कोरोना महामारी के दौर ने सिनेमा जगत (Entertainment Industry) को खूब प्रभावित किया है. बड़े से बड़ा स्टार OTT (OTT Platform) की दुनिया में आने को मजबूर हुआ. लेकिन स्कैम 1992 (Scam 1992) स्टार प्रतीक गांधी (Pratik Gandhi) का मानना है कि OTT के बूम से थिएटर (Theater) की दुनिया में कोई असर नहीं पड़ेगा.
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नई दिल्ली: कोरोना महामारी आने के बाद लोगों की जिंदगी ठहर सी गई. आम इंसान से लेकर बड़ी-बड़ी हस्तियों तक को इस महामारी ने प्रभावित किया. इस फेहरिस्ट में मनोरंजन की दुनिया के लोग भी शामिल हैं. महामारी के दौर में ओटीटी प्लेटफॉर्म (OTT Platform) ने बहुत तेजी से रफ्तार पकड़ी जिसकी वजह से बड़े-बड़े सितारों को भी सिनेमा हॉल (Cinema Hall) की जगह ओटीटी की ओर रुख करना पड़ा. लेकिन क्या आने वाले समय में भी मनोरंजन की दुनिया ओटीटी तक ही सीमित रह जाएगी ? इस सवाल का जवाब दिया स्कैम 1992 स्टार प्रतीक गांधी ने.
स्कैम 1992 (Scam 1992) के हर्षद मेहता के तौर पर रातों-रात नाम कमाने वाले प्रतीक गांधी (Pratik Gandhi) का मानना है ओटीटी प्लेटफॉर्म के बूम पकड़ने से थिएटर (Theaters) को कोई नुकसान नहीं है. यह एक ऐसा मंच है जहां आप कलाकारों को अपने सामने लाइव परफॉर्म (Live Performance) करते हुए देख सकते हैं. आप उनके इमोशन और मेहनत को और बारिकी से देख सकते हैं. ओटीटी कभी भी थिएटर को रिप्लेस नहीं कर सकता है. हालांकि, थिएटर की दुनिया में कुछ बदलाव करने की जरूरत जरूर है, जो मुझे लगता है निर्देशक बेहतर तरीके से उन जरूरतों को समझते होंगे'.
आपको बता दें प्रतीक गांधी खुद एक थिएटर आर्टिस्ट (Theatre Artist) हैं और थिएटर की दुनिया में वो एक जाना-माना नाम हैं. प्रतीक गुजराती थिएटर और सिनेमा में एक दशक से भी ज्यादा समय से काम कर रहे हैं. हालांकि, प्रतीक को जो शोहरत आज के समय में मिली है वो थोड़ी देर से ही मिली है. लेकिन कहते हैं ना देर आए दुरुस्त आए.
आपको बता दें प्रतीक थिएटर आर्टिस्ट होने से पहले एक इंजीनियर भी रहे हैं. प्रतीक इंजीनियरिंग में डिस्टिंक्शन से पास हुए, कॉर्पोरेट जॉब (Corporate Job) मिली. लेकिन जॉब के साथ उन्होंने अपने पैशन को भी जिंदा रखा. उनका पैशन उन्हें निर्देशक मनोज शाह (Manoj Shah) के पास ले गया. मनोज शाह को बेहतरीन कहानियां बुनने के लिए जाना जाता है. मनोज शाह के साथ प्रतीक ने 'मोहन नो मसालो' (Mohan's Masala) नाम से एक शो किया. इस शो के लिए प्रतीक ने गुजराती, हिंदी और इंग्लिश तीनों भाषाओं में रिहर्सल की और एक ही दिन में तीनों भाषाओं में यह शो किया. इस शो की टाइमिंग थी सुबह 11:30 पे गुजराती, शाम 4:30 पे हिंदी और शाम 7:30 पे अंग्रेजी. बस फिर क्या था इसी लगन ने प्रतीक को लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड (Limca Book Of World Record) में जगह दिलवाई.
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