'सामना' ने बॉलीवुड के साथ राज ठाकरे तक पर साधा निशाना, लिखा- 'ये ग्रहण...'
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'सामना' ने बॉलीवुड के साथ राज ठाकरे तक पर साधा निशाना, लिखा- 'ये ग्रहण...'

शिवेसना के मुखपत्र 'सामना' में छपे संपादकीय में इस बार बॉलीवुड से चल रहे शिवसेना के विवाद के मुद्दे को उठाया गया है. 

'सामना' ने बॉलीवुड के साथ राज ठाकरे तक पर साधा निशाना, लिखा- 'ये ग्रहण...'

मुंबई: शिवेसना के मुखपत्र 'सामना' में छपे संपादकीय में इस बार बॉलीवुड से चल रहे शिवसेना के विवाद के मुद्दे को उठाया गया है. संपादकीय में साफ तौर पर कंगना रनौत (Kangana Ranaut) पर मुंबई को पाकिस्तान कहने पर निशाना साधा गया. वहीं राज ठाकरे (Raj Thackeray) को भी 'घर का भेदी' कहकर ताना मारा गया है. हालांकि दोनों का ही नाम न लेते हुए 'सामना' ने इस मुद्दे पर काफी तीखे अंदाज में लिखा गया है. इस में लिखा गया है, 'मुंबई का दमन किसके लिए!, दुनिया की नहीं, मुंबई महाराष्ट्र के बाप की!'

'बाहरी' लोग लगा रहे हैं ये ग्रहण
शिवसेना के मुखपत्र 'सामना' के जरिए भूमिपुत्रों को एक होने का आवाह्न किया गया है. ये पहली बार है जब 'सामना' में बॉलीवुड से लेकर राज ठाकरे तक पर निशान साधा गया है. 'सामना' में लिखा है, 'महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई को ग्रहण लगाने का प्रयास एक बार फिर शुरू हो गया है. ये ग्रहण 'बाहरी' लोग लगा रहे हैं. लेकिन इन्हें मजबूत बनाने के लिए परंपरा के अनुसार हमारे ही घर के भेदी आगे आए हैं. बीच के दौर में मुंबई को पाकिस्तान कहा गया. मुंबई का अपमान करनेवाली एक अभिनेत्री के अवैध निर्माण पर महानगरपालिका द्वारा कार्रवाई किए जाने के बाद मनपा का उल्लेख 'बाबर' के रूप में किया गया. मुंबई को पहले पाकिस्तान बाद में बाबर कहनेवालों के पीछे महाराष्ट्र कि भारतीय जनता पार्टी खड़ी होती है, इसे दुर्भाग्य ही कहना होगा.'

तो मुंबई का पतन होना शुरू 
'सामना' में राज ठाकरे को लेकर भी निशान साधा गया, ''ठाकरे' महाराष्ट्र के स्वाभिमान का एक ब्रांड है. दूसरा महत्वपूर्ण 'ब्रांड' पवार नाम से चलता है. मुंबई से इन ब्रांड को ही नष्ट करना है व उसके बाद मुंबई पर कब्जा जमाना है. इस साजिश की कलई एक बार फिर खुल गई है. राज ठाकरे भी आज उसी 'ब्रांड' के एक घटक हैं और इस सबका खामियाजा भविष्य में उन्हें भी भुगतना पड़ेगा. शिवसेना के साथ उनका मतभेद हो सकता है लेकिन अंततः महाराष्ट्र 'ठाकरे' ब्रांड का जोर होना ही चाहिए. जिस दिन 'ठाकरे' ब्रांड का पतन होगा उस दिन से मुंबई का पतन होना शुरू हो जाएगा.' 

कैसी एकतरफा आजादी है?
'सामना' में आगे लिखा है, 'एक नॉटी (अभिनेत्री) मुंबई में बैठकर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के प्रति तू-तड़ाक की भाषा में बोलती है. चुनौती देने की बात करती है और उस पर महाराष्ट्र की जनता द्वारा कोई प्रतिक्रिया नहीं दी जाती है, यह कैसी एकतरफा आजादी है? उसके अवैध निर्माण पर हथौड़ा चला, तो वह मेरा राम मंदिर ही था, ऐसा ड्रामा उसने किया. लेकिन उसने यह अवैध निर्माण कानून का उल्लंघन करके उसके द्वारा घोषित किए गए 'पाकिस्तान' में किया था.' 

बॉलीवुड स्टार्स नहीं आए मुंबई का साथ देने
इसके आगे लिखा गया है, 'मुंबई को पाकिस्तान कहना व उसी 'पाकिस्तान' में स्थित अवैध निर्माण पर सर्जिकल स्ट्राइक की छाती पीटना, यह कैसा खेल है? संपूर्ण नहीं, कम-से-कम आधे हिंदी फिल्म जगत को तो मुंबई के अपमान के विरोध में आगे आना ही चाहिए था. कंगना का मत पूरे फिल्म जगत का मत नहीं है, ऐसा कहना चाहिए था. कम-से-कम अक्षय कुमार आदि बड़े कलाकारों को तो सामने आना ही चाहिए था. मुंबई ने उन्हें भी दिया ही है. मुंबई ने हर किसी को दिया है लेकिन मुंबई के संदर्भ में आभार व्यक्त करने में कइयों को तकलीफ होती है. दुनियाभर के रईसों के घर मुंबई में हैं. मुंबई का जब अपमान होता है ये सब गर्दन झुकाकर बैठ जाते हैं.' 

मुंबई पर पहला हक महाराष्ट्र का
इसके आगे लिखा है, 'मुंबई का महत्व सिर्फ दोहन व पैसा कमाने के लिए ही है. इन सभी को एक बात ध्यान रखनी चाहिए कि 'ठाकरे' के हाथ में महाराष्ट्र की कमान है. इसलिए सड़क पर उतरकर भूमिपुत्रों के स्वाभिमान के लिए विवाद वगैरह करने की आवश्यकता आज नहीं है. महाराष्ट्र और भूमिपुत्रों का भाग्यचक्र मुंबई के इर्द-गिर्द ही घूम रहा है. मुंबई देश की हो या दुनिया की लेकिन उस पर पहला हक महाराष्ट्र का है. जब-जब मुंबई को दबाया तब-तब महाराष्ट्र ने प्रतिकार किया.'   

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