उठाने से राष्ट्रपति भवन आश्चर्यचकित है.

वहीं पत्र में हस्ताक्षर करने वाले येसुदास ने कहा , ‘‘मैं इसपर टिप्पणी नहीं करना चाहता. राष्ट्रपति ने मुझे आमंत्रित किया था , इसलिए मैं यहा हूं. ’ 

परिवार के लिए यह खास क्षण : बोनी कपूर
राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों में श्रीदेवी का मरणोपरांत सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का सम्मान लेने यहां आए उनके पति और फिल्म निर्माता बोनी कपूर ने आज कहा कि परिवार के लिए यह खास क्षण है और उन्होंने श्रीदेवी की कमी बहुत महसूस की. श्रीदेवी की गत 24 फरवरी को दुबई में 54 साल की उम्र में मौत हो गई थी. श्रीदेवी को हिन्दी फिल्म ‘मॉम’ के लिए पुरस्कृत किया गया. इस समारोह में कपूर के साथ उनकी बेटियां जाह्नवी और खुशी भी मौजूद थीं.

परिवार के लिए खुशी और गम का दिन : अक्ष्य खन्ना
अपने पिता विनोद खन्ना को मरणोपरांत मिला दादा साहेब फाल्के पुरस्कार ग्रहण करने के लिए आए अभिनेता अक्षय खन्ना ने कहा कि यह उनके परिवार के लिए ‘खुशी और गम दोनों का पल’ है. उन्होंने कहा, ‘हम एक परिवार के रूप में बेहद गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं. यह हमारे लिए खुशी और गम दोनों का पल है. काश मेरे पिता यह पुरस्कार लेने के लिए यहां होते. मुझे उनकी कमी खल रही है. यह हमारे लिए जज्बातों से भरा दिन है.’ समारोह में ‘मॉम’ फिल्म के अभिनेता अपनी सौतेली मां कविता दफ्तरी के साथ आए थे.

‘ इरादा ’ फिल्म के लिए सर्वश्रेष्ठ सह अभिनेत्री का पुरस्कार जीतने वाली दिव्या दत्ता ने कहा , ‘यह मेरा पहला राष्ट्रीय पुरस्कार है. मेरे प्रमाणपत्र पर राष्ट्रपति का मुहर होगा और यह मायने नहीं रखता कि मुझे पुरस्कार उनके हाथों से मिले या नहीं. ’ दिव्या को स्मृति ने पुरस्कार प्रदान किया.

मैं पुरस्कार विजेताओं को बधाई देता हूं : कोविंद
पहली बार राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार समारोह की अध्यक्षता कर रहे कोविंद ने इसे एक खास पल बताया. राष्ट्रपति ने कहा, ‘मैं शुरूआत 125 पुरस्कार विजेताओं में शामिल हर व्यक्ति और उन अनगिनत कलाकारों को बधाई देने से करना चाहता हूं जिन्हें आज सराहा जा रहा है. यह एक खास पल है. ’ उन्होंने दोनों दिवंगत कलाकारों को श्रद्धांजलि देते हुए उनकी ‘ सबसे बेहतरीन ’ फिल्मों - खन्ना की ‘ मेरे अपने ’ और श्रीदेवी की ‘ लम्हें ’ को याद किया.

राष्ट्रपति ने कहा , ‘वे बॉक्स ऑफिस पर सफलता से इतर बेहतरीन फिल्में थीं. वे हमारे दिलों में बस गईं.'  राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में कहा , ‘‘ फिल्म जगत उन कुछेक चीजों में से है जो हमें जोड़ती हैं. हमें पता है कि विविधता में एकता हमारी सबसे बड़ी ताकत है. हमारी फिल्में ना केवल विविधिता को दिखाती हैं बल्कि इसे बनाए रखने में भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं. हमारी फिल्मों का कथानक भी हमारी संस्कृति से जुड़ा है. ’’ 

सूचना एवं प्रसारण मंत्री स्मृति ने भी श्रीदेवी को याद करते हुए कहा , ‘‘ आज हमने इस मंच पर एक ऐसी महिला को भी सम्मानित किया है जो हमारे बीच नहीं हैं. यह उनका पहला राष्ट्रीय पुरस्कार है. मुझे श्रीदेवी को इस रूप में याद करती हूं कि उन्होंने ना केवल फिल्म जगत बल्कि हमारे जीवन पर भी एक गहरा असर छोड़ा है. ’’ 

उन्होंने खन्ना को श्रद्धांजलि देते हुए कहा , ‘राष्ट्रपति ने एक ऐसी हस्ती को भी सम्मानित किया जिन्होंने अपनी क्षमता के आधार पर ना केवल सिनेमा बल्कि राजनीति में भी इतिहास रचा. ’ 

समारोह में मौजूद प्रमुख हस्तियों में संगीतकार ए आर रहमान , रीमा दास , सर्वश्रेष्ठ हिंदी फिल्म चुनी गई ‘ न्यूटन ’ के निर्देशक अमित मासुरकर , रिद्धि सेन , सर्वश्रेष्ठ गायिक का पुरस्कार जीतने वाली शाशा तिरूपति सहित अन्य शामिल हैं. फीचर फिल्म खंड की ज्यूरी का नेतृत्व करने वाले मशहूर फिल्मकार शेखर कपूर भी समारोह में मौजूद थे.

(इनपुट - भाषा)

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