रॉकी हैंडसम फिल्म समीक्षा : नई बोतल में पुरानी शराब, घिसी-पिटी कहानी लेकिन सिनेमेटोग्राफी बेहतरीन
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रॉकी हैंडसम फिल्म समीक्षा : नई बोतल में पुरानी शराब, घिसी-पिटी कहानी लेकिन सिनेमेटोग्राफी बेहतरीन

2010 में आयी दक्षिण कोरियाई फिल्म के एक हिन्दी रीमेक रॉकी हैंडसम में कहानी को नये तरीके से प्रस्तुत नहीं किया गया है।फिल्म की कहानी एक रूखे नायक के इर्द-गिर्द घूमती है जो अगवा की गयी आठ वर्षीय एक बच्ची को बचाने के लिए जी-जान से जुटा हुआ नजर आता है।

रॉकी हैंडसम फिल्म समीक्षा : नई बोतल में पुरानी शराब, घिसी-पिटी कहानी लेकिन सिनेमेटोग्राफी बेहतरीन

नई दिल्ली : 2010 में आयी दक्षिण कोरियाई फिल्म के एक हिन्दी रीमेक रॉकी हैंडसम में कहानी को नये तरीके से प्रस्तुत नहीं किया गया है।फिल्म की कहानी एक रूखे नायक के इर्द-गिर्द घूमती है जो अगवा की गयी आठ वर्षीय एक बच्ची को बचाने के लिए जी-जान से जुटा हुआ नजर आता है।

निर्देशक निशिकांत कामत ने फिल्म का ताना-बाना गोवा का बुना है। लेकिन जैसा कि आमतौर पर हिन्दी सिनेमा के मुख्यधारा की फिल्मों में होता है, यह गोवा मौज मस्ती की जगह नहीं है। इस फिल्म की कहानी जैसे-जैसे आगे बढ़ती है इसमें क्रूर अपराधी, मादक पदार्थ के तस्कर और बच्चों के तस्करों सहित कई उतार-चढ़ाव देखने को मिलते है। सह निर्माता और मुख्य अभिनेता जॉन अब्राहम ने अब तक जितनी भूमिका की उसमें यह उनका अहम किरदार है। लेकिन वास्तविक भावनात्मक पहलू के कमी के कारण रॉकी हैंडसम के अपने किरदार में वह अपने पुराने अदांज से दूर जाने के लिए संघर्ष करते नजर आ रहे हैं।

फिल्म में भाव से अधिक शारीरिक जोर का असर नजर आता है। इसमें पूरी तरह से जॉन अब्राहम के शारीरिक सौष्ठव को दिखाने की कोशिश की गयी है। इस सबके अलावा मुख्य अभिनेता की अपनी तकलीफ एक कोने में गुम रहती है। सिनेमेटोग्राफर शंकर रमन ने इस फिल्म को बेहतर तरीके से तैयार किया है। साथ ही आरिफ शेख ने कुशलता से रॉकी हैंडसम का संपादन भी किया है। मुख्य खलनायक की भूमिका निर्देशक ने खुद अदा की है। लेकिन वह खुद फिल्म के समाप्त होने से कुछ देर पहले ही सामने आते हैं। रॉकी हैंडसम फ्लैशबैक में चलने वाली फिल्म है जिसमें आइटम नंबर और पृष्ठभूमि में चलने वाली कहानी देखने को मिलती है। हालांकि, सिनेमा घर से बाहर निकलने पर कोई याद रखने वाला गीत इसमें आपको नहीं मिलेगा ।

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